टांडा : बांड मनी के विरोध में रेजीडेंट डॉक्टरों की पेन डाउन हड़ताल
resident doctors pen down strike, डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा के रेजिडेंट डॉक्टरों ने पेन डाउन हड़ताल शुरू कर दी है।
जेएनएन, कांगड़ा। डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा के रेजिडेंट डॉक्टरों ने सरकार के खिलाफ फिर से संघर्ष का बिगुल बजा दिया है। उन्होंने सरकार को मांगें पूरी न करने पर पेन डाउन हड़ताल शुरू कर दी है। रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए) के अध्यक्ष डॉ. अमित राणा व महासचिव डॉ. अभिनव राणा की अगुआई में सुबह साढ़े नौ बजे से पेन डाउन हड़ताल कर दी। इस कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
एसोसिएशन डॉक्टरों पर लागू होने वाली बैंक गारंटी व बांड की शर्त को समाप्त करने की मांग कर रही है। इनका कहना है अधिकांश पीजी छात्र गरीब, साधारण व मध्यम आय पृष्ठभूमि से संबंधित हैं तथा उनके लिए इतनी बड़ी राशि देना संभव नहीं होगी। क्योंकि उनके पास पांच लाख रुपये भी नहीं हैं। पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान एमडी, एमएस, डीएनबी, डीएम व एमसीएच पाठ्यक्रमों के दौरान भरे जाने वाले 40 लाख व 60 लाख के बांड में माता-पिता के रूप में दो गारंटी शामिल करके उनके बूढ़े मां-बाप के ऊपर मानसिक तनाव का बोझ डाला जा रहा है, जोकि अन्याय है। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा डॉक्टरों का शिक्षा प्राप्त करना जन्मसिद्ध अधिकार है तथा शिक्षा प्राप्ति के दौरान बांड की मांग संविधान के सार के विरुद्ध है। वहीं आइआइटी तथा आइआइएम के विद्यार्थी ट्रेनिंग के दौरान जनहित में कोई भी सेवा नहीं देते हैं। उन्होंने कहा प्रशिक्षु डॉक्टरों की ओर से तीन साल तक दिन-रात दी जाने वाली सेवाओं को सराहा जाना चाहिए जबकि उन्हें वित्तीय बोझ डाल कर बैंक गारंटी के लिए मजबूर किया जा रहा है।
टेमकोट के अध्यक्ष आरएस जसवाल व महासचिव आरके अबरोल का कहना है कि उनकी एसोसिएशन 40 लाख रुपये के बांड एवं बैंक गारंटी को समाप्त करने का समर्थन करती है। इस प्रकार के बांड को भारत के अन्य शिक्षा संस्थान आइआइटी/आईआईएम में मजबूर नहीं किया जाता है। छात्र संस्थान एवं मेडिकल कॉलेज की रीढ़ हैं, वे दिन-रात 24 घंटे समाज की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने हैरानी व्यक्त करते हुए कहा पीजी छात्रों को हिमाचल में 35,000 रुपये प्रतिमाह स्टाईपेंड का भुगतान किया जा रहा है। लेकिन दिल्ली जैसे राज्य में 80,000 रुपये दिया जाता है। उन्होंने प्रदेश सरकार को बांड व गारंटी से छूट देने का अनुरोध किया है।