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अब श्रृंगार करेंगी सिरदर्द कही जाने वाली चीड़ की पत्तियां

गर्मियों में सिरदर्द मानी जाने वाली चीड़ की पत्तियां से फैशन एवं जीवन शैली विभाग की छात्रा रूपाली सूद ने हिमाचली टोपी का डिजाइन तैयार किया है।

By BabitaEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 10:11 AM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 10:11 AM (IST)
अब श्रृंगार करेंगी सिरदर्द कही जाने वाली चीड़ की पत्तियां
अब श्रृंगार करेंगी सिरदर्द कही जाने वाली चीड़ की पत्तियां

कांगड़ा, नीरज व्यास। गर्मियों में आग लगने के कारण जनता के लिए सिरदर्द मानी जाती चीड़ की पत्तियां अब श्रृंगार का साधन बनेंगी। इसके अलावा इनसे टोपियों सहित अन्य सामान भी बनेगा और युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर भी खुलेंगे। यह संभव हुआ है नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी सेंटर (निफ्ट) कांगड़ा की बदौलत।

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संस्थान के फैशन एवं जीवन शैली विभाग की छात्रा रूपाली सूद ने चीड़ की पत्तियों से हिमाचली टोपी का डिजाइन तैयार किया है। इसके अलावा नवीता ने स्कार्फ तो निधि ने टेबल लैंप बनाया है। टेबल लैंप गायत्री मंत्र से उकेरा है और इसके साथ लाइट भी लगाई है। बल्ब जलाते ही यह चमकने लगता है। यह अपने आप में अलग तरह का उत्पाद है और इसे गिफ्ट भी किया जा सकता है। इसके अलावा छात्राओं ने विभिन्न प्रकार के आभूषण भी बनाए हैं और इनमें चीड़ की पत्तियों, धागों व मोतियों का प्रयोग किया गया है। श्री बज्रेश्वरी मंदिर समीप होने के कारण ये श्रद्धालुओं की पहली पसंद बने हैं। छात्राओं ने गले का लॉकेट, बालियां व झुमकों सहित अन्य गहने बनाए हैं। इसके अलावा छात्राओं वंशिका अग्रवाल व दीपाली ने पत्तियों का प्रयोग कर थैले बनाए हैं और इन्हें अलग-अलग कार्यों के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।

 

छात्राओं ने चीड़ की पत्तियों का अलग-अलग प्रयोग कर कई उत्पाद बनाए हैं। इससे पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। इससे स्वरोजगार के अवसर भी खुलेंगे। किसी भी स्वयं सहायता समूह की सदस्य प्रशिक्षण लेकर आजीविका कमा सकती हैं।

-प्रो. संदीप सचान, विभागाध्यक्ष, फैशन एवं जीवन शैली विभाग निफ्ट कांगड़ा

लिखने के लिए बनाया कागज

संस्थान की छात्राओं तान्या व दिवांशी ने बेकार पेपर व चीड़ की पत्तियों को मिलाकर कागज तैयार किया है और इसे कुछ भी लिखने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। बेकार पेपर को पानी में घोल दिया जाता है और इसके साथ ही इसमें चीड़ की पत्तियों को मिला दिया जाता है। घोल को जितने आकार का पेपर चाहिए उतना उसमें डाला जाता है और इसे सुखाने के बाद बेहतर पेपर तैयार होता है व इस पर कुछ भी लिखा

जा सकता है।  


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