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पासिग के बाद नहीं कोई जांच का प्रावधान

संवाद सहयोगी धर्मशाला सड़क पर दुर्घटनाओं का एक कारण जर्जर हालत में दौड़ते वाहन भी ह

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 03:48 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 03:48 AM (IST)
पासिग के बाद नहीं कोई जांच का प्रावधान
पासिग के बाद नहीं कोई जांच का प्रावधान

संवाद सहयोगी, धर्मशाला : सड़क पर दुर्घटनाओं का एक कारण जर्जर हालत में दौड़ते वाहन भी हैं। ऐसे में सरकार की ओर से हर वाहन की हालत जानने के लिए पासिंग के दौरान फिटनेस जांच का नियम बनाया है। लेकिन पासिंग के बाद जांच का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में कई बार ऐसे वाहन हादसों का कारण बनते हैं।

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उधर वाहनों की पासिग का कार्य बोझ परिवहन विभाग के अधिकारियों से कम करने के लिए निजी वाहनों की पासिग का जिम्मा अब हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के क्षेत्रीय प्रबंधकों को सौंप दिया है। लेकिन वाहनों की फिटनेस जांच केवल पासिग तक ही सीमित होकर रह गई है।

हर वाहन के लिए पासिग का समय अलग रहता है, लेकिन वाहन कितने फिट हैं, सड़क पर दौड़ने के लिए यह पासिग के दौरान ही साफ हो पाता है, अन्यथा ज्यादातर वाहन बिना फिट यानी जर्जर हालत में भी दौड़ते रहते हैं। हालांकि परिवहन विभाग की ओर से वाहनों की फिटनेस सहित यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर समय-समय पर कार्रवाई तो की जाती है, लेकिन ज्यादातर वाहन चालक या संचालक जुर्माना अदा करने के बाद इन वाहनों की कमियों को दूर नहीं करते हैं। जिस कारण ये वाहन हर समय सड़क हादसे को न्योता देते रहते हैं। यह है पासिग का नियम

निजी वाहन खरीद पर पहली बार 15 वर्ष के लिए पासिग होती है। अवधि पूरी होने पर पांच साल के लिए पासिग होती है। वहीं व्यावसायिक तौर पर इस्तेमाल होने वाले वाहन की खरीद की आठ वर्ष की अवधि में हर दो साल बाद पासिग की जाती है। आठ वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद हर वर्ष पासिग का प्रावधान है। पासिग के दौरान होती है सभी पुर्जो की जांच

पासिग पर वाहनों के हर पुर्जे की जांच होती है। यदि किसी भी पुर्जे में कोई कमी हो तो वाहन मालिक को उस कमी को दूर करने की हिदायत दी जाती है। कमी दूर होने के बाद ही उस वाहन की पासिग होती है। हालांकि निजी और व्यावसायिक वाहन की पासिग की अवधि का समय अलग-अलग निर्धारित है। निजी वाहनों की पासिग का अधिकार मिला है। हर वाहन की पासिग का समय अलग रहता है। पासिग के दौरान वाहन के हर पुर्जे की जांच की जाती है और उसके बाद ही पासिग की जाती है। अभी दिसंबर तक कोई पासिग नहीं है।

- पंकज चड्ढा, क्षेत्रीय प्रबंधक एचआरटीसी धर्मशाला। वाहनों की पासिग के दौरान लाइटिग, इंजन, टायर सहित तमाम पुर्जो की जांच शामिल है। वहीं इस दौरान प्रदूषण संबंधी प्रमाणपत्र की भी जांच की जाती है। कोई कमी रह जाए तो उसे दूर करने के बाद ही पासिग की जाती है।

- डा. विशाल शर्मा, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी कांगड़ा। धर्मशाला डिपो की बसों की स्थिति सीट के आधार पर

सीटर,कितनी बसें

सात सीटर,4

25 सीटर,5

29 सीटर,4

30 सीटर,2

31 सीटर,2

33 सीटर,18

35 सीटर,10

37 सीटर,32

38 सीटर,4

39 सीटर,7

47 सीटर,53

...............

कुल बसें,141


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