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लोहे के उत्पादन में हाइड्रोजन के उपयोग की संभावना, केंद्रीय इस्पात मंत्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने ली बैठक

Transformation Towards Green Steel शिमला के ठियोग स्थित होटल ताज में शुक्रवार को केंद्रीय इस्पात मंत्री राम चंद्र प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में इस्पात मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की परिवर्तन ग्रीन स्टील की ओर विषय पर बैठक हुई।

By Virender KumarEdited By: Published: Fri, 06 May 2022 10:20 PM (IST)Updated: Fri, 06 May 2022 10:20 PM (IST)
लोहे के उत्पादन में हाइड्रोजन के उपयोग की संभावना, केंद्रीय इस्पात मंत्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने ली बैठक
लोहे के उत्पादन में हाइड्रोजन के उपयोग की संभावना पर ठियोग में चर्चा की गई।

शिमला, राज्य ब्यूरो। Transformation Towards Green Steel, शिमला के ठियोग स्थित होटल ताज में शुक्रवार को केंद्रीय इस्पात मंत्री राम चंद्र प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में इस्पात मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की 'परिवर्तन, ग्रीन स्टील की ओर' विषय पर बैठक हुई। इसमें लोहे के उत्पादन में हाइड्रोजन के उपयोग की संभावना पर मंथन किया गया।

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केंद्रीय मंत्री ने हितधारकों से आग्रह किया कि वे समयबद्ध कार्य योजना के तहत इस्पात उद्योग से उत्सर्जन को कम करने के लिए ठोस प्रयास करें, ताकि ग्रीन स्टील के उत्पादन के तय लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। बैठक में समिति के सदस्यों, इस्पात मंत्रालय तथा इस्पात उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों तथा विशेषज्ञों के बीच वर्तमान परिदृश्य और ग्रीन स्टील की ओर परिवर्तन को बढ़ावा देने के बारे में उपयोगी चर्चा हुई।

इस्पात उद्योग की ओर से इसके ग्रीन स्टील के उत्पादन की रणनीति, प्रौद्योगिकी, लाभ एवं हानि, उनके प्रौद्योगिकी तैयारी स्तर (टीआरएल) के साथ-साथ इसे व्यावसायिक स्तर पर कब उपलब्ध करवाया जाए, इस पर भी चर्चा हुई। चर्चा का केंद्र लोहे के उत्पादन में प्रयोग के लिए हाइड्रोजन के उपयोग की संभावनाओं और सीओपी 26 में की गई प्रतिबद्धताओं के अनुरूप उत्सर्जन को कम करने पर रहा। बैठक में संसदीय सलाहकार समिति के सदस्यों, सांसद विद्युत बरन महतो, चंद्र प्रकाश चौधरी, जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, प्रताप राव गोङ्क्षवद राव पाटिल चिखलीकर, एस. ज्ञानथिरवियम, सप्तगिरि शंकर, विजय बघेल और अखिलेश प्रसाद सिंह ने भाग लिया।

उत्सर्जन में कमी लाना चुनौतीपूर्ण

कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन में कमी के संबंध में लौह और इस्पात क्षेत्र विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि इसकी उत्पादन प्रक्रिया में जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा का उपयोग बेहद जरूरी है। कोयले पर आधारित ऊर्जा और रिडक्टेंट पर आधारित होने के कारण भारतीय लौह और इस्पात उद्योग का उत्सर्जन अन्य उद्योगों के मुकाबले अधिक है।


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