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कांगड़ा में अभी लंबी है तलबगारों की सूची

कांगडा में ज‍िला में अभी भी कई नेताओं को अध्‍यक्ष या उपाध्‍यक्ष बनने का इंतजार है।

By Edited By: Published: Fri, 19 Oct 2018 08:53 AM (IST)Updated: Fri, 19 Oct 2018 08:53 AM (IST)
कांगड़ा में अभी लंबी है तलबगारों की सूची
कांगड़ा में अभी लंबी है तलबगारों की सूची

दिनेश कटोच, धर्मशाला। नवरात्र में सरकार ने निगम व बोर्डो में अध्यक्ष व उपाध्यक्षों की नियुक्तियां कर पार्टी से जुडे़ वफादारों को इनाम दिया है लेकिन प्रदेश के सबसे बड़े जिले कांगड़ा में अबतक हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड व केसीसीबी में अध्यक्ष पद पर किसी की ताजपोशी करने में नाकाम रही है। अगर सरकार चाहती तो केसीसीबी में ही अध्यक्ष समेत निदेशक मंडल के सदस्य के रूप में कई नेताओं की ताजपोशी कर सकती थी।

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ज्वालामुखी से विधायक रमेश धवाला की नाराजगी के बाद सरकार में उन्हें जगह मिली, लेकिन नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया अब भी इंतजार में हैं। पठानिया भले ही खुले रूप से अपनी अनदेखी को न स्वीकारते हैं पर समर्थकों में इस बात का रंज जरूर है कि सरकार में उन्हें बड़ा ओहदा नहीं दिया है। अब भले देर से ही सही लेकिन सरकार ने जिला कांगड़ा से पूर्व विधायक मनोहर धीमान को जीआइसी के उपाध्यक्ष पद पर ताजपोशी की है। जिले से अब भी कई तलबगार ऐसे हैं जो सरकार में किसी न किसी पद के लिए आंख लगाए बैठे हैं।

मनोहर धीमान के बाद जवाली से संजय गुलेरिया व नूरपुर से रणवीर सिंह निक्का भी हैं, जिन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में सशक्त दावेदारी के बावजूद पार्टी हाईकमान के निर्देश पर चुनाव न लड़ने के लिए हामी भरी थी। इंदौरा से विधायक रहे मनोहर धीमान ने भी पार्टी के कहने पर चुनाव न लड़ने का फैसला लिया था। इसी वर्ष के चुनाव में फतेहपुर से बलदेव ठाकुर व पालमपुर से प्रवीण शर्मा पार्टी हाईकमान के कहने के बावजूद चुनाव मैदान से नहीं हटे थे और दोनों ही हलकों से भाजपा प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी के प्रति निष्ठा दिखाने पर मनोहर धीमान जीआइसी के उपाध्यक्ष पद का तोहफा मिला है।

विस चुनाव के दौरान रैहन में हुई स्टार प्रचारकों की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद रहे थे और उस दौरान भी मंच पर मनोहर धीमान, संजय गुलेरिया व रणवीर स‍िंह निक्का को जगह दी गई थी। यही कारण रहा था कि जवाली, नूरपुर व इंदौरा से भाजपा प्रत्याशी जीते थे। यह वही नेता थे, जिन्होंने पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में चुनाव न लड़ने का फैसला लिया था। दूसरी ओर पार्टी के हारे हुए प्रत्याशियों में फतेहपुर से कृपाल परमार, कांगड़ा से संजय चौधरी व पालमपुर से इंदु गोस्वामी भी ऐसे चेहरे हैं जिन्हें भी कहीं न कहीं कोई स्थान सरकार में मिल सकता है। ऐसे में सरकार की यह भी कोशिश रहेगी कि कोई न कोई तोहफा इन नेताओं को दिया जाए। फिलहाल सरकार ने निष्ठावान नेताओं को ओहदे बांटकर लोकसभा चुनाव के लिए कदमताल शुरू कर दी है। 

'सरकार अच्छे ढंग से काम कर रही है। विधानसभा लोक प्रशासन कमेटी का अध्यक्ष होने के नाते अधिकारियों को यह भी बताया गया है कि काम कैसे होता है। बतौर विधायक कोई बड़ा प्रतिनिधित्व देना सरकार का काम है।' राकेश पठानिया, विधायक नूरपुर


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