धोती और साइकिल वाले दीनदयाल उपाध्याय को देख शांता कुमार के भाई ने कही थी यह बात
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार पंडित दीन दयाल उपाध्याय को याद करते हुए कहते हैं कि एकात्म मानववाद मूल्य आधारित राजनीति का वैचारिक आधार भाजपा को उन से ही मिला।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार को उनके भाई ने पूछा था कि यह धोती वाले कौन हैं। जवाब में शांता कुमार ने कहा था,' यह पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी हैं...भारतीय जनसंघ के महासचिव।' शांता कुमार से मिलने आए एयरफोर्स में कार्यरत बड़े भाई ने कहा था, 'तब तो बन गई तुम्हारी सरकार।' उन्होंने शांता कुमार से कहा था, 'कहां झंडेवालान और कहां अजमेरी गेट और पंडित जी साइकिल पर दौड़े हुए हैं?' शांता कुमार ने कहा था, 'भाई साहब, यह तो समय ही बताएगा।'
आज शांता कुमार पंडित जी को याद करते हुए कहते हैं, 'उनके दिए वैचारिक आधार पर ही हम दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बने हैं।' दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर जागरण के साथ विशेष बातचीत में शांता उनके साथ बिताए पलों को याद कर भावुक हो जाते हैं।
शांता कुमार कहते हैं कि एकात्म मानववाद और मूल्य आधारित राजनीति उनकी बड़ी देन है। जब शांता वकालत की पढ़ाई कर रहे थे तो झंडेवालान में जाते थे। पंडित जी साइकिल पर बैठ कर माधवराव मूले से मिलने अजमेरी गेट जाते और वहीं भोजन करते।
शांता कुमार जब अंबाला में प्रचारक थे, उपाध्याय जी का दौरा हुआ और एक पत्रकार वार्ता हुई। एक पत्रकार ने पूछा कि उपाध्याय जी, आप तो भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी बात करते हैं लेकिन मान लीजिए कल को जनसंघ में भी भ्रष्टाचार आ गया तो आप क्या करेंगे? इस पर दीनदयाल उपाध्याय ने जवाब दिया कि यह संभव ही नहीं है। पत्रकार ने फिर पूछा कि एक क्षण के लिए कल्पना ही कर लें कि अगर ऐसा हो गया तो आप क्या करेंगे? इस पर दीनदयाल उपाध्याय का जवाब था कि मैं ऐसी कल्पना ही नहीं कर सकता। जब वातावरण में तल्खी कम हुई तो पत्रकार ने फिर कहा कि यह ठीक है जनसंघ में भ्रष्टाचार नहीं होगा लेकिन मान लीजिए कि ऐसा हो ही गया तो क्या करेंगे? बकौल शांता, 'इस बार दीनदयाल जी ने पत्रकार की तरफ आंखें बड़ी करके देखा और जवाब दिया कि ऐसा होता है तो हम पार्टी ही भंग कर देंगे और नई पार्टी बना लेंगे।'
शांता कुमार कहते हैं कि भारतीय जनसंघ और फिर भारतीय जनता पार्टी... एक समय था जब पार्टी के पास कुछ नहीं था। वह केवल पुलिस की लाठियों, चुनाव लडऩे पर जमानत जब्त करवाने लेकिन समर्पित कार्यकर्ताओं का दौर था। आज हम विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक दल हैं।
शांता कुमार ने बताया कि उनकी आत्मकथा तैयार है जिसके अंतिम अध्याय का शीर्षक, 'राष्ट्र निर्माण, भारतीय जनसंघ, भारतीय जनता पार्टी और मेरी अंतिम इच्छा' है।

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