खूबसूरत ही नहीं, खतरनाक भी है बिलिंग घाटी, कई पैराग्लाइडर पायलट गंवा चुके हैं जान Kangra News
धौलाधार पर्वत श्रृंखला में समुद्र तल से 8000 फीट की ऊंचाई पर स्थित बीड़ बि¨लग देश की बेहतरीन व खूबसूरत पैराग्लाइडिंग साइट है।
धर्मशाला, मुनीष गारिया। धौलाधार पर्वत श्रृंखला में समुद्र तल से 8000 फीट की ऊंचाई पर स्थित बीड़ बिलिंग देश की बेहतरीन व खूबसूरत पैराग्लाइडिंग साइट है। यहां हवाबाजी के खेल के कई अंतरराष्ट्रीय मुकाबले हो चुके हैं। यह साइट जितनी खूबसूरत है उतनी ही खतरनाक भी है। यह साइट अब तक चार पैराग्लाइडिंग पायलटों की जिंदगी लील चुकी है और कइयों को गहरे जख्म दे चुकी है। इसका उदाहरण शनिवार को लापता हुआ सिंगापुर का पायलट है। 2004 से अब तक चार पायलटों की यहां मौत हो चुकी है।
हालांकि प्रशासन ने उड़ान भरने के लिए स्थान चयनित किए हैं और पायलटों को निर्देश दिए जाते हैं कि वे निर्धारित जगह से ही उड़ान भरें। बावजूद इसके कई पायलट मनमर्जी से उड़ान भरते हैं और खराब परिस्थितियों में उलझकर हादसों का शिकार हो जाते हैं। स्थानीय पायलटों का पंजीकरण करते समय उन्हें निर्देश दिए जाते हैं कि अगर कोई बाहर का पायलट यहां से उड़ान भरता है तो उसे यहां की भौगोलिक परिस्थितियों से अवगत करवाएं पर कमीशन के चक्कर में ऐसा नहीं होता है।
क्या है पैराग्लाइडिंग
पैराग्लाइडिंग दो प्रकार से होती है। एक टेंडम व दूसरी सोलो। टेंडम में एक प्रशिक्षित पायलट किसी भी अंजान व्यक्ति को अपने साथ उड़ा सकता है। सोलो पैराग्लाइडिंग में केवल पायलट उड़ता है। प्रदेश में अधिकांश पर्यटक लाइसेंस व अनुभव न होने से केवल टेंडम पैराग्लाइडिंग ही करते हैं। यह पूरी तरह से हवा पर निर्भर रहने वाला खेल है।
छह बार प्री व एक दफा हो चुका वर्ल्ड कप
बिलिंग घाटी में छह बार पैराग्लाइडिंग प्री वर्ल्ड कप का आयोजन हो चुका है। वर्ष 2015 में पहली दफा देश के पहले पैराग्लाइ¨डग वर्ल्ड कप का आयोजन यहां हुआ था। बि¨लग बैजनाथ उपमंडल के बीड़ गांव से 14 किलोमीटर ऊपर धौलाधार की पहाड़ी पर स्थित है। यहां इटली के बाद विश्व का दूसरी बेहतरीन पैराग्लाइ¨डग साइट है। यहां से दो सौ किमी तक उड़ान की सुविधा है।
1984 में अस्तित्व में आई थी साइट
बिलिंग घाटी रोमांचक खेलों के लिए वर्ष 1984 में अस्तित्व में आई थी। उस समय घाटी से केवल हैंगग्लाइ¨डग शुरू हुई थी। उस दौरान यहां हैंगग्लाइ¨डग की अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता करवाई गई थी। वर्ष 1992 में पहली बार पैराग्लाइ¨डग की उड़ान भरी गई थी। विदेशी पायलट ब्रूस मिल्स ने यहां पैराग्लाइडिंग का सिलसिला शुरू किया था तथा स्थानीय युवाओं को इसका प्रशिक्षण दिया था।
प्रशासन की ओर से एसडीएम कार्यालय में पैराग्लाइडिंग पायलटों का पंजीकरण किया जाता है। पायलटों को चाहिए कि वे उड़ान भरने से पूर्व यहां की भौगोलिक परिस्थितियों को समझ लें और मुख्य रूप से उड़ान भरते समय सावधानियां बरतें। -रामेश्वर दास, एसडीएम, बैजनाथ।
घाटी में अब तक हुए हादसे
- 2004 : चंडीगढ़ के केके टंडन की टेंडम फ्लाइंग के दौरान गिरने से हुई थी मौत।
- 2009 : रूस के डेनिस व फायल ने उड़ान भरी थी और आदि हिमानी चामुंडा की पहाड़ियों में फंसकर घायल हुए थे।
- 2009 : रूस के फ्री फ्लायर उडेन ने उड़ान भरी थी और साल बाद उसका शव पहाड़ियों में भेड़पालकों को मिला था।
- 2015 : उज्बेकिस्तान के पायलट कोनस्टेनटिन की लैंडिंग के दौरान गिरने से हुई थी मौत
- 2015 : यूनाइटेड किंग्डम की रूथ फ्री फ्लाइंग के दौरान गिरने से घायल हो गई थी।
- 2018 : उतराला में सिंगापुर के पायलट कोक चांग की मौत हो गई थी।
- 2018 : सेना के एक्यूरेसी पैराग्लाइडिंग कप के दौरान थल सेना के चार पायलट लापता हो गए थे और एक की मौत हो गई थी।
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