मोदी ने डाक्टर राहुल से पूछा, आप कच्छ के रेगिस्तान से हिमाचल के पहाड़ों पर कैसे पहुंच गए, पढ़ें रोचक मामला
Modi Interact Health Workers हिमाचल प्रदेश के कोविड वैक्सीन अभियान में शत प्रतिशत सफलता पर पीएम मोदी ने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं व लाभार्थियों को संबोधित किया। कोविड टीकाकरण अभियान सहित महामारी के दौर में बेहतरीन कार्य करने वाले गुजरात निवासी डाक्टर राहुल ने भी पीएम मोदी से बात की।
शिमला, जागरण संवाददाता। Modi Interact Health Workers, हिमाचल प्रदेश के कोविड वैक्सीन अभियान में शत प्रतिशत सफलता पर पीएम मोदी ने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं व लाभार्थियों को संबोधित किया। कोविड टीकाकरण अभियान सहित महामारी के दौर में बेहतरीन कार्य करने वाले गुजरात निवासी डाक्टर राहुल ने भी पीएम मोदी से बात की। मोदी को जब उन्होंने बताया कि वह गुजरात के कच्छ से हैं व रूस में पढ़ाई करने के बाद वह हिमाचल में नौकरी कर रहे हैं। इस पर पीएम मोदी ने कहा आप कच्छ के रेगिस्तान से हिमाचल के पहाड़ों में कैसे रह रहे हैं। इस पर डाक्टर राहुल ने कहा अब तो उन्हें आदत हो गई, वह दो साल से डोडराक्वार में सेवाएं दे रहे हैं।
वैक्सीन संवाद के दौरान डाक्टर राहुल ने जब अपना अनुभव प्रधानमंत्री के साथ साझा किया तो उनके उत्साह वर्धन के लिए प्रधानमंत्री ने उन्हें अपनेपन का अहसास करवाया। गुजरात के कच्छ इलाके के रहने वाले डॉ राहुल के हौसले को बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने उन्हें वैक्सीन के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने की बधाई दी। साथ ही उन्हें हिमाचलियों को गुजरात के रणोउत्सव को दिखाने को कहा। डॉक्टर राहुल ने बताया कि वे पिछले 2 साल से इस इलाके में सेवाएं दे रहे हैं जहां करीब 6 महीने हिमपात की वजह से यह इलाका देश दुनिया से कटा रहता है।
हिमपात के कारण 5 अप्रैल से वैक्सीनेशन अभियान शुरू हुआ था। वैक्सीनेशन के लिए ब्लॉक के पंडाहाल और जखा गांव तक पहुंचने का सफर बहुत चुनौतीपूर्ण था। इन इलाकों तक पहुंचने के लिए 8 से 10 घंटे का सफर तय करना पड़ता था। इस बीच मानव निर्मित पुल, झूले के जरिये आवाजाही करनी होती थी। साथ ही भोजन की व्यवस्था स्वयं करनी होती थी, इलाके में सिग्नल न होने की वजह से कम्युनिकेशन गैप रहता था। इन इलाकों से मरीजों को रोहडू पहुंचाने में भी 10 घंटे का सफर तय करना पड़ता है। इन चुनौतियों को पार करते हुए यहां वैक्सीनेशन अभियान चलाया गया। इसमें प्रदेश मुख्यमंत्री के साथ सीएमओ शिमला ने भरपूर सहयोग किया।साथ ही इलाके के लोगों को वैक्सीनेशन के प्रति जागरूक करने के लिए अलग से टीमें भेजी गईं जो गांव गांव जाकर वहां की बोली में उन्हें वैक्सीन के फायदे समझाते थे।
इसके अलावा इलाके में बड़ी चुनौती थी कि वैक्सीन के लिए आने वाले लोगों की पोर्टल पर एंट्री कैसे की जाए। इसके लिए तरकीब खोजी गई और चिरगांव में बैठी टीम फोन पर लोगों के नाम व आधार नंबर के सहायता से वैक्सीनेशन के लिए एंट्री करती थी। कई बार सिग्नल न होने के कारण आवाज सुनाई नहीं देती थी तो अगले दिन वैक्सीन पोर्टल पर पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती थी।
इस बीच उन्होंने गुजराती भाषा में प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग का आभार जताया। प्रधानमंत्री ने उत्सुकता जताते हुए पूछा कि आपने पढ़ाई कहां से की है और आप इस दुर्गम इलाके में सेवाएं देने कैसे पहुंच गए। सवाल के जवाब में डाक्टर राहुल ने कहा कि उन्होंने रशिया में डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की और 14 जून 2019 को इस इलाके में सेवाएं देना शुरू किया। हिमाचल की खूबसूरती देखने की चाह उन्हें यहां खींच लाई। प्रधानमंत्री ने आगे पूछा कि रेगिस्तान की गर्मी और हिमाचल की ठंडी में वह कैसे सेट हो पाए तो उन्होंने जवाब में कहा कि समय के साथ उन्होंने अपने आप को परिस्थितियों के अनुरूप ढाल लिया।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि देश भर में चर्चा हो रही है कि हिमाचल में वैक्सीन की वेस्टेज न के बराबर है। ऐसा आपके इलाके में कैसे संभव हो पाया। जवाब में डॉ राहुल ने कहा कि वैक्सीनेशन से एक दिन पहले गांव में आशा वर्कर्स और आंगनबाड़ी की सहायता से लोगों की उपलब्धता पता की जाती थी, क्योंकि इलाके में अधिकतर लोग भेड़पालक हैं जो कि एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं।
वैक्सीनेशन सेंटर पर उतनी ही वैक्सीन लेकर जाते थे, जितनी कि लोगों की उपलब्धता होती थी। इसी कारण इलाके में वैक्सीन की वेस्टेज न के बराबर हुई। प्रधानमंत्री ने यह भी पूछा कि जैसे वैक्सीन की एक वायल में 11 डोज रहती हैं तो कभी ऐसे संभव हुआ कि 11 डोज में से 10 डोज ही लग पाई हों। राहुल ने कहा कि अधिकतर समय में 11 के 11 डोज उपयोग में लाए गए। वार्तालाप को समाप्त करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि डॉ राहुल और उनकी टीम पहाड़ की चोटियों में वैक्सीन पहुंचाने का काम कर रही हैं, इसीलिए ये बधाई के पात्र हैं।