Move to Jagran APP

आयुर्वेदिक दवाइयों पर निरंतर शोध की जरूरत : शांता कुमार

आज पूरी दुनिया भारत को योग और आयुर्वेद के नजरिये से देख रही है। जिस प्रकार एलोपेथिक दवाइयों के ऊपर निरंतर शोध किए जा रहे हैं, उसी प्रकार समय की आवश्यकता के अनुरूप आयुर्वेदिक दवाइयों पर निरंतर शोध की जरूरत है। यह शब्द कांगड़ा चम्बा के सांसद और

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 06:09 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 06:09 PM (IST)
आयुर्वेदिक दवाइयों पर निरंतर शोध की जरूरत  : शांता कुमार
आयुर्वेदिक दवाइयों पर निरंतर शोध की जरूरत : शांता कुमार

संवाद सूत्र, पपरोला : आज पूरी दुनिया भारत को योग व आयुर्वेद के नजरिये से देख रही है। जिस प्रकार एलोपेथिक दवाइयों के ऊपर निरंतर शोध किए जा रहे हैं, उसी प्रकार समय की आवश्यकता के अनुरूप आयुर्वेदिक दवाइयों पर निरंतर शोध की जरूरत है। यह बात कांगड़ा-चंबा के सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने राजकीय आयुर्वेदिक स्नातकोत्तर महाविद्यालय पपरोला में दो दिवसीय राष्ट्रीय कांफ्रेंस में कही। 'आयुर्वेदिक शिक्षा और आज का वर्तमान' विषय पर आयोजित सेमिनार में उन्होंने कहा कि आज समय की जरूरतों को ध्यान में रखकर आयुर्वेद की ओर लोग काफी आशा की नजरों से देख रहे हैं। एलोपेथिक दवाइयों में तो साइड इ़फेक्ट होता है जबकि आयुर्वेद की दवाइयों में ऐसा नहीं है। उन्होंने उपस्थित शोधकर्ताओं से आग्रह किया कि वे यहां पर मिल बैठकर ऐसा प्रयास करें, जिससे कि आयुर्वेद की निरंतरता और ज्यादा बढ़े।

loksabha election banner

उन्होंने पिछले दिनों के अपने स्मरण याद किए कि कैसे 1978 में उन्होंने अपनी सरकार के समय में वैद्य, हकीम परिषद की ओर से 1972 में स्थापित किए आयुर्वेदिक कॉलेज का सरकारीकरण किया था। उन्होंने कहा कि इस कॉलेज को देश के सर्वश्रेष्ठ दस स्थानों में जगह मिली है।

इससे पहले आयुर्वेद विभाग की सयुंक्त सचिव राखी ¨सह ने अपने संबोधन में कहा कि इस संस्थान को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद का दर्जा दिलाने के लिए एक प्रस्ताव हिमाचल सरकार की ओर से केंद्र सरकार को भेजा गया है। 70 लाख रुपये की राशि चिकित्सालय में मूलभूत सुविधाओं के सुधार के लिए स्वीकृत की गई है। उन्होंने महाविद्यालय को ऐसे सेमिनार आयोजित करने पर बधाई दी। इस सेमिनार में कुल छह सत्र होंगे। इसमें 220 शोधार्थी अपने शोधपत्र पढ़ेंगे। इन शोधपत्रों को पढ़ने वाले उत्कृष्ट वक्ताओं को प्रथम द्वितीय और तृतीय पुरस्कार दिया जाएंगे।

इससे पहले ¨प्रसिपल डॉ. वाईके शर्मा ने मुख्यातिथि और अन्य लोगों का स्वागत किया। इस अवसर पर जामनगर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद के भूतपूर्व निदेशक अनूप ठाकुर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जयपुर के निदेशक अजय शर्मा, उपनिदेशक आयुर्वेद तेजस्वी विजय आजाद, पूर्व प्रशासक आयुर्वेद महाविद्यालय पपरोला डॉ. सुरेश, एसडीएम विकास शुक्ला और बाहर के प्रदेश से आए विभिन्न आयुर्वेद के चिकित्सकों ने भाग लिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.