महिलाओं ने तैयार की चीड़ और बांस के पत्तों से इको फ्रेंडली राखियां, मुख्यमंत्री ने भी की सराहना
Raksha Bandhan 2020 बागपशोग और मोगीनंद पंचायत के महिला स्वयं सहायता समूहों ने एक राखी से कई संदेश देने का प्रयास किया है।
शिमला, रमेश सिंगटा। सिरमौर के बागपशोग और मोगीनंद पंचायत के महिला स्वयं सहायता समूहों ने एक राखी से कई संदेश देने का प्रयास किया है। महिलाओं ने चीन की राखियों का नया विकल्प तलाशा है। पहली बार चीड़ और बांस के पत्तों से इको फ्रेंडली राखियां तैयार की हैं। इससे आत्मगौरव की अनुभूति तो होगी ही पर्यावरण बचाव का भी संदेश मिलेगा। राखी के साथ बीज का मिश्रण है। जमीन में दबाने पर इससे पौधे उगेंगे। अभी सरसों और गेंदे के फूल के पौधे उग सकेंगे। 'मेड इन सिरमौर ' ब्रांड की एक राखी शुक्रवार को डीआरडीए की परियोजना अधिकारी कल्याणी गुप्ता ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भेंट की। मुख्यमंत्री ने राखियां बनाने के प्रयासों की सराहना की।
महिलाओं में जताई उम्मीद
आशा स्वयं सहायता समूह की की सक्रिय सदस्य वंदना व परीक्षा देवी ने प्रशासन की मदद से अनूठे प्रयास किए हैं। ये प्रयास नाहन के पच्छाद ब्लॉक में किए गए हैं। एक राखी की कीमत दस से तीस रुपये तक रखी गई है। दिवाली पर इको फ्रेंडली और उत्पाद तैयार करेंगे।
राखियां 'मेड इन सिरमौर' कार्यक्रम के तहत उपलब्ध
'मेड इन सिरमौर' कार्यक्रम के तहत जिला में राखियां बिक्री के लिए उपलब्ध करवाई जा रही है। इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध होगा। इन राखियों के उपयोग के बाद गमलों में डालकर इनसे पौधे उगाए जा सकते हैं। इस प्रकार के उत्पाद तैयार करने से जिला को एक अलग पहचान मिलेगी। इन राखियों के अतिरिक्त विक्रय केंद्र में बांस से बने उत्पाद, अचार, बच्चों के परिधान, कपड़ों के थैले और मास्क भी रखे गए हैं। -डॉ. आरके परूथी, उपायुक्त सिरमौर।
ये हैं समूह
इस विक्रय केंद्र में एकता स्वंय सहायता समूह अंधेरी, आशा स्वयं सहायता समूह मोगिनंद, लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह गाड्रा, प्रगति स्वयं सहायता समूह भूड़ी, जय स्वयं सहायता समूह शम्भूवाला, शिव स्वयं सहायता समूह ददाहु के उत्पाद विक्रय के लिए रखे गए हैं।
महिलाओं ने अच्छी पहल की है। करीब 50 महिलाओं ने इस दिशा में प्रयास किए हैं। इससे महिलाओं की आर्थिकी भी सशक्त होगी। -कल्याणी गुप्ता, जिला परियोजना अधिकारी, नाहन।