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नन्हे-मुन्नों के शवों से भर गया नूरपुर अस्पताल, कई घरों के बुझे चिराग

हादसे की खबर सुनने के नूरपुर अस्पताल पहुंचे अभिभावक बदहवास होकर लाडलों की तलाश में इधर-उधर घूमते रहे।

By BabitaEdited By: Published: Tue, 10 Apr 2018 09:43 AM (IST)Updated: Tue, 10 Apr 2018 04:18 PM (IST)
नन्हे-मुन्नों के शवों से भर गया नूरपुर अस्पताल, कई घरों के बुझे चिराग
नन्हे-मुन्नों के शवों से भर गया नूरपुर अस्पताल, कई घरों के बुझे चिराग

नूरपुर, प्रदीप शर्मा। अभिभावकों ने सोमवार को अपने नन्हे मुन्नों को स्कूल भेजा था, उन्हें क्या मालूम था कि स्कूल की वर्दी में निकले बच्चे अब कफन में लौटेंगे। अक्सर लोरी से सोने वाले बच्चे मां की चीखों से भी नहीं उठे। नूरपुर अस्पताल में बच्चों की माताएं चीख-चीखकर उठाने के लिए आवाजें लगा रहीं थीं..लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनके लाल अब नहीं उठेंगे। 

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नूरपुर अस्पताल का यह मंजर हर किसी की आंख में आंसू ले आया। हादसे की खबर सुनने के नूरपुर अस्पताल पहुंचे अभिभावक बदहवास होकर लाडलों की तलाश में इधर-उधर घूमते रहे। अस्पताल में चीखो-पुकार मच गई। हादसे ने 23 घरों के चिराग बुझा दिए वहीं कई बच्चों को ताउम्र न भूलने वाले जख्म दे दिए।

 

सोमवार को नूरपुर क्षेत्र के मलकवाल- ठेहड़ संपर्क मार्ग में हुए हादसे में 23 बच्चों सहित कुल 27 लोगों की जान चली गई। वजीर राम सिंह पठानिया मेमोरियल पब्लिक हाई स्कूल की अभागी बस छुट्टी के बाद बच्चों को घर छोडऩे जा रही थी कि मलकवाल- ठेहड़ संपर्क मार्ग पर बस अनियंत्रित होकर करीब 400 फुट फीट गहरी खाई में जा गिरी। हादसे के कारणों का अभी पता तो नहीं चल पाया है, लेकिन बताया जा रहा है कि इस सड़क पर विपरीत दिशा से आ रहे बाइक सवार को बचाने के चक्कर में बस अनियंत्रित होकर गहरी खाई में जा गिरी। पंजाब की सीमा के साथ सटे इस क्षेत्र में हुए हादसे की जानकारी सबसे पहले पड़ोसी राज्य के लोगों को मिली।

पंजाब के लोगों ने जब बस को खाई में गिरते ही देखा तो उन्होंने खुआड़ा निवासी रमेश पठानिया को इस हादसे की सूचना दी। इसके बाद इस हादसे की सूचना लोगों को मिली। हादसे की सूचना मिलते ही नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया नूरपुर अस्पताल पहुंच गए।

जिस स्थान पर सोमवार को यह हादसा हुआ ठीक इसी स्थान पर करीब छह माह पहले एक ट्रक भी अनियंत्रित होकर गिरा था। ट्रक आज भी वहीं पड़ा हुआ है और आज बस भी उसी स्थान पर दुर्घटनाग्रस्त होकर ट्रक पर जा गिरी। सूचना मिलते ही स्थानीय लोग राहत व बचाव कार्य में जुट गए व निजी गाडिय़ों व 108 एंबुलेंस की मदद से घायलों को नूरपुर अस्पताल लाया गया। नूरपुर अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई।

 

जैसे ही अभिभावकों को हादसे की सूचना मिली तो वह नूरपुर अस्पताल पहुंचे, नूरपुर अस्पताल का वातावरण चीखों से गूंज उठा। अभिभावकों को यह पता नहीं चल पा रहा था कि उनके बच्चे जीवित भी है या नहीं। रेफर किए हैं तो कहां हैं। अस्पताल में हर तरह चीखें ही सुनाई दे रही थी। भारी संख्या में लोग नूरपुर अस्पताल मे जमा हो गए। चंद मिनटों में ही नूरपुर अस्पताल नन्हे-मुन्नों के शवों से भर गया। नूरपुर में आपदा प्रबंधन बटालियन भी है लेकिन वह भी दो घंटे बाद घटनास्थल पर पहुंची। बचाव दल के आने से पहले ही स्थानीय लोग घायलों व शवों को बस से बाहर निकाल चुके थे। डीसी संदीप कुमार व एसपी संतोष पटियाल ने घटनास्थल का भी दौरा किया।

नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया ने इस हादसे पर गहरा व्यक्त किया है। उन्होंने उन परिवारों से गहरी संवेदना जताई जिन्होंने हादसे में अपने घर के चिरागों को खोया है। उधर पठानकोट में घायल बच्चों को जब लाया गया तो वहां छात्र हार्दिक गुलेरिया के मामा अंगुराज पठानिया ने इस हादसे के लिए स्कूल प्रशासन को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि कई छात्रों को मौके पर प्राथमिक उपचार नहीं मिला, जिस वजह से कई बच्चों की मौत हो गई। मंगलवार को नूरपुर व आस पास के प्रमुख निजी स्कूल बंद रहेंगे। यह जानकारी नूरपुर पब्लिक स्कूल के निदेशक अरविंद डोगरा ने दी।

घर-द्वार शिक्षा मंदिर पर गुणवत्ता लाए कौन

शिक्षा की लौ घर-द्वार जगाने के प्रयास में कई वर्षों से जुटी सरकार के प्रयास सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवता के आगे फीके पड़ रहे हैं। सरकारी स्कूलों में भारी भरकम बजट खर्च करने के बावजूद प्रदेश के अधिकांश बच्चे निजी स्कूलों की ओर ही जा रहे हैं। सुबह से ही स्कूली बसों सहित छोटी गाडिय़ों में सुनहरे भविष्य की उम्मीदें लगाए बैठे बचपन से कई किमी लंबा सफर इसलिए तय करवाया जा रहा है ताकि बच्चों को निजी स्कूलों में अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवाई जा सके। सरकारी स्कूलों में लगातार आ रही बच्चों की कमी के बावजूद न तो अब तक इस पर कोई चर्चा हो पाई है और न ही कोई बहस। जिला कांगड़ा की ही अगर स्थिति देखें तो यहां 630 के लगभग निजी स्कूल हैं और सभी स्कूल बच्चों से भरे हुए हैं लेकिन सरकारी स्कूलों की स्थिति ठीक नहीं है। सरकारी स्कूलों का आंकड़ा जिले में करीब 2442 है। बावजूद इसके जिला कांगड़ा की एक बड़ी आबादी बच्चों को निजी स्कूलों में भेजने के लिए विवश है और इसके लिए रोजाना बच्चों से कई किलोमीटर लंबा सफर तय करवाया जा रहा है। 

ट्रक हादसे से भी नहीं लिया सबक

जिस स्थान पर हादसा हुआ है। वहां करीब छह माह पहले एक ट्रक भी गिर चुका है। इस हादसे में उस समय एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। यह ट्रक आज भी इसी खाई में गिरा है। हैरानी की बात है कि इस हादसे के बाद भी कोई भी इस सड़क के हिस्से को ठीक करने के लिए नहीं जागा। यहां सड़क का एक हिस्सा बेहद संकरा हो गया है। हालांकि अब दलील बस के विपरीत में होने की दी जा रही है लेकिन हादसे में कहीं न कहीं इस सड़क की खराब हालत भी जिम्मेदार है। अगर ट्रक हादसे के तुरंत बाद यहां कोई पैरापिट या क्रैश बैरियर लगा दिए गए होते तो शायद आज यह हाल नहीं होता।


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