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ट्रैक पर रफ्तार पकड़ेगा पर्यटन कारोबार

कभी शानन पावर प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए अंग्रेजों की ओर से तैयार किए गए पठानकोट-जोगें

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 06:00 AM (IST)
ट्रैक पर रफ्तार पकड़ेगा पर्यटन कारोबार
ट्रैक पर रफ्तार पकड़ेगा पर्यटन कारोबार

कभी शानन पावर प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए अंग्रेजों की ओर से तैयार किए गए पठानकोट-जोगेंद्रनगर नेरोगेज ट्रैक से अब पर्यटन विकास की उम्मीद बढ़ी है। पहली बार हुआ है कि इस ट्रैक में चलने वाली रेलगाड़ियों के जरिये पर्यटन को आगे बढ़ाने पर विचार हुआ और पर्यटकों के लिए विशेष डिब्बा लगाने की रेल मंत्री ने घोषणा की है। शिमला दौरे पर पहुंचे रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस ट्रैक में चलने वाली रेलगाड़ियों में भी एक विशेष डिब्बा पर्यटकों के लिए लगाया जाएगा। रेल मंत्री के इस बयान का यहां भी स्वागत होने लगा है।

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लंबे समय बाद हुई सुविधाओं में बढ़ोतरी

लंबे समय से ठहरे हुए इस रेलमार्ग में सुविधाओं में बढ़ोतरी हुई है। डीजल इंजनों को बदलकर अब नए पावरफुल इंजन उतार दिए गए हैं। 164 किलोमीटर लंबे इस ट्रैक में ट्रेनों की गति बढ़ाने व सुरक्षा को मजबूत करने के लिए पूरे रेल मार्ग में रोड़ी बिछाने का कार्य अंतिम चरण में है। कोरोना महामारी के कारण यह मार्ग लंबे समय तक बंद रहा है। ऐसे में यहां जैसे ही सभी रेलगाड़ियां बहाल हो जाती हैं तो यहां शुरू की गई एक्सप्रेस ट्रेन भी लोगों के लिए सुविधादायक हो सकती है।

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कांगड़ा घाटी रेल को मिली सौगात

-कांगड़ा घाटी रेल को 11 नए इंजन मिलेंगे। इनमें से तीन ट्रैक में उतार दिए गए हैं।

-पठानकोट-बैजनाथ-पपरोला के बीच एक एक्सप्रेस ट्रेन चलाई गई है।

-अब सभी रेलगाड़ियों के साथ पर्यटकों के लिए विशेष डिब्बा जुड़ेगा।

- कई बड़े स्टेशनों को आधुनिक ढंग से विकसित किया जा रहा है।

-कई सालों बाद ट्रैक को ट्रेनों की गति बढ़ाने व सुरक्षित करने की दिशा में कार्य शुरू हुआ है।

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1929 में शुरू हुआ था रेल सफर

पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेलमार्ग का कार्य मई 1926 को शुरू हुआ था। तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने इस मार्ग का निर्माण जोगेंद्रनगर के समीप शानन पावर प्रोजेक्ट बनाने के लिए मशीनरी पहुंचाने के लिए किया था। पहली अप्रैल 1929 को यह रेलमार्ग तैयार हो गया था। इस मार्ग में 950 छोटे-बड़े पुल व दो सुरंगें हैं। इस मार्ग में बैजनाथ-पपरोला से लेकर पठानकोट तक छह गाड़ियां अप-डाउन करती हैं। पपरोला से जोगेंद्रनगर के बीच दो ट्रेनें अप-डाउन करती हैं। आजकल कोरोना के कारण बने हालात में केवल एक ट्रेन ही अप-डाउन कर रही है।

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-रेलगाड़ी में पर्यटकों के लिए एक अतिरिक्त डिब्बा जोड़ने की रेलमंत्री पीयूष गोयल की घोषणा स्वागत योग्य है। रेल विभाग से यही निवेदन रहेगा कि इस डिब्बे को जोगेंद्रनगर तक ले जाया जाए और आने वाले समय में इस मार्ग भी पर्यटकों के लिए एक अलग विशेष रेलगाड़ी चलाई जाए।

- राजीव जम्वाल, एमडी, टाइगर टीम एडवेंचर, बीड़।

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कांगड़ा घाटी रेल कई साल से पर्यटकों को आकर्षित करती है मगर इसमें पर्यटकों के लिए सुविधाएं नहीं थीं। अब सरकार ने इस ओर ध्यान दिया है। रेल मंत्री की शिमला में की गई घोषणा स्वागत योग्य है। - मनु हियुरी, एमडी, मनु एडवेंचर, धर्मशाला।

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पठानकोट-जोगेंद्रनगर मार्ग में सबसे ऊंचाई वाला रेलवे स्टेशन ऐहजू में स्थित है। यह बीड़-बिलिग के निकट है। ऐसे में रेल विभाग इस स्टेशन के जरिये बीड़ बिलिग तक पर्यटकों को लाने के लिए भी विशेष रेलगाड़ी शुरू कर सकता है। विभाग के प्रयास सराहनीय हैं।

अरविद पाल, एमडी, बिलिग पाल एडवेंचर, बीड़। -रेल मंत्री की घोषणा सराहनीय है। पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेलमार्ग काफी अच्छा है। यहां से पर्यटक धौलाधार पर्वत श्रृंखला सहित कई प्राकृतिक नजारों को देख सकते हैं। इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।

राकेश नेगी, बैजनाथ

-प्रस्तुति मुनीष दीक्षित, बैजनाथ


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