हिमाचल का कर्ज चुका सकता है कांगड़ा का खैर
हिमाचल का 50 हजार का कर्जा अकेले कांगड़ा का खैर चुका सकता है। खैर का खजाना बर्बाद हो रहा है। इसे वन काटू काट रहे हैं। कई ठेकेदारों की चांदी हो रही है। यह बात योजना विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने कही। प्रश्नकाल के दौरान उन्होंने खैर से पाबंदी हटाने का मामला उठाया।
राज्य ब्यूरो, धर्मशाला : हिमाचल का 50 हजार का कर्ज अकेले कांगड़ा का खैर चुका सकता है। खैर का खजाना बर्बाद हो रहा है। इसे वन काटू लूट रहे हैं। कई ठेकेदारों की चांदी हो रही है। प्रश्नकाल के दौरान योजना विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने खैर से पाबंदी हटाने का मामला उठाया। दैनिक जागरण ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था। विपक्ष की गैर मौजूदगी में धवाला ने इसे सदन में जोरदार तरीके से उठाया। डॉ. राजीव ¨बदल ने उन्हें बीच में टोका। कहा कि वह सवाल पूछें भाषण न दें, लेकिन विधायक नहीं रुके।
बाद में वनमंत्री गो¨वद ठाकुर ने कहा कि रमेश धवाला ने उनका कार्य आसान कर दिया। उन्होंने सवाल तो उठाया ही जवाब भी खुद ही दे दिया। इस पर ¨बदल ने कहा कि क्या आप विधायक के पक्ष से सहमत हैं? जवाब में मंत्री ने कहा कि हिमाचल में वन कटान पर 1983 से रोक है। तबसे अब तक प्रदेश को करीब नौ हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की देखरेख में 3 रेजों भराड़ी, नूरपुर, पांवटा में खैर, चीड़, साल काटने की अनुमति मिली है। यह अनुमति प्रायोगिक आधार पर मिली है। हां, राज्य में सूखे और गिरे हुए पेड़ों को जरूर काटा जाएगा। ऐसे पेड़ों की संख्या 8614 हैं। इन्हें वन निगम के माध्यम से जल्द काटा जाएगा। इससे राज्य को अढ़ाई करोड़ की रॉयल्टी आएगी। नए जंगलों को उगाने के लिए प्रयास हो रहे हैं। सूखी लकड़ी से फर्नीचर तैयार होगा। विभाग भी खरीद सकेंगे।