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राज कुमार ने टेलरिंग छोड़ पशु पालन में चुनी आत्मनिर्भरता की राह, सरकार ने भी की मदद, अब कमा रहे मुनाफा

Dairy Farming Subsidy युवा वर्ग अब पशुपालन से व्यवसाय की राह चुनकर आत्मनिर्भर बन रहे हैं। प्रदेश सरकार द्वारा चलाई संचालित की जा रही योजनाओं का लाभ लेकर बंगाणा उपमंडल के अंतर्गत आने वाले पडयोला गांव के निवासी राज कुमार ने भी आत्मनिर्भरता की राह चुनकर मिसाल प्रस्तुत की है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 06:49 AM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 07:59 AM (IST)
राज कुमार ने टेलरिंग छोड़ पशु पालन में चुनी आत्मनिर्भरता की राह, सरकार ने भी की मदद, अब कमा रहे मुनाफा
युवा वर्ग अब पशुपालन से व्यवसाय की राह चुनकर आत्मनिर्भर बन रहे हैं।

ऊना, संवाद सहयोगी। युवा वर्ग अब पशु पालन से व्यवसाय की राह चुनकर आत्मनिर्भर बन रहे हैं। प्रदेश सरकार द्वारा चलाई संचालित की जा रही योजनाओं का लाभ लेकर बंगाणा उपमंडल के अंतर्गत आने वाले पडयोला गांव के निवासी राज कुमार ने भी आत्मनिर्भरता की राह चुनकर मिसाल प्रस्तुत की है। इससे पहले वह टेलरिंग का काम करते थे। जिससे माह में घर का खर्चा करना बहुत मुश्किल था। लेकिन राज कुमार ने वर्ष 2018 में पशु पालन विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के तहत डेयरी फार्मिंग का काम आरंभ किया। राज कुमार बताते हैं कि वर्तमान में 15 दुधारू पशुओं का पालन कर रहे है, जिनमें सात भैंस और दो गाय दूध दे रही हैं। जिससे अच्छी आमदनी हो रही है। एक भैंस करीब 15 से 18 लीटर दूध देती है,, जिसे वह 65 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं, जबकि दही व पनीर का भी काम करते हैं। माह में काफी अच्छी इनकम कमाते है।

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पशु पालन विभाग के डॉक्टर डेयरी फार्मिंग में उनकी मदद कर रहते हैं। समय-समय पर पशुओं में होने वाले रोगों के उपचार बारे तथा पशुओं के दूध की गुणवत्ता को बढ़ाने की महत्वपूर्ण सलाह भी दे रहे हैं। इसके लिए पशु पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर व प्रदेश सरकार का यहां आभार है। सभी के सहयोग से काम अच्छा चल रहा है।

राज कुमार ने कहा कि बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्रदान करने और किसानों की आय को बढ़ाने के मकसद से प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है। जिनका लाभ युवा ले सकते हैं।

डेयरी फार्मिंग के लिए सरकार दे रही अनुदान

वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी बंगाणा डॉ. सतिंदर ठाकुर ने कहा नाबार्ड के तहत सरकार डेयरी फार्मिंग के लिए अधिकतम 10 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान करती है। जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 25 प्रतिशत तथा एससी-एसटी के लिए 35 प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध करवाई जाती है। बंगाणा उपमंडल में डेयरी फार्मिंग के प्रति युवाओं का रुझान बढ़ा है। पढ़ा-लिखा वर्ग भी पशु पालन के माध्यम से जुड़ रहा है। पशु पालन विभाग के डॉक्टर प्रगतिशील किसानों की हर संभव सहायता करने को तत्पर हैं।

जिला को बनाएंगे पशु पालन का हब

प्रदेश सरकार ऊना जिला को पशु पालन का हब बनाने का प्रयास कर रही है। किसानों को पशु पालन विभाग के माध्यम से न सिर्फ उन्नत नस्ल के दुधारू पशु खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। बल्कि जिला ऊना में पशु पालन के लिए आधारभूत ढांचा भी सुदृढ़ किया जा रहा है। बरनोह में पशुओं के लिए आंचलिक अस्पताल का भवन 10 करोड़ रुपये की लागत से निर्माणधीन है। आठ करोड़ रुपए की लागत से डंगेहड़ा में मुर्राह प्रजनन फार्म भी खोला जा रहा है। इसके अतिरिक्त बसाल में 350 कनाल भूमि पर 47.50 करोड़ रुपए की लागत से डेयरी का उत्कृष्ठता केंद्र खोला जा रहा है। जिसके लिए भूमि का चयन किया जा चुका है। जिला ऊना के किसान व पशुपालकों के लिए यह सारी सुविधाएं मील का पत्थर साबित होंगी। पड़ोसी जिलों को भी आने वाले समय में इनका लाभ मिलेगा।


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