Shanta Kumar Birthday: शांता कुमार की आत्मकथा करेगी कई राजनीतिक खुलासे, जानिए
सक्रिय चुनावी राजनीति को अलविदा कहने के बाद शांता लेखन और समाजसेवा को समय देंगे। सीनियर सिटीजन होम जल्द बनाना उनका सपना है
सतीश धर, धर्मशाला। प्रसिद्ध राजनेता, विचारक एवं साहित्यकार शांता कुमार वीरवार को जीवन के 85 वर्ष पूरे कर रहे हैं। मई माह में सक्रिय चुनावी राजनीति को अलविदा कहकर उन्होंने अब साहित्य लेखन और समाजसेवा के संकल्प को पूरा करने का निर्णय लिया है। शांता कुमार विवेकानंद मेडिकल रिसर्च ट्रस्ट द्वारा प्रस्तावित सीनियर सिटीजन होम 'विश्रांति' का निर्माण कार्य शीघ्र पूरा होता देखना चाहते हैं। इसके अतिरिक्त वह आत्मकथा को भी कलमबद्ध करना चाहते हैं।
वह आत्मकथा लिखने की पिछले कुछ समय से बात कर रहे हैं। इस पर अब उन्होंने काम शुरू कर दिया है। विश्रांति का कार्य आगामी जनवरी तक पूरा करना चाहते हैं और आत्मकथा का कार्य भी इसके साथ ही पूरा होगा। पिछले महीने (अगस्त) में शांता कुमार के विभिन्न समाचार-पत्रों में प्रकाशित लेखों की पुस्तक 'अलविदा चुनावी राजनीति' प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक के पहले लेख का शीर्षक भी 'अलविदा चुनावी राजनीति' है, जो उनकी प्रस्तावित आत्मकथा की बानगी प्रस्तुत करता है।
शांता कुमार ने 19 वर्ष की आयु में राजनीति शुरू की थी। उन्होंने गांव के प्रधान से लेकर सांसद तक सभी प्रजातांत्रिक संस्थाओं में सक्रिय रह कर जनता की सेवा की। दो बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में खाद्य एवं आपूर्ति और ग्रामीण विकास मंत्री रहे। राज्यसभा और लोकसभा के कार्यकाल के दौरान विभिन्न संसदीय समितियों के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय मुद्दों में योगदान दिया। राज्यसभा की स्थायी वाणिज्य समिति के अध्यक्ष के रूप में 'चाय को राष्ट्रीय पेय' घोषित करने का निर्णय व सड़कों के निर्माण में सीमेंट का प्रयोग जैसे अति गंभीर मुद्दों पर शांता कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने अत्यंत ही महत्वपूर्ण निर्णय दिया था। संसद के इतिहास में राज्यसभा की वाणिच्य संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने सिने-अभिनेता आमिर खान को समिति की बैठक में आमंत्रित कर संसदीय इतिहास में एक नया रिकॉर्ड दर्ज किया था। आमिर खान ने जेनेरिक दवाइयों पर राय समिति के समक्ष प्रस्तुत की थी। इस समिति ने देश में जेनेरिक दवाइयों के इस्तेमाल को कानूनी बाध्यता बनाने का सुझाव दिया था।
लोकसभा की सार्वजनिक उपक्रम समिति के अध्यक्ष के रूप में घाटे के सार्वजनिक उपक्रमों पर भी शांता कुमार ने समिति के अध्यक्ष के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे। इन समितियों का अधिकांश कार्य और संचालन अंग्रेजी भाषा में ही होता था। शांता कुमार के अध्यक्ष बनने के बाद इन समितियों का सारा कार्य हिंदी में होने लगा। अधिकांश दक्षिण भारत के सांसद भी हिंदी में ही अपने विचार व्यक्त करते थे। शांता की यह उपलब्धि उल्लेखनीय है।
उनका सक्रिय राजनीतिक जीवन उपलब्धियों भरा रहा है। जीवन भर पूर्ण निष्ठा से पार्टी के प्रति समर्पित शांता कुमार ने प्रदेश और देश में पार्टी के वफादार सिपाही की तरह अपनी सेवाएं प्रदान कीं। वह हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के आधार-स्तंभों में रहे हैं। जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी तक का सफर पिछले छह दशक में शांता कुमार ने ईमानदारी और निष्ठा से पूर्ण किया है। उम्र के इस पड़ाव पर भी शांता मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। उनकी दिनचर्या सुबह ध्यान और योग से प्रारंभ होती है। उनकी दूरदर्शिता और योग को समर्पित जीवनचर्या का परिणाम ही है जो उनके द्वारा संचालित प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग केंद्र 'कायाकल्प' विश्वख्याति प्राप्त कर रहा है।