Move to Jagran APP

गुलाब ने बिखेरी समृद्धि की खुशबू, अाठ लाख रुपये लीटर बिक रहा तेल Kangra News

National Rose Day प्रदेश में कंटीली झाड़ी वाला गुलाब समृद्धि की खुशबू बिखेर रहा है। मूलत यह बुल्गारिया का है और इसका वैज्ञानिक नाम रोसा डेमिलिस्या है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 10:49 AM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 11:03 AM (IST)
गुलाब ने बिखेरी समृद्धि की खुशबू, अाठ लाख रुपये लीटर बिक रहा तेल Kangra News
गुलाब ने बिखेरी समृद्धि की खुशबू, अाठ लाख रुपये लीटर बिक रहा तेल Kangra News

पालमपुर, शारदाआनंद गौतम। प्रदेश में कंटीली झाड़ी वाला गुलाब समृद्धि की खुशबू बिखेर रहा है। मूलत: यह बुल्गारिया का है और इसका वैज्ञानिक नाम रोसा डेमिलिस्या है। इसके फूल से गुलाब जल और तेल बनाया जाता है। करीब एक से डेढ़ हेक्टेयर क्षेत्र में इसे लगाने से किसानों को लाभ मिलता है। एक लीटर गुलाब तेल बाजार में सात से आठ लाख रुपये में बिकता है। गुलाब जल तीन सौ से चार सौ रुपये प्रति लीटर की दर से मार्केट में मिलता है। गुलाब का पौधा लगाने के तीसरे साल फूल देना शुरू कर देता है और 15 से 20 साल तक चलता है। प्रदेश में किसान इसे खेतों के साथ-साथ लगा रहे हैं। इससे जंगली जानवरों से फसल की रक्षा होती है, क्योंकि इसके तीखे कांटों में उनका घुसना कठिन हो जाता है।

loksabha election banner

वर्ष 1990 से हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आइएचबीटी) पालमपुर में गुलाब पर काम किया जा रहा है। वर्ष 2017 में अरोमा मिशन के कारण देश की पांच सीएसआइआर लैबों में सुगंधित फसलों के लिए कार्य शुरू हुआ है। कट फ्लावर के रूप में गुलाब की प्रजातियों के लिए प्रदेश की आबोहवा उपयुक्त नहीं थी। ऐसे में कंटीली झाडिय़ों वाले गुलाब पर शोध हुआ और इसके नतीजे उत्साहवर्धक रहे हैं। अब प्रदेश में जिला शिमला के रामपुर, कांगड़ा के पालमपुर, सिद्धबाड़ी, धर्मशाला और मंडी के थुनाग में इसकी खेतीबाड़ी की जा रही है।

सुगंधित फसलों पर काम कर रहीं सीएसआआर लैब

देश की पांच सीएसआइआर लैब सुगंधित फसलों पर काम कर रही हैं। पालमपुर में किसानों को प्रशिक्षण के साथ-साथ बाजार भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। गुलाब जल व तेल निकालने के लिए प्रसंस्करण यूनिट लगाने में भी संस्थान मदद कर रहा है। दो से चार क्विंटल वाली प्रसंस्करण यूनिट सात से आठ लाख रुपये में लगाई जाती है। एक हेक्टेयर भूमि में लगाने पर 25 से 30 क्विंटल उत्पादन होता है और इससे एक लीटर गुलाब तेल निकाला जाता है। अप्रैल व मई में यह खिलता है। सुबह के समय ही इसे तोड़ा जाता है। -डॉ. संजय कुमार, निदेशक हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर।

कंटीले गुलाब का इस्तेमाल

गुलाब जल का खाद्य प्रसंस्करण, सौंदर्य प्रसाधन और स्वास्थ्यवर्धक के तौर पर आंखों में ताजगी लाने के लिए प्रयोग किया जाता है। शरीर की मसाज के लिए भी इसका प्रयोग होता है। धार्मिक आयोजन में गुलाब का प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.