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सूरजपुर में सिर्फ रेमडेसिविर ही नहीं और भी कई अवैध तरीके से दवाइयां तैयार करवाता था डा. विनय त्रिपाठी

सूरजपुर में अपनी टयूलिप फार्मुलेशन कंपनी में नकली रेमडेसिविर के इंजेक्शन बनाने वाले इंदौर मध्य प्रदेश के आरोपित डा. विनय त्रिपाठी मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। विनय त्रिपाठी फैक्टरी में सिर्फ अवैध तरीके से रेमडेसिविर इंजेक्शन ही नहीं कई अन्य दवाईयां भी बनवाता था।

By Richa RanaEdited By: Published: Fri, 18 Jun 2021 11:57 AM (IST)Updated: Fri, 18 Jun 2021 11:57 AM (IST)
सूरजपुर में सिर्फ रेमडेसिविर ही नहीं और भी कई अवैध तरीके से दवाइयां तैयार करवाता था डा. विनय त्रिपाठी
विनय त्रिपाठी अपनी फैक्टरी में अवैध तरीके से रेमडेसिविर इंजेक्शन ही नहीं, बल्कि कई अन्य दवाईयां भी बनवाता था।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। उपमंडल इंदौरा के तहत पड़ते सूरजपुर में अपनी टयूलिप फार्मुलेशन कंपनी में नकली रेमडेसिविर के इंजेक्शन बनाने वाले इंदौर मध्य प्रदेश के आरोपित डा. विनय त्रिपाठी मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। आरोपित डा. विनय त्रिपाठी अपनी फैक्टरी में सिर्फ अवैध तरीके से रेमडेसिविर इंजेक्शन ही नहीं, बल्कि कई अन्य दवाईयां भी बनवाता था।

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सूरजपुर इलाके में स्वास्थ्य विभाग की मंजूरी लिए बिना दर्द निवारक दवा बनाने वाली एक कंपनी से पौने दो लाख टैबलेट बरामद की गईं। गत वीरवार को ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी नूरपुर की टीम ने टयूलिप फार्मुलेशन कंपनी परिसर में छापा मारकर दवाएं बरामद कीं। दर्द की यह दवा आइबूप्रोफेन और पैरासिटामोल दो साल्ट मिलाकर बनाई गई हैं। दवा प्लास्टिक के पाउच में थी।

डा. विनय त्रिपाठी ने लॉकडाउन के दौरान सूरजपुर स्थित अपने कंपनी की फैक्टरी में अगस्त 2020 में चुपचाप तरीके से काम शुरू करवा दिया था। यहां केवल उसके भरोसेमंद लोगों को वह अक्सर बुलाता था और उन्हें वेतन भी दिया जाता था। इसी दौरान उसने अवैध तरीके से यह दवाईयां भी बनाती थीं। वहीं वह खुद अवैध तरीके से एवं नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाता था।

हैरत इस बात की है कि कुछ समय पहले दवा नियंत्रक की टीम ने इसी कंपनी के बनाए रेमडेसिविर के 16 बॉक्स में 400 नकली वायल मध्य प्रदेश के भोपाल में पकड़े थे। वीरवार को जब्त दवाएं नकली हैं या असली, इसका पता लगाने के लिए विभागीय टीम ने दवाइयां लैबोरेटरी में जाच के लिए भेज दी हैं। नूरपुर स्थित अस्पताल में तैनात ड्रग इंस्पेक्टर प्यार ठाकुर ने बताया कि विभाग ने दवाइयां अपने कब्जे में ले ली हैं। किसी भी दवा को बनाने से पहले ड्रग लाइसेंस अथॉरिटी से मंजूरी लेनी पड़ती है। लेकिन, एक दवा कंपनी में विभाग से बिना अप्रूवल लिए दवाइयां बनाई जा रही थीं। अगर दवाइयों में खराबी पाई जाती है तो कंपनी मालिक पर मामला दर्ज किया जाएगा। दवा निरीक्षक ने बताया कि कंपनी ने रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने के लिए धर्मशाला स्थित हाई अथॉरिटी को पत्र लिखा था, लेकिन अप्रूवल न मिलने के बावजूद नकली इंजेक्शन बनाए थे।


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