दुनिया की इस बेहतरीन पैराग्लाइडिंग साइट में अपने रिस्क पर भरें उड़ान, नहीं हैं पुख्ता सुरक्षा प्रबंध
भारत के पहले पैराग्लाइडिंग विश्वकप की गवाह रही बीड़ बिलिंग घाटी बेशक दुनिया की दूसरे नंबर की बेहतरीन टेक ऑफ साइट का खिताब हासिल कर चुकी है पर सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं है।
बैजनाथ, मुनीष दीक्षित। भारत के पहले पैराग्लाइडिंग विश्वकप की गवाह रही बीड़ बिलिंग घाटी बेशक दुनिया की दूसरे नंबर की बेहतरीन टेक ऑफ साइट का खिताब हासिल कर चुकी है पर सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं है। दुनियाभर में इस साइट का जिस ढंग से प्रचार हो रहा है, उसके मुकाबले पायलटों व पर्यटकों की सुरक्षा के लिए खास प्रबंध नहीं हैं। हवाबाजी केखेल का केंद्र बनी इस घाटी में पायलटों को न तो मौसम की जानकारी उपलब्ध करवाने का प्रावधान है और न ही टेक ऑफ साइट व लैंडिंग साइट में चिकित्सा व रेस्क्यू टीम का प्रबंध किया जा सका है। रोजाना यहां से पायलट अपने ही रिस्क पर उड़ान भरते हैं।
बीड़ बिलिंग से आजकल रोजाना 40 से 50 पायलट टेंडम उड़ानें भरकर पर्यटकों को हवा में उड़ा रहे हैं। पर्यटन सीजन में यह आंकड़ा 100 से ऊपर चला जाता है। यहां टेंडम फ्लाइंग को विभिन्न एडवेंचर एजेंसियां करवाती हैं मगर इनके पास पैराग्लाइडर के अलावा तुरंत रेस्क्यू या चिकित्सा के लिए मौके पर कोई प्रबंध नहीं होता है। हालांकि इस घाटी में टेंडम हादसों में दो लोगों की ही जान गई है मगर सोलो ग्लाइडर में कई पायलट जान गंवा चुके हैं।
240 टेंडम पायलट पंजीकृत, देखने वाला एक कर्मी
बिलिंग में इस समय पर्यटन विभाग के पास 240 टेंडम पायलट पंजीकृत हैं और इन्हें पर्यटन विभाग लाइसेंस देता है। इन पायलटों की सुरक्षा के लिए केवल एक ही कर्मी है। टेंडम उड़ानें करवाने वालों के पास रिजर्व ग्लाइडर व सुरक्षा का पूरा प्रबंध होना बेहद जरूरी है पर कई पायलट नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।
विदेशी पायलटों से 500 रुपये फीस
बिलिंग से विदेशी पायलटों को फ्री फ्लायर के रूप में उड़ान भरने के लिए प्रशासन के पास आवेदन करना पड़ता है। लाइसेंस व इंश्योरेंस के बाद उन्हें प्रशासन 500 रुपये फीस के साथ एक सप्ताह की अनुमति देता है। इन पायलटों की सुरक्षा का जिम्मा इंश्योरेंस कंपनियों के भरोसे ही होता है। कई पायलटों को यहां से इंश्योरेंस कंपनियों की मदद से ही बाहर निकाला गया है।
पैराग्लाइडिंग प्रतियोगिता में ही होता है प्रबंध
यहां पैराग्लाइडिंग प्रतियोगिता के दौरान ही रेस्क्यू, चिकित्सा टीमों व हेलीकॉप्टर की व्यवस्था होती है। यह व्यवस्था भी केवल एक सप्ताह तक ही हो पाती है। इसके अलावा यहां पायलटों को खुद ही जिम्मा संभालना पड़ता है। इसके अलावा बिलिंग पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन को ही अपने दम पर रेस्क्यू उपलब्ध करवाना पड़ता है।
क्या बोले अधिकारी व नेता
- बिलिंग में वर्ल्ड कप व प्री वर्ल्ड कप के दौरान सुरक्षा होती है। इसके अलावा पर्यटन सीजन में भी विदेशों की तर्ज पर मौके पर सुरक्षा व चिकित्सा प्रबंध उपलब्ध हों, इस बाबत मामला सरकार के ध्यान में लाया जा रहा है। -सतीश अबरोल, अध्यक्ष बिलिंग वैली एयरो स्पोट्र्स सोसायटी।
- यहां सुरक्षा का मसला उठता है। जब भी कोई ऐसी घटना होती है तो बिलिंग पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन मदद उपलब्ध करवाती है। यहां और बेहतर व्यवस्था हो, इसके प्रयास करवाए जाएंगे। - अनुराग शर्मा, निदेशक, बिलिंग पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन।
- बीड़ बिलिंग में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार करोड़ों खर्च कर रही है। यहां सुरक्षा और बेहतर हो, इसका भी पुख्ता इंतजाम करवाया जाएगा। - मुल्ख राज प्रेमी, विधायक, बैजनाथ।
पायलट के खिलाफ केस दर्ज
बीड़ बिलिंग में रविवार को हुए टेंडम पैराग्लाइडर हादसे के संबंध में पुलिस ने ग्लाइडर को उड़ा रहे पायलट के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। हादसे में को-पायलट की मौत हो गई थी जबकि पायलट सुरक्षित लैंड कर गया था। दोनों युवक टेंडम पैराग्लाइङ्क्षडग सीख रहे थे। पुलिस की प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि यह हादसा लापरवाही के कारण हुआ है। अब तक की जांच में पाया गया है यह घटना किसी बेल्ट के न बांधने से हुई है। ऐसे में पुलिस ने पैराग्लाइडर को उड़ा रहे श्याम लाल निवासी धरमाण के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। थाना प्रभारी ङ्क्षचत राम शर्मा ने बताया कि हादसे में मारे गए अक्षय कुमार का शव स्वजनों को सौंप दिया है।