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अमन की मौत के बाद भी नहीं चैन

कांगड़ा बहुतकनीकी संस्थान में रैगिंग के बाद एक बार फिर से अमन काचरू प्रकरण ताजा हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 12:36 PM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 12:36 PM (IST)
अमन की मौत के बाद भी नहीं चैन
अमन की मौत के बाद भी नहीं चैन

रितेश/बिमल, कांगड़ा

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डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा में एमबीबीएस के प्रथम वर्ष के छात्र अमन काचरू की रैगिग के कारण हुई मौत के बाद भी ऐसी घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। अमन की 8 मार्च, 2009 को मौत हो गई थी और न्यायालय ने दोषियों को कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद केंद्र सरकार के निर्देश पर सभी शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों से रैगिंग न करने का शपथ भरवाना अनिवार्य किया है लेकिन युवाओं में खौफ नहीं है।

इसका प्रमाण है राजकीय बहुतकनीकी संस्थान कांगड़ा के छात्रावास में कंप्यूटर ट्रेड के प्रशिक्षु से हुई रैगिंग। हालांकि इस मामले में बेशक संस्थान प्रबंधन ने तीनों आरोपित प्रशिक्षुओं को निलंबित कर हॉस्टल छोड़ने के निर्देश देने के साथ-साथ मामला पुलिस को सौंप दिया है। इस मामले से पूर्व भी रैगिग के दो केस कांगड़ा जिले में आ चुके हैं। पीड़ित प्रशिक्षु ने संस्थान की एंटी रैगिंग कमेटी को सौंपे शिकायत पत्र में लिखा है कि उससे तीन प्रशिक्षुओं ने नशे में धुत होकर अमानवीय व्यवहार किया है।

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संस्थान की एंटी रैगिंग कमेटी में ये हैं सदस्य

बहुतकनीकी संस्थान कांगड़ा की एंटी रैगिग कमेटी में एक पुलिस अधिकारी, प्रधानाचार्य, मीडिया, संस्थान के विभागीय अध्यक्ष, हॉस्टल वार्डन समेत वरिष्ठ छात्रों समेत कुल 30 सदस्य हैं। जिनका कार्य संस्थान में रैगिग जैसे गंभीर अपराधों की रोकथाम करना है। बुधवार को कमेटी की बैठक में इस मामले को पुलिस के हवाले करने का फैसला लिया गया ताकि इस प्रकार की वारदातें दोबारा न हों।

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ढुगियारी स्कूल में भी हुई थी छात्र की रैगिंग

7 जून, 2015 को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला ढुगियारी में जमा एक के छात्र की भी रैगिंग हुई थी। जमा एक के छात्र की वरिष्ठ साथियों ने बाथरूम में बंद कर पिटाई की थी।

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क्या कहता है कानून

-अगर किसी संस्थान या हॉस्टल में किसी स्टूडेंट (छात्र या छात्रा) को उसके रंगरूप या पहनावे के आधार पर टिप्पणी की जाए और उसके स्वाभिमान को आहत किया जाए तो यह रैगिंग माना जाएगा। -किसी स्टूडेंट को उसकी क्षेत्रीयता, भाषा या जाति के आधार पर अपमानजनक नाम लेकर पुकारना और प्रचलित करना भी रैगिग की श्रेणी में आता है।

-स्टूडेंट के पारिवारिक अतीत या आर्थिक पृष्ठभूमि को लेकर उसे लज्जित करना और अपमान करना रैगिग माना जाएगा।

-छात्राओं को अजीबोगरीब नियमों के तहत परेशान करना या अपमानजनक टास्क देना भी रैगिग माना जाएगा।

-यूजीसी ने स्पष्ट कहा है कि यदि धर्म, जाति या क्षेत्रीयता के आधार पर किसी छात्र को मजाक से भी अपमानजनक लगता है तो उसे रैगिग की श्रेणी में माना जाएगा।

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यह मिलता है दंड

-दोषियों पर रैगिग रेग्यूलेशन एक्ट के तहत कार्रवाई का प्रावधान है। रैगिग के खिलाफ सबसे कड़ी सजा दोषी को तीन साल तक सश्रम कैद है।

-रैगिग विरोधी कानून की बात की जाए तो अब किसी भी संस्थान में रैगिग एक बड़ा अपराध है। रैगिग का दोष साबित होने पर छात्रों को तो सजा मिलेगी ही, साथ ही संबंधित संस्थान पर भी कार्रवाई होगी और उस पर आर्थिक दंड भी लगाया जाएगा।

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काचरू केस से मिली एंटी रैगिग कानून को मजबूती

2009 में टांडा मेडिकल कॉलेज में रैगिग और प्रताड़ना का शिकार हुए छात्र अमन काचरू की मौत ने देश को झझकोर कर रख दिया था। हालांकि इस मामले के दोषियों को सजा भी मिल चुकी है। लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था।


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