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पौंग झील में खुलेंगे रोजगार के द्वार

वन विभाग का वन्य प्राणी संरक्षण विंग पौंग झील को पर्यटन के साथ-साथ स्वरोजगार से भी जोड़ेग

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Dec 2017 03:03 AM (IST)Updated: Tue, 05 Dec 2017 03:03 AM (IST)
पौंग झील में खुलेंगे रोजगार के द्वार
पौंग झील में खुलेंगे रोजगार के द्वार

वन विभाग का वन्य प्राणी संरक्षण विंग पौंग झील को पर्यटन के साथ-साथ स्वरोजगार से भी जोड़ेगा। अगर योजना सिरे चढ़ी तो क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के द्वार खुलेंगे। इसके लिए शीघ्र वन्य प्राणी संरक्षण विंग पर्यटन, मत्स्य विभाग और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) से बैठक करेगा। बैठक में पौंग झील में स्वरोजगार व पर्यटन की संभावनाओं को तलाशने के साथ योजना का ब्लू प्रिंट तैयार कर नई सरकार के गठन के बाद अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। वन्य प्राणी संरक्षण विंग ने इसके लिए अस्थायी खाका तैयार कर लिया है। योजना के तहत पर्यटक पौंग झील में अक्टूबर से मार्च तक विचरण करने वाले पक्षियों का भी दीदार कर सकेंगे। पर्यटकों की सुविधा के लिए साइकिल रिक्शा उपलब्ध करवाए जाएंगे और इससे क्षेत्र के युवाओं को रोजगार मिलेगा। इसी तरह झील में मोटरबोट भी रोजगार का साधन बनेगी। मोटरबोट उपलब्ध होने से रैंसर का नजारा देखने के लिए पर्यटकों को महीनों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वन्य प्राणी संरक्षण विंग के नगरोटा सूरिया स्थित परिक्षेत्र अधिकारी ने भी माना कि वन्य प्राणी संरक्षण विंग पौंग झील में स्वरोजगार आधारित पर्यटन विकास की संभावनाएं तलाशने के लिए पर्यटन, मत्स्य और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के साथ संयुक्त बैठक करेगा।

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स्वरोजगार के लिए क्या होगा

योजना के तहत नगरोटा सूरिया के पास बने पौंग झील के प्रवेश द्वार से झील क्षेत्र तक पर्यटकों को ले जाने और लाने के लिए युवाओं को साइकिल रिक्शा उपलब्ध करवाए जाएंगे। धमेटा, गुगलाड़ा, नगरोटा सूरिया, देहरा व डाडासीबा को पौंग झील में स्थित टापू रेंजर गढ़ी से मोटरबोट से जोड़ा जाएगा। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा यहां पर मछली अचार उद्योग स्थापित किया जाएगा।

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अभी पैदल पहुंच रहे झील तक

वर्तमान में पर्यटकों को पौंग झील मुख्य प्रवेश द्वार पर वाहन पार्क कर तीन से आठ किलोमीटर पैदल चलकर पौंग झील क्षेत्र में पहुंचना पड़ रहा है। रैंसर टापू तक जाने के लिए मई में जलस्तर घटने के बाद नगरोटा सूरिया से रैंसर टापू तक जीप योग्य रास्ता बनने का इंतजार करना पड़ता है।

प्रस्तुति : संवाद सूत्र, नगरोटा सूरियां


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