Move to Jagran APP

नूरपुर बस हादसा जांच पर सवाल : नाक रगड़ डीसी ऑफिस पहुंचे बेबस मां-बाप

नूरपुर बस हादसे की जांच पर सवाल मां-बाप ने कहा, इंसाफ दो, मुआवजा वापस लो, बच्चों की ओर से सुप्रीम कोर्ट को लिखा खत।

By BabitaEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 09:26 AM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 09:26 AM (IST)
नूरपुर बस हादसा जांच पर सवाल : नाक रगड़ डीसी ऑफिस पहुंचे बेबस मां-बाप
नूरपुर बस हादसा जांच पर सवाल : नाक रगड़ डीसी ऑफिस पहुंचे बेबस मां-बाप

धर्मशाला, जेएनएन। नौ अप्रैल, 2018 को स्कूल से घर लौटते समय बच्चों में खुशी थी...लेकिन पलक झपकते ही सब कुछ शांत हो गया। कहीं बच्चों के शव पड़े थे तो कहीं बस्ते। कांगड़ा जिले के नूरपुर उपमंडल के चैली गांव में हुए बस हादसे में 24 बच्चों समेत 28 लोगों की मौत हो गई थी। बस में कुछ नौनिहाल ऐसे भी थे, जो कि पहली बार स्कूल गए थे। हादसे के छह माह बीतने के बाद भी इंसाफ न मिलने से परिजन मायूस हैं। सरकार आई... फूल चढ़ाए... मुआवजा दिया... लेकिन नहीं मिला इंसाफ?

loksabha election banner

सोमवार को डीसी कार्यालय धर्मशाला में इंसाफ की गुहार लगाने पहुंचे बेबस परिजनों का मंजर कुछ और ही था। डीसी ऑफिस पहुंचने के लिए उन्होंने कचहरी चौक से नाक रगड़ कर इंसाफ यात्रा शुरू की। इस दौरान गंदे कपड़ों से बेपरवाह परिजनों ने डीसी से इंसाफ की गुहार लगाई। परिजनों ने कहा, उनके कपड़ों पर लगी धूल को कोई साफ न करे और अगर सहायता के नाम पर कुछ देना ही तो इंसाफ दीजिए। कहा कि मुआवजा मिला है लेकिन काल का ग्रास बने बच्चों को इंसाफ कौन देगा। बेबस मां-बाप ने कहा, उन्हें इंसाफ चाहिए और वे मुआवजा सरकार को लौटाने के लिए तैयार हैं।

परिजनों ने मृत बच्चों की ओर से सुप्रीम कोर्ट को खत लिखकर न्याय की गुहार लगाई है। पत्र की भाषा ऐसी बनाई गई है जैसे उसे मृत बच्चों की ओर से लिखा गया हो। परिजनों का आरोप है कि इससे पहले भी वे कई मंचों पर आवाज उठा चुके हैं लेकिन केवल आश्वासन मिले हैं। 

पत्र में ये सवाल उठाए हैं

’  जिस जगह बस खाई में गिरी थी वहां पहले से ट्रक पड़ा था। जांच में मालिक ने बताया कि बीमा कंपनी ने

ट्रक खाई से बाहर निकालना था, जबकि कंपनी का तर्क था कि मालिक ने ही दुर्घटनाग्रस्त वाहन बाहर निकालना था। हैरानी की बात है कि आजतक यह तय नहीं हो पाया है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन हैं।

’  पुलिस ने एफआइआर में जिस व्यक्ति का बयान दर्ज किया था, उसके अनुसार चालक तेज गति से बस

चला रहा था और बाद में वही बयान से पलट गया। बाद में उसने बयान दिया कि वह मौके पर मौजूद ही नहीं था। पुलिस ने भी इसे हल्के में लिया। पुलिस यह भी नहीं बता रही है कि किस कर्मी ने यह एफआइआर दर्ज की है और वह कहां तैनात है।

’  जहां बस गिरी थी वहां गहरी खाई है। लोनिवि ने यहां रिटेनिंग वॉल लगाई थी लेकिन वह कब गिरी किसी को कुछ पता नहीं है। विभाग का तर्क है कि दीवार को लगाने में आठ लाख खर्च हुए थे। सवाल यह है कि दीवार गिरने से कितना नुकसान विभाग को हुआ है यह जानकारी तो है ही नहीं, लेकिन क्षति की रिपोर्ट भी नहीं है।

’  कुछ ऐसे भी बच्चे थे, जो नौ अप्रैल को पहली बार स्कूल गए थे। मुआवजा जरूर दिया गया, फूलमालाएं

भी चढ़ाई गईं लेकिन अब तक इस मामले में जांच में क्या-क्या हुआ, सामने नहीं आ सका है।

जब तक पीड़ित परिवारों को इंसाफ नहीं मिल जाता है जब तक जंग जारी रहेगी। बच्चों की मौत पर

अन्याय सहन नहीं होगा।’ 

संजय शर्मा, समाजसेवी

दुख की घड़ी में पीड़ित परिवारों के साथ हूं। पीड़ित परिवारों की ओर से सौंपे गए पत्र को आगे प्रेषित किया जाएगा। सक्ष्म अधिकारी ने बस हादसे की जांच की थी। अगर फिर भी पीड़ित परिवारों को जांच मंजूर नहीं है तो दोबारा से तथ्य खंगाले जाएंगे। मेरे स्तर पर जो कार्य गांव में होना है उसे पूरा करवाया जाएगा।’

-संदीप कुमार, डीसी कांगड़ा 

कब क्या हुआ

9 अप्रैल : दुर्घटनाग्रस्त हुई।

10 अप्रैल : मुख्यमंत्री सहित कई मंत्री नूरपुर पहुंचे। हादसे की न्यायिक जांच का आदेश दिया।

21 अप्रैल : गायत्री सेवा समिति ने घटनास्थल पर करवाया शांति हवन।

8 मई : एडीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट में चालक की लापरवाही सामने आई।

10 मई : परिजनों ने नकारी प्रशासन की रिपोर्ट।

18 मई : परिजन एसपी से मिले और जांच पर उठाए सवाल।

3 जून : हाईकोर्ट के आदेश पर स्कूल प्रबंधन, शिकायतकर्ता व ट्रक चालक के खिलाफ केस दर्ज।

4 सितंबर : परिजनों ने उठाई सीबीआइ जांच की मांग


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.