हिमाचल के स्कूलों में तीसरी कक्षा से संस्कृत अनिवार्य, हिंदी की किताब में शामिल होंगे पाठ
राज्य के सरकारी स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र से तीसरी कक्षा से ही संस्कृत पढ़ाई जाएगी। नई शिक्षा नीति के तहत यह बदलाव होगा। मंगलवार को शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इस पर अंतिम मुहर लगी है।
शिमला, जागरण संवाददाता। राज्य के सरकारी स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र से तीसरी कक्षा से ही संस्कृत पढ़ाई जाएगी। नई शिक्षा नीति के तहत यह बदलाव होगा। मंगलवार को शिक्षा मंत्री गोङ्क्षवद ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इस पर अंतिम मुहर लगी है। बैठक में निर्णय लिया गया कि तीसरी से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाई जाने वाली ङ्क्षहदी की पुस्तक में ही संस्कृत के दो-दो चैप्टर जोड़े जाएंगे। जेबीटी शिक्षक बच्चों को संस्कृत पढ़ाएंगे। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा।
1800 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में संस्कृत विषय शुरू करने का भी निर्णय लिया गया है। इसके लिए शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। यह मामला मंत्रिमंडल की बैठक में जाएगा। बैठक में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर चर्चा की गई। अधिकारियों ने बताया कि नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद कोई भी कालेज व विश्वविद्यालय ङ्क्षसगल फैकल्टी के शुरू नहीं हो सकता है। उन्हें कई कोर्स शुरू करने होंगे। यदि संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना होती है तो बाद में दिक्कत आएगी। विवि की स्थापना के लिए बनी कमेटी को इस पर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। कमेटी में कुछ नए सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा। इस मौके पर सचिव शिक्षा राजीव शर्मा, निदेशक उच्चतर शिक्षा डा. अमरजीत शर्मा, निदेशक प्रारंभिक शिक्षा पंकज ललित व भाषा एवं संस्कृत विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
संस्कृत शिक्षकों का बढ़ेगा काडर, सरकार को भेजा जाएगा प्रस्ताव
बैठक में संस्कृत शिक्षकों के पद सृजित करने की मांग उठी। संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा देने के बाद इसके प्रचार-प्रसार पर भी चर्चा हुई। अधिकारियों ने कहा कि संस्कृत शिक्षकों के पदों को बढ़ाना पड़ेगा। बैठक में निर्णय लिया कि विभाग इसका खाका तैयार कर रिपोर्ट सरकार को भेजेगा। अंतिम फैंसला सरकार लेगी। शास्त्री शिक्षकों को टीजीटी पदनाम देने का मामला मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी कमेटी को भेजने का निर्णय लिया है।
अधिकारियों को प्रदेश गीत की रचना करने के निर्देश
शिक्षा मंत्री ने ङ्क्षहदी दिवस पर भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने अधिकारियों को आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रदेश गीत की रचना करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस गीत में प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों व गुमनाम योद्धाओं की वीर गाथाओं को शामिल किया जाएगा। गीत की रचना के बाद प्रदेश में होने वाले राज्यस्तरीय कार्यक्रमों में इसका गायन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्वर्ण जयंती समारोह व आजादी के अमृत महोत्सव को समाहित कर राज्यस्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।