फार्मासिस्ट बोले, मानसिक उत्पीड़न बंद कर सुविधाएं दे सरकार
जागरण संवाददाता टांडा हिमाचल प्रदेश फार्मासिस्ट संघ ने मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया ह
जागरण संवाददाता, टांडा : हिमाचल प्रदेश फार्मासिस्ट संघ ने मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है। संघ का कहना है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जहां मात्र तीन फार्मासिस्ट नियुक्त हैं को मरीजों को 300 दवाओं की उपलब्धता के साथ-साथ पर्चियां बनाने, टीके लगाने, टांके लगाने, पट्टियां करने व आइपी ड्यूटी, मेला ड्यूटी के अलावा डॉक्टर की अनुपस्थिति में मरीजों की देखभाल तथा हर कार्यक्रम की रिपोर्ट तैयार करने इत्यादि कार्य फार्मासिस्टों पर थोपे जा रहे हैं। इसके बावजूद फार्मासिस्ट अपनी ड्यूटी ईमानदारी से निभा रहे हैं, लेकिन उन्हें किसी तरह का अन्य भत्ता या प्रोत्साहन नहीं दिया जाता है।
फार्मासिस्ट संघ के प्रधान अनिल सोनी व महासचिव हेम सिंह गुलेरिया ने यहां जारी बयान में कहा कि नर्सो व डॉक्टरों को 13 माह का वेतन व एनपीए के साथ अन्य भत्ते दिए जा रहे हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग में जो भी नई योजना शुरू होती है उसके कार्यान्वयन का काम फार्मासिस्टों को सौंप दिया जाता है। अगर कोई फार्मासिस्ट असमर्थता जताए तो अधिकारी स्पष्टीकरण मांगते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार से मांग की है कि फार्मासिस्ट वर्ग के पदों को डॉक्टरों व नर्सो की तर्ज पर बढ़ाया जाए। पदोन्नतियों व नियुक्तियां की जाएं। साथ ही फार्मासिस्ट के लिए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में बदलाव किया जाए। उन्होंने मांग की कि द्वितीय श्रेणी की तरह इन्फेक्शन भत्ता केंद्र सरकार की तर्ज पर 4200 रुपये अलग से दिया जाए।