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शांता कुमार बोले, संपूर्ण आजादी के बाद हम सबसे जुदा हो गईं सुषमा स्‍वराज

शांता कुमार ने कहा भारतीय राजनीति की एक संवेदनशील स्नेहपूर्ण प्रखर वक्ता और सफल नेता सुषमा स्वराज कश्मीर की संपूर्ण आजादी के बाद हम सबसे जुदा हो गई हैं।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 03:38 PM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 03:45 PM (IST)
शांता कुमार बोले, संपूर्ण आजादी के बाद हम सबसे जुदा हो गईं सुषमा स्‍वराज
शांता कुमार बोले, संपूर्ण आजादी के बाद हम सबसे जुदा हो गईं सुषमा स्‍वराज

धर्मशाला, जेएनएन। भाजपा के वरिष्‍ठ नेता एवं पूर्व मुख्‍यमंत्री शांता कुमार ने पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज के आकस्मिक निधन पर दुख व्‍यक्‍त किया है। उन्‍होंने कहा भारतीय राजनीति की एक संवेदनशील, स्नेहपूर्ण प्रखर वक्ता और सफल नेता सुषमा स्वराज कश्मीर की संपूर्ण आजादी के बाद हम सबसे जुदा हो गई हैं। उन्‍होंने कहा सुषमा के साथ मेरा 1977 से परिचय था। जब मैं हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री बना था और सुषमा स्वराज हरियाणा से केंद्रीय मंत्री बनी थीं। सुषमा और मैं चंडीगढ में गीता जयंती के कार्यक्रम में मिले थे, तब से लेकर लगातार उनसे मेरा निकट का संबंध रहा। वह हिमाचल प्रदेश की प्रभारी भी रहीं। उन्हें मेरी श्रद्धांजली तथा उनके परिवार के प्रति संवेदना है।

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सुषमा स्‍वराज जब धूमल से बोलीं, आपने तो नई नवेली दुल्‍हन को टिकट दे दिया

सुषमा स्वराज जिला कांगड़ा के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र में दो बार आई थीं। पहली बार वे 2003 में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश सरकार में वर्तमान शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी के पक्ष में चुनावी रैली करने आई थी। सुषमा ने उस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए सरवीण के पक्ष में वोट देने की अपील करते हुए लोगों को खूब हंसाया भी था। सुषमा ने मंच से सरवीण के लिए कहा था 'धूमल जी आपने तो नई नवेली दुल्हन को टिकट देकर राजनीति में उतार दिया। सुषमा इसके बाद 2004 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी शांता कुमार के पक्ष में वोट मांगने शाहपुर के हारचक्कियां भी आई थीं। सरवीण चौधरी के साथ भी सुषमा के गहरे संबंध थे। सरवीण चौधरी की जीत पर वे बधाई देना नहीं भूलती थी। सरवीण नम आंखों से सुषमा के साथ बिताए हुए पलों को याद करते हुए कहती हैं कि वे बहुत ही मिलनसार और दमदार नेता थीं। उनके साथ उन्हें कई पल बिताने का मौका मिला। वे जब भी मिलती थीं मुझे नाम से पुकारती थी तथा हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देती थी। सरवीण का कहना है कि उनका अचानक चले जाना उनके लिए व्यक्तिगत बहुत बड़ी क्षति है।

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