अब नहीं चलेगी वैज्ञानिकों की मनमर्जी
वैज्ञानिकों की ओर से भेजे जाने वाले प्रोजेक्टों पर अब स्क्रीनिंग कमेटी की नजर रखेगी ।
पालमपुर, मुकेश मेहरा। कृषि विवि पालमपुर में केंद्र, राज्य व अन्य एजेंसियों को वैज्ञानिकों की ओर से भेजे जाने वाले प्रोजेक्टों पर अब स्क्रीनिंग कमेटी की नजर रहेगी। स्क्रीनिंग कमेटी की अप्रूवल के बाद ही वैज्ञानिक प्रोजेक्ट एजेंसियों को भेज सकेंगे। यह व्यवस्था कृषि विवि प्रशासन ने प्रोजेक्टों पर लगने वाली आपत्तियों के बाद की है। इस प्रक्रिया के शुरू होने से अबतक 17 से 18 प्रोजेक्ट कृषि विवि को मिल चुके हैं।
कृषि विवि के वैज्ञानिकों ने विभिन्न शोध व रिसर्च के लिए प्रोजेक्ट केंद्र, राज्य सरकारों सहित अन्य एजेंसियों को भेजे थे। पहले वैज्ञानिक अपने स्तर पर ही प्रोजेक्टों को सबमिट करवा देते थे और इस कारण कई बार आपत्तियां दर्ज होकर इन्हें वापस भेज दिया जाता था। इसके मद्देनजर कुलपति एके सरयाल ने कृषि विवि में विभाग स्तर के अलावा शोध निदेशक के लेवल पर स्क्री¨नग कमेटी गठित कर दी। अब जब कोई वैज्ञानिक अपना प्रोजेक्ट तैयार करता है तो सबसे पहले विभागाध्यक्ष उसकी जांच करते हैं तथा उनकी अप्रवूल के बाद शोध निदेशक सहित अन्य अधिकारियों की गठित स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष रखा जाता है। यह कमेटी प्रोजेक्ट में पाई जाने वाली कमियों को चेक करती है। अगर प्रोजेक्ट में कमियां आती हैं तो उन्हें ठीक कर दोबारा भेजने के लिए कहती है। अगर कोई कमी न हो तो इसे संबंधित एजेंसी के पास भेज दिया जाता है।
'वैज्ञानिकों की ओर से भेजे जाने वाले प्रोजेक्टों की पहले स्क्री¨नग कमेटी जांच करती है। कुलपति प्रो.एके सरयाल ने यह व्यवस्था की है। इस व्यवस्था के बाद से अधिकतर प्रोजेक्ट मंजूर हुए हैं। पहले के मुकाबले आपत्तियां भी कम हो रही हैं।'
डॉ. हृदयपाल सिंह, संयुक्त निदेशक प्रसार
डॉ. प्रदीप को मिला राज्य नवोन्मेषी पुरस्कार टमाटर, शिमला मिर्च व खीरे की फसल बीज के मुकाबले 15 दिन पहले तैयार होने की तकनीक विकसित करने के लिए कृषि विवि के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप को राज्य नवोन्मेषी सम्मान मिला है। यह सम्मान स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रदान किया है। विवि में सब्जी विज्ञान एवं पुष्प विभाग के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार ने दो साल पहले स्टेम कलम की तकनीक तैयार की थी।
इस तकनीक में बीज के मुकाबले टमाटर, शिमला मिर्च व खीरे को स्टेम कलम से तैयार की गई फसल 15 दिन पहले तैयार हो जाती है जबकि बीज से फसल तैयार होने में 30 दिन का समय लगता है। स्टेम कलम की तकनीक के तहत पौधे से ही अलग से कलमें निकाली जाती हैं और उसके बाद उन्हें रोपा जाता है। डॉ. प्रदीप कुमार की ओर से की गई खोज से किसानों को राहत मिली है।