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संस्कृत महाविद्यालय ज्वालामुखी को बंद करने की तैयारी

मंदिर न्यास ज्वालामुखी की ओर से अधिकृत संस्कृत महाविद्यालय अब उस पर ही भारी पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Sep 2021 04:55 AM (IST)Updated: Wed, 29 Sep 2021 04:55 AM (IST)
संस्कृत महाविद्यालय ज्वालामुखी को बंद करने की तैयारी
संस्कृत महाविद्यालय ज्वालामुखी को बंद करने की तैयारी

प्रवीण कुमार शर्मा, ज्वालामुखी

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मंदिर न्यास ज्वालामुखी की ओर से अधिकृत संस्कृत महाविद्यालय अब उस पर ही बोझ बन गया है। छात्रों की कम संख्या व भारी भरकम खर्च के कारण न्यास ने इसके संचालन के लिए हाथ खड़े कर दिए हैं। न्यास चाहता है कि महाविद्यालय बंद कर करोड़ों रुपये से बनाए गए भवन में नर्सिंग संस्थान चलाया जाए। इसके लिए न्यास खुद पूरा खर्च उठाने को तैयार है। इसलिए छात्रों व कर्मचारियों को चामुंडा स्थित संस्कृत महाविद्यालय में शिफ्ट किया जाना चाहिए। न्यास कर्मचारियों का आधा वेतन देने को भी तैयार है। अधिकारिक रूप से संस्कृत कालेज 34 साल से चल रहा है। वर्तमान में यहां छह छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।

क्यों आई महाविद्यालय को बंद करने की नौबत

वर्तमान में संस्कृत महाविद्यालय में एक भी छात्र नहीं है। यहां से 12 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान परागपुर के बलाहर में है। पीएचडी, आचार्य व अन्य उच्च शिक्षा के लिए यह संस्थान छात्रों की पहली पसंद बन चुका है।

डिग्री कालेज की तर्ज पर चले नर्सिग संस्थान

जिस तरह डिग्री कालेज ज्वालामुखी को न्यास ने चलाया है उसी तर्ज पर यहां नर्सिंग संस्थान चले, ताकि न्यास की मदद से क्षेत्र की लड़कियां कम खर्च से नर्सिंग की पढ़ाई कर सकें। डिग्री कालेज ज्वालामुखी को न्यास ने 1998 में खोला था। 2016-17 में सरकार ने इसका अधिग्रहण किया था।

क्या कहते हैं न्यास के सदस्य

मंदिर न्यास के सदस्य प्रशांत शर्मा, जेपी दत्ता, त्रिलोक चौधरी, सौरभ शर्मा, देशराज भारती व शशि चौधरी ने बताया कि उन्होंने अपनी राय जिला प्रशासन को दे दी है। उपायुक्त डा. निपुण जिदल से भी ट्रस्ट की इस बारे में बात हुई है। वे चाहते हैं कि अब और पैसा बर्बाद न हो। यहां के छात्रों व स्टाफ को चामुंडा संस्कृत महाविद्यालय में शिफ्ट किया जाए।

17 साल में बने 59 शास्त्री, पांच साल में खर्च चार करोड़

संस्कृत कालेज जवालामुखी में 17 साल में 59 छात्र ही शास्त्री बने हैं। पांच साल में खर्च चार करोड़ रुपये हो गया है। वर्ष 2005 से 2021 तक विद्यार्थियों की संख्या कम होती गई और खर्च मां के खजाने पर भारी पड़ता रहा। 2005-06 में दो, 2006-07 में में चार, 2007-8 में शून्य, 2008-9 में छह, 2009-10 में नौ, 2010-11 में सात, 2011-12 में सात, 2012-13 में आठ, 2013-14 में चार, 2014-15 में तीन, 2015-16, 2016-17, 2017-18 व 2018-19 में शून्य तथा 2019-20 में आठ छात्रों को कोरोना के कारण प्रमोट किया गया है।

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संस्कृत महाविद्यालय बंद करने के बारे में न्यास ने प्रशासन के समक्ष प्रस्ताव रखा है। उपायुक्त से भी इस बाबत चर्चा हुई है। अंतिम फैसला जिला प्रशासन लेगा।

-धनवीर ठाकुर, एसडीएम देहरा

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संस्कृत महाविद्यालय ज्वालामुखी का निरीक्षण किया है। न्यास इसका भारी भरकम खर्च उठाने से मना कर रहा है। यहां छात्रों की संख्या न के बराबर है। न्यास ने प्रस्ताव में कुछ सुझाव भी दिए हैं। इस बारे में प्रशासन उचित कदम उठाएगा।

-डा. निपुण जिदल, उपायुक्त कांगड़ा


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