दूध से बदली जीवन की धारा, कोरोना के मुश्किल वक्त में जिंदगी पटरी पर ले आए पवन
पेशे से ठेकेदार मंडी जिले के पवन का काम जब लाकडाउन के दौरान प्रभावित हो गया तो उन्होंने जनवरी 2021 को दूध का कारोबार शुरू करने का फैसला किया और पत्नी आशा के नाम से जालपा मिल्क डेयरी शुरू की।
मुकेश मेहरा, मंडी। कोरोना के मुश्किल वक्त में जिंदगी को पटरी पर लाने के संघर्ष में मंडी जिले के पाली गांव के पवन कुमार की सोच जीत गई। संघर्ष की कहानी बड़ी दिलचस्प है। पेशे से ठेकेदार पवन का काम जब लाकडाउन के दौरान प्रभावित हो गया तो उन्होंने जनवरी 2021 को दूध का कारोबार शुरू करने का फैसला किया और पत्नी आशा के नाम से जालपा मिल्क डेयरी शुरू की। फैसला सही साबित हुआ और 10 माह में ही वह अपने साथ प्रत्यक्ष रूप से नौ और परोक्ष रूप से 200 लोगों की आर्थिकी मजबूत करते चले गए। आज उनकी बदौलत इन लोगों का परिवार अच्छा जीवन व्यतीत कर रहा है।
लाकडाउन का दौर जगा गया
लाकडाउन के दौरान जब रेत-बजरी के आर्डर नहीं मिल रहे थे तो पवन ने डेयरी का कारोबार करने की सोची। उन्होंने नौ लाख रुपये से विशेष टैंकर 11 हजार लीटर की क्षमता का मुंबई से बनवाया। टैंक की विशेषता यह है कि इसमें दूध ठंडा रहता है। मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना में आवेदन कर डेढ़ लाख रुपये का ऋण लिया और उससे पनीर व घी बनाने की मशीनें खरीदी।
पवन बताते हैं कि वह लोगों को दूध बेचने के लिए मंडी या पद्धर जाते हुए देखते थे। विचार आया कि क्यों न ऐसी गाड़ी बनवाई जाए, जो लोगों के घर से दूध ले आए। इसमें दूध ठंडा भी रहे और उसे बाद में बाजार में लोगों को बेचा जा सके। इससे लोगों को घर के पास आय का साधन भी मिल जाएगा और पौष्टिक दूध भी। इसके लिए उन्होंने टैंक बनवाया। यही नहीं मिल्क चिङ्क्षलग मशीन सहित अन्य मशीनें खरीदीं।
सुबह पांच बजे से शुरू हो जाता है काम
पवन बताते हैं हर दिन सुबह एक गाड़ी आसपास के पांच गांवों में दूध इकट्ठा करके लाती है और बाद में उसे टैंकर में ठंडा किया जाता है। दूध की गुणवत्ता कैसी है, यह भी मौके पर ही मशीन से जांचा जाता है। उसी आधार पर संबंधित व्यक्ति को राशि दी जाती है। इस काम में उनके नौ कर्मचारी साथ होते हैं। पत्नी आशा भी उनका इस काम में साथ देती हैं। वह चाहते हैं कि लोग स्वरोजगार को अपनाएं ताकि वे अपने साथ दूसरों को भी रोजगार दे सकें।
गांव का दूध नाम से चलती है गाड़ी
पवन मंडी शहर सहित आसपास के 50 किलोमीटर के दायरे में लोगों तक दूध पहुंचाने के लिए पवन ने गांव का दूध नाम की गाड़ी चलाते हैं। इसके माध्यम से लोगों को दूध पहुंचाया जाता है। यह गाड़ी सुबह व शाम को आती है। खास बात यह है कि इसके लिए दूध का एटीएम भी बनाया गया। लोग कार्ड स्वैप करके भी दूध ले सकते हैं। वह स्वयं भी एक कार्ड लोगों को बनाकर देते हैं। दूध 40 रुपये लीटर बेचा जाता है।
मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के तहत दूध से उत्पाद तैयार करने के लिए प्लांट लगाने को एक करोड़ रुपये तक के ऋण का प्रविधान है। इसमें महिलाओं को 30 फीसद सब्सिडी दी जाती है। बड़ाग्रां में भी ऐसा ही प्लांट चल रहा है।
-ओपी जरियाल, महाप्रबंधक उद्योग विभाग मंडी।