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संस्कृत कालेज ज्वालामुखी में करोड़ों खर्च कर 17 साल में बने मात्र 59 शास्‍त्री, अब संस्‍थान बंद करने की तैयारी

Sanskrit College Jwalamukhi मंदिर न्यास श्रीज्वालामुखी की ओर से अधिकृत रूप से पिछले 34 साल से चलाया जा रहा संस्कृत महाविद्यालय अब उस पर ही बोझ बन गया है। छात्रों की कम संख्या तथा बेशुमार खर्चों के कारण इसे चलाए रखने के लिए न्यास के हाथ खड़े हो गए हैं।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 06:25 AM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 07:42 AM (IST)
संस्कृत कालेज ज्वालामुखी में करोड़ों खर्च कर 17 साल में बने मात्र 59 शास्‍त्री, अब संस्‍थान बंद करने की तैयारी
मंदिर न्यास श्रीज्वालामुखी की ओर से 34 साल से चलाया जा रहा संस्कृत महाविद्यालय अब बोझ बन गया है

ज्वालामुखी, प्रवीण कुमार शर्मा। Sanskrit College Jwalamukhi, मंदिर न्यास श्रीज्वालामुखी की ओर से अधिकृत रूप से पिछले 34 साल से चलाया जा रहा संस्कृत महाविद्यालय अब उस पर ही बोझ बन गया है। छात्रों की कम संख्या तथा बेशुमार खर्चों के कारण इसे चलाए रखने के लिए न्यास के हाथ खड़े हो गए हैं। न्यास चाहता है कि संस्कृत महाविद्यालय बंद कर दिया जाए तथा करोड़ों से बनाए कालेज भवन में नर्सिंग संस्थान चलाया जाए। जिसके लिए न्यास खुद ही सारे खर्चों को उठाने की शर्त पर सरकार से हाथ मिलाने को तैयार है। न्यास की इच्छा है कि जो इक्का दुक्का संस्कृत पढ़ने वाले छात्र यहां शिक्षा ले रहे है। उन्हें तथा महाविद्यालय के कर्मचारियों को चामुंडा मंदिर में शिफ्ट किया जाना चाहिए। न्यास इसके लिए भी कर्मचारियों की पगार आधी-आधी बांटने को हामी भर रहा है।

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संस्कृत कालेज बंद करने की नौबत क्यों

संस्कृत कालेज को बंद करने की सोच के पीछे तर्क है कि मौजूदा समय में यहां विद्यार्थी नहीं हैं। मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर देश का सातवां राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान परागपुर के बलाहर में चल रहा है। पीएचडी, आचार्य तथा अन्य उच्च शिक्षा के लिए बलाहर बच्चों की पहली पसंद बन चुका है।

डिग्री कालेज की तर्ज पर चले नर्सिंग कालेज

जिस तरह ज्वालामुखी डिग्री कालेज को न्यास ने चलाया है, उसी तर्ज पर यहां नर्सिंग कालेज चले. ताकि न्यास की मदद से क्षेत्र की लड़कियों को कम खर्चे से नर्सिंग की पढ़ाई का मौका मिले। यहां बता दें कि डिग्री कॉलेज ज्वालामुखी को भी 1998 में न्यास ने खोला था. जिसका बाद में सरकारी अधिग्रहण हुआ 2016-17 में किया गया था।

क्या कहता है न्यास

मंदिर न्यास के सदस्य प्रशांत शर्मा, जेपी दत्ता, त्रिलोक चौधरी, सौरभ शर्मा, देश राज भारती, शशि चौधरी ने दैनिक जागरण को बताया कि हमने अपनी राय प्रशासन को दे दी है। उपायुक्त कांगड़ा डाक्‍टर निपुण जिंदल से भी ट्रस्ट की इस बाबत तथ्यों सहित बात हुई है। हम चाहते हैं कि अब और पैसा बर्बाद न हो। विद्यार्थियों को स्टाफ सहित चामुंडा मंदिर या अन्य किसी जरूरी जगह शिफ्ट किया जाए।

17 साल में बने केवल 59 शास्त्री, पांच साल में खर्चा 34 लाख

संस्कृत कालेज जवालामुखी में पिछले 17 साल में मात्र 59 विद्यार्थी ही शास्त्री बन सके हैं। आंकड़े गवाह हैं कि वर्ष 2005-06 से 2021 आते यहां से विद्यार्थियों की संख्या कम होती गई, जबकि खर्चे माता के खजाने पर भारी पड़ते रहे। 2005-06 में दो, 2006-7 में चार, 2007-8 में कोई नहीं, 2008-9 में छह, 2009-10 में नौ, 2010-11 में सात, 2011-12 में भी सात, 2012-13 में आठ, 2013-14 में चार, 2014-15 में तीन, 2015-16 से लेकर 2018-19 तक कोई भी नहीं, 2019-20 में आठ विद्यार्थियों को कोरोना के कारण प्रमोट किया गया है जबकि इस साल की परीक्षा होनी है। पिछले 5 सालों में 2019-20 के आठ छात्रों को छोड़ा जाए तो बाकी सालों में कोई भी विद्यार्थी शास्त्री की डिग्री नहीं कर पाया है।

क्‍या कहते हैं प्रशासनिक अधिकारी

  • एसडीएम देहरा धनवीर ठाकुर का कहना है संस्कृत कालेज को बंद करने के बारे में न्यास ने प्रशासन के सामने प्रस्ताव रखा है। न्यास भारी भरकम खर्च उठाने से मना कर रहा है। उपायुक्त कांगड़ा से भी इस बाबत चर्चा हुई है। अंतिम फैसला क्या होता है जिला प्रशासन ही तय करेगा।
  • उपायुक्त कांगड़ा डा. निपुण जिंदल का कहना है ज्वालामुखी संस्कृत महाविद्यालय का हमने निरीक्षण किया है। न्यास इसके भारी भरकम खर्चे उठाने से मना कर रहा है। यहां विद्यार्थियों की संख्या भी न के बराबर है। न्यास का इसे बंद करने के प्रस्ताव के साथ कुछ सुझाव भी हैं। प्रशासन उचित कदम उठाएगा।

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