एससी-एसटी एक्ट पर हल्ला सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए : अनुसुइया उइके
एससी-एसटी एक्ट पर उपजे विवाद पर कुछ लोग राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए इस एक्ट का विरोध कर भ्रम फैला रहे है।
जेएनएन, नूरपुर। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष अनुसुइया उइके ने नूरपुर में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि एससी-एसटी एक्ट पर उपजे विवाद पर कुछ लोग राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए इस एक्ट का विरोध कर भ्रम फैला रहे है। उन्होंने कहा कि समाज में दलित वर्ग और सामान्य वर्गों के लोग मोहल्लों, कस्बों में एक साथ मिलकर सौहार्द के साथ रह रहे है, किसी भी प्रकार की कोई घटना नहीं होती। सिर्फ एक प्रतिशत ऐसी घटनाएं होती है।
उन्होंने कहा कि एससी-एसटी एक्ट का जो कानून पहले था वो ही कानून आज है जिस पर सरकार अध्यादेश लाई है। 1979 में एससी-एसटी कानून बना है जिसके तहत जातिसूचक शब्द बोलने के लिए तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान था, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने किसी केस जिसमें उक्त एक्ट के दुरुपयोग का मामला के शिकायत पर यह फैसला सुनाया था कि तुरंत गिरफ्तारी की बजाय डीएसपी स्तर की जांच टीम गठित कर उक्त केसों की सुनवाई के बाद कार्रवाई होगी।
उपाध्यक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद दलित समाज से जुड़े लोगों को उक्त निर्णय से ऐसा आभास हुआ कि हो सकता है कि समाज के दबंग तथा शक्तिशाली लोग के प्रभाव में उक्त जांच कमेटी से उनको सही न्याय न मिल पाए। इसके कारण सभी सांसदों, दलों ने उक्त कानून को पहले जैसा यथावत बनाए रखने के लिए लोकसभा में पारित किया। प्रस्ताव पारित होने के बाद सरकार ने अध्यादेश ला कर पास करवाया। एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग के प्रश्न पर अनुसुइया ने कहा कि उक्त कानून के दुरुपयोग को लेकर भी आयोग सतर्क है।
उन्होंने कहा कि यदि किसी द्वारा उक्त कानून के दुरुपयोग का मामला आयोग के पास आता है तो सभी तथ्यों की जांच की जाती है। यदि तथ्य सही नहीं पाए जाते तो मामला खारिज हो जाता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अनुसूचित जनजाति आयोग के गठन का मामला सरकार के ध्यान में लाया जाएगा। इस अवसर पर विधायक राकेश पठानिया, भाजपा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष त्रिलोक कपूर सहित कई नेता मौजूद रहे।