अब पहाड़ों में लापता नहीं होंगे ट्रेकर, आपात स्थिति में तुरंत मिलेगी मदद; यूं रहेगा पहरा
पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने बताया कि हिमाचल प्रदेश पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (हिमकोस्टा) ने संदीप ठाकुर के स्टार्टअप के लिए समझौता किया है। आरएफआइडी रिस्ट बैंड हिमाचल में पर्यटकों व अन्य लोगों की सुरक्षा से जुड़ा प्रोजेक्ट है।
यादवेन्द्र शर्मा, शिमला: हिमाचल प्रदेश में अब ट्रेकर और साहसिक पर्यटन करने वाले यात्री लापता नहीं होंगे। आपात स्थिति में उन तक तुरंत मदद पहुंचाई जा सकेगी। उनके रास्ता भटकने, स्वास्थ्य से संबंधित समस्या होने या किसी आपात स्थिति में अलार्म बजेगा, जिससे नियंत्रण कक्ष के साथ गाइड व स्वजन को तुरंत जानकारी मिलेगी। ऐसा रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआइडी) रिस्ट बैंड की मदद से होगा।
यह रिस्ट बैंड दिल्ली निवासी विज्ञानी संदीप ठाकुर ने बनाया है। पायलट आधार पर शिमला से इसकी शुरुआत अगले तीन महीने में करने की तैयारी है। हिमाचल प्रदेश के पर्यटन स्थलों में और साहसिक गतिविधियों जैसे ट्रेकिंग, पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग आदि के दौरान कई बार पर्यटक हादसे का शिकार हो जाते थे। आपात स्थिति में उनका पता न चलने पर तलाशी अभियान चलाना पड़ता था। अब ऐसी नौबत नहीं आएगी और बचाव के साथ सुरक्षा भी होगी। सुरक्षा और बचाव का परिणाम यह होगा कि देशी-विदेशी पर्यटकों की आमद बढ़ेगी।
13डीएचए1 : शिमला जिला के हाटकोटी ट्रैक रूट पर ट्रैकिंग के लिए निकले दिल्ली निवासी विज्ञानी संदीप ठाकुर (बाएं) अन्य लोगों के साथ। (फोटो : स्वयं)
यूं आया रिस्ट बैंड व एप बनाने का विचार
संदीप ठाकुर साहसिक पर्यटन का आनंद लेने के लिए एक वर्ष पूर्व कांगड़ा जिला में बीड़ बिलिंग गए थे जो पैराग्लाइडिंग के लिए विश्वविख्यात है। वहां पैराग्लाइडिंग के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इस कारण पैराग्लाइडिंग गतिविधियां बंद थीं और संदीप उस रोमांच से वंचित रह गए, जिसके लिए वहां गए थे। उस दौरान उन्हें विचार आया कि साहसिक खेलों व ट्रेकिंग के दौरान लापता होने वालों की सहायता के लिए रिस्ट बैंड व एप बनाया जाए।
रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन रिस्ट बैंड। (स्रोत : स्वयं)
यह है आरएफआइडी
यह तकनीक किसी वस्तु में आरएफआइडी चिप या टैग के माध्यम से लोगों और वस्तुओं की स्वचालित रूप से पहचान करने के लिए रेडियो तरंगों का उपयोग करती है। इस तकनीक को एक्सेस कंट्रोल, कैशलेस भुगतान, डाटा संग्रह, सामाजिक संपर्क आदि के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
ऐसे काम करेगा आरएफआइडी रिस्ट बैंड
आरएफआइडी रिस्ट बैंड के इस्तेमाल के लिए एप पर पंजीकरण करना होगा। एप में पैराग्लाइडिंग और अन्य साहसिक खेल करवाने वालों के प्रमाणपत्र व अनुभव के अलावा ट्रेक व गाइड की भी पूरी जानकारी होगी। इसके बाद आरएफआइडी रिस्ट बैंड पहनना होगा जो नियंत्रण कक्ष के अतिरिक्त गाइड और स्वजन के मोबाइल फोन पर भी एक्टिव रहेगा।
यह है लाभ
आरएफआइडी रिस्ट बैंड शरीर के तापमान, आक्सीजन का स्तर, दिल की धड़कन और व्यक्ति की लोकेशन बताएगा। रिस्ट बैंड जीपीएस से जुड़ा होगा। इस पर सेटेलाइट का सिग्नल पूरा हो, इसके लिए जगह-जगह सिग्नल बूस्टर लगाए जाएंगे।
किराये पर मिलेगा बैंड
पर्यटकों व अन्य लोगों को आरएफआइडी रिस्ट बैंड किराये पर देने की योजना है। इसके लिए 50 से 350 रुपये तक शुल्क लिया जाएगा। हालांकि वास्तविक दाम तभी तय होंगे जब बैंड को लांच किया जाएगा।
यूं रहेगा पहरा
- गुम होने की भी नहीं रहेगी आशंका
- नियंत्रण कक्ष में दर्ज होगी हर गतिविधि
- शरीर का तापमान व दिल की धड़कन भी होगी दर्ज
पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने बताया कि हिमाचल प्रदेश पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (हिमकोस्टा) ने संदीप ठाकुर के स्टार्टअप के लिए समझौता किया है। आरएफआइडी रिस्ट बैंड हिमाचल में पर्यटकों व अन्य लोगों की सुरक्षा से जुड़ा प्रोजेक्ट है। ऐसे कई और स्टार्टअप हैं, जिनसे युवाओं को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।