एक मंच पर जुट कोरोना की काट ढूंढ रहे विज्ञानी, गुरजौत कौर कर रहीं भारत का नेतृत्व; जानिए
कोरोना संकट में अमेरिका की माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने दुनिया के वैज्ञानिकों के लिए अपने सुपर कंप्यूटर और वर्चुअल मशीनों सहित अन्य प्लेटफार्म के अधिकार खोल दिए हैं
सोलन, सुनील शर्मा। कोरोना संकट में अमेरिका की माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने दुनिया के विज्ञानियों के लिए सुपर कंप्यूटर व वर्चुअल मशीनों सहित अन्य प्लेटफार्म उपलब्ध करवाए हैं। इसमें शूलिनी विश्वविद्यालय सोलन में स्कूल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंस की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. गुरजोत कौर भारत की ओर से कोरोना पर दवा बनाने के लिए प्रतिनिधित्व कर रही हैं। वह इन दिनों माइक्रोसॉफ्ट की तकनीकों से देश व हिमालय में मौजूद औषधियों पर रिसर्च कर रही हैं। कंप्यूटर के जरिये की जा रही इस खोज को इंसिलिको कहा जाता है। सफलता के बाद इसका क्लीनिकल ट्रायल किया जाएगा।
डॉ. गुरजोत कौर के प्रोजेक्ट को माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने चुना है। यह पहला मौका होगा जब अमेरिका की नामचीन कंपनी ने डॉ. गुरजोत कौर को वे सभी मशीनें व प्लेटफार्म उपलब्ध करवाए हैं जिनकी उन्हें जरूरत थी। उनकी दुनिया के विज्ञानियों से बातचीत करवाने के लिए सप्ताह में एक-दो बार मीङ्क्षटग भी करवाई जा रही हैं।
प्रोजेक्ट का 20 फीसद काम पूरा
डॉ. गुरजोत ने बताया वह अपने प्रोजेक्ट पर 20 फीसद तक काम पूरा कर चुकी हैं। वह अब आधुनिक मशीनों के बारे में समझ चुकी हैं और अब आगे के कार्य में तेजी आएगी। उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट कंपनी को वेबसाइट पर अप्रैल में प्रोजेक्ट भेजा था। तीन दिन के बाद ईमेल के माध्यम से उन्हें मंजूरी की जानकारी मिली। इसके बाद कंपनी की उनके साथ फोन पर बात हुई। इस दौरान उन्हें पता चला कि अब वह माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के साथ अपने प्रोजेक्ट को पूरा कर सकेंगी।
कोरोना पर बना रही हैं दवा
डॉ. गुरजोत इन दिनों कोविड-19 की एंटी वायरल की दवा तैयार करने के लिए जुटी हुई हैं। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट में उन्हें छात्रों का भी सहयोग मिला है। उनके साथ एक मंच पर फ्रांस, अमेरिका, इटली, जर्मनी सहित कई देशों के विज्ञानी बातचीत कर रहे हैं। कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर के जरिए हम पता लगा रहे हैं कि यह दवा कोरोना के मरीज को ठीक कर सकती है या नहीं।
दिल्ली की रहने वाली
डॉ. गुरजोत कौर दिल्ली की निवासी हैं और एक वर्ष से शूलिनी विश्वविद्यालय में सेवारत हैं। वह विदेश में भी पढ़ाई कर चुकी हैं। कोविड-19 की दवा बनाने की तरफ बढ़ते उनके कदम भारत को नई ऊंचाइयों की तरफ ले जा सकते हैं। शूलिनी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो. पीके खोसला व प्रबंधक विशाल आनंद ने डॉ. गुरजोत को सहयोग देने का आश्वासन दिया है।
दुनियाभर के विज्ञानियों ने किया था आवेदन
दुनियाभर के विज्ञानियों ने कंपनी को आवेदन किया था और कुछ प्रोजेक्ट को माइक्रोसॉफ्ट ने चुना और उन्हें मशीनरी उपलब्ध करवाई। इस प्रोजेक्ट को हाई परफार्मेंस कंप्यूङ्क्षटग (एचपीसी) कंसोर्टियम कोविड 19 के माध्यम से फंड दिया जा रहा है। डॉ. गुरजोत के प्रोजेक्ट को माइक्रोसॉफ्ट ने एआइ यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नाम दिया है।