गणतंत्र दिवस परेड में राजपथ पर दिखी 369 साल से मनाए जा रहे ऐतिहासिक कुल्लू दशहरा की झलक
26 जनवरी को राजपथ पर हुई गणतंत्र दिवस परेड की झांकी में इस बार हिमाचल के कुल्लू के दो देवरथ और 30 देवलुओं ने अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे की झलक पेश की।
कुल्लू, जेएनएन। भगवान रघुनाथ जी की झांकी को देखने के लिए और उसके रथ की डोर को खींचने के लिए आमजन की कतारें लगी रहती हैं। यही नजारा राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड पर 61 साल बाद एक बार फिर देखने को मिला। 26 जनवरी को राजपथ पर हुई गणतंत्र दिवस परेड की झांकी में इस बार हिमाचल के कुल्लू के दो देवरथ और 30 देवलुओं ने अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे की झलक पेश की। ऐसा नहीं की यह पहला मौका है जब देश की राजधानी में गणतंत्र दिवस पर दशहरा उत्सव की झांकी दिखाई गई, इससे पूर्व भी वर्ष 1959 में झांकी दिखाई जा चुकी है।
इस झांकी में आयडू महावीर, शौल कनौन गांव का देवता का रथ दिल्ली गया था। उस रथ के साथ थापे राम कारदार भी गए थे। इस दौरान मिश्रा नामक व्यक्ति ने वहां पर राजा का भी रोल अदा किया गया था और छड़ीबरदार के रूप में अपनी भूमिका निभाई थी। अब 61 साल बाद एक बार फिर कुल्लू की परंपरा दिल्ली से देश दुनिया में दिखाई दी। इसके लिए कुल्लू के देवसदन के म्यूजियम में रखे दो देवरथ के स्टेच्यू और 30 लोगों का दल दिल्ली गया था। इसमें बंजतरी, कारदार, गुर, पुजारी सहित अन्य लोग भी शामिल रहे। इसमें ढोल, नगाड़े, करनाल, नरसिंगों को बजाने के लिए बंजतरी भी गए थे, जिन्होंने दिल्ली के राजपथ पर अपनी कला को प्रदर्शित किया।
क्या कहते हैं छड़ीबरदार व अधिकारी
- कुल्लू जिला के लिए इससे गौरव की बात क्या हो सकती है। इससे पर्यटन को भी पंख लगेंगे। यह दूसरी बार है जब दशहरा उत्सव की झांकी दिखाई जा रही है। इससे पूर्व 1959 में भी इसी तरह की झांकी दिखाई गई थी। -महेश्वर सिंह, मुख्य छड़ीबरदार भगवान रघुनाथ जी।
- दिल्ली में होने वाली झांकी के लिए देवसदन के म्यूजियम में रखे दो देवरथों को दिल्ली ले जाया गया है। इसके साथ 30 सदस्यों का दल भी शामिल रहा। -सुनीला ठाकुर, जिला भाषा अधिकारी कुल्लू।