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शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मंदिर में अव्यवस्थाएं, जूता घर न होने के कारण मुख्य गेट पर लगे जूतों के ढेर

सालाना करोड़ों की आमदन करने वाले शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी में अव्यवस्थाएं रोजाना देश भर से हजारों की संख्या में आ रहे श्रद्धालुओं का स्वागत कर रही हैं। मंदिर परिसर में सफाई व्यवस्था बेहाल है मुख्य गेट की सीढ़ियों पर जूतों के ढेर यह बताने के लिए काफी हैं।

By Richa RanaEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 10:21 AM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 10:21 AM (IST)
शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मंदिर में अव्यवस्थाएं, जूता घर न होने के कारण मुख्य गेट पर लगे जूतों के ढेर
ज्वालामुखी में जूता घर न होने के कारण श्रद्धालु जूते मुख्‍य गेट पर खोलने को मजबूर हैं।

ज्‍वालामुखी,प्रवीण कुमार शर्मा। सालाना करोड़ों की आमदन करने वाले शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी में अव्यवस्थाएं रोजाना देश भर से हजारों की संख्या में आ रहे श्रद्धालुओं का स्वागत कर रही हैं। हालात ऐसे हैं कि मंदिर परिसर में सफाई व्यवस्था बेहाल है तो मुख्य गेट की सीढ़ियों पर जूतों के ढेर यह बताने के लिए काफी हैं कि मंदिर प्रशासन अपनी आंखों के सामने वो सब कुछ होता देख रहा जिससे दर्शनों के लिए आने वाला हर यात्री आहत होगा। मंदिर में सफाई व्यवस्थाओं व अन्य कार्यों के लिए 80 के करीब कर्मचारी काम कर रहे हैं। यह भी तथ्य है कि सालाना करोड़ों की आमदन वाले जवालामुखी मंदिर में चढ़ावे का 70 प्रतिशत कर्मचारियों की पगार व अन्यों खर्चों पर लग जाता है। लेकिन इस सब के बाबजूद व्यवस्थाएं पटरी पर नहीं आ रही हैं।

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मंदिर की सीढ़ियों पर जूतों के ढेर, नहीं बन पाया जूता घर

प्रदेश के बड़े से लेकर छोटे मंदिरों में हर जगह यात्रियों के जूते उतारने के लिए व्यवस्थाएं हैं। दुःखद है कि ज्वालामुखी में अभी तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बन पाई। मंदिर न्यास के पास इसके लिए पर्याप्त जगह है लेकिन अपनों को खुश करने के लिए न्यास की दो-दो,तीन-तीन दुकानें कहीं गोदाम तो कहीं वयापारिक गतिविधियों के लिए दे रखी हैं.यहां आसानी से तीन चार कर्मचारी रखकर श्रद्धालुओं के जूतों को व्यवस्था से रखा जा सकता है.लेकिन इस तरफ कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है.

एडवोकेट अभिषेक उपाध्याय स्थानीय निवासी व सोशल डिफेंस संस्था के अध्यक्षने कहा कि मंदिर में अव्यवस्थाओं से आहत दिल्ली के एक श्रद्धालु नरजेश सैनी व अक्षय शर्मा ने कहा कि मुख्य गेट की सीढ़ियों पर जूतों के ढेर देखकर उन्हें बुरा लगा। देश भर के किसी भी मंदिर में ऐसा नहीं देखा. प्रशासन से बात भी की लेकिन कोई संतोषजनक जबाब नहीं मिला। मंदिर प्रशासन यदि जूतों की व्यवस्था नहीं संभाल सकता तो मुझे अनुमति दे। मैं व्यक्तिगत खर्चे पर इस व्यवस्था को संभालने के लिए तैयार हूं। यह शर्मनाक है कि करोड़ों की आमदन वाले मंदिर में यात्रियों को मंदिर तक जाने से पहले जूते उतारने की जगह तक नहीं है। मनोज ठाकुर एसडीएम ज्वालामुखी का कहना है कि यह मामला मेरे ध्यान में आया है।हम इसके लिए व्यवस्था बना रहे हैं.बहुत जल्दी यात्रियों की सुविधा के लिए जूता घर की व्यवस्था की जाएगी।


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