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टांडा अस्‍पताल में इलाज चाहिए तो पहले करवाना होगा कोरोना टेस्ट, जानिए आइजीएमसी में क्‍या है व्‍यवस्‍था

Tanda Medical College हिमाचल प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल में मरीज का इलाज तभी शुरू होगा जब उसकी कोविड टेस्ट रिपोर्ट आएगी। टेस्ट रिपोर्ट सिक्योरिटी गार्ड को दिखाने के बाद ही मरीज को अस्पताल के अंदर जाने की अनुमति दी जा रही है।

By Edited By: Published: Sun, 16 May 2021 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 11:23 AM (IST)
टांडा अस्‍पताल में इलाज चाहिए तो पहले करवाना होगा कोरोना टेस्ट, जानिए आइजीएमसी में क्‍या है व्‍यवस्‍था
हिमाचल प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल में मरीज का इलाज तभी शुरू होगा जब उसकी कोविड टेस्ट रिपोर्ट आएगी।

टाडा, जागरण संवाददाता। हिमाचल प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल में मरीज का इलाज तभी शुरू होगा जब उसकी कोविड टेस्ट रिपोर्ट आएगी। टेस्ट रिपोर्ट सिक्योरिटी गार्ड को दिखाने के बाद ही मरीज को अस्पताल के अंदर जाने की अनुमति दी जा रही है। मरीज ही नहीं तीमारदार को भी कोविड जाच के बाद ही अस्पताल में प्रवेश की अनुमति मिल रही है। चाहे उसे खासी, जुकाम या बुखार है या नहीं, कोरोना टेस्ट जरूरी है। टाडा में सप्ताहभर से यही व्यवस्था लागू है। सिक्योरिटी से लेकर पर्ची काउंटर तक सभी को आदेश जारी हो गया है। इस कारण मरीजों के उपचार में देरी हो रही है। आधे से एक घटे का समय रैपिड एंटीजेन टेस्ट रिपोर्ट आने में लग रहा है। उपचार में देरी के कारण कई तीमारदार मरीजों को अस्पताल के गेट के बाहर से ही वापस ले जा रहे हैं।

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केस स्टडी-1

नौ मई को मेरे पति हंसराज को ज्वालामुखी से टाडा मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। यहा इमरजेंसी में स्थापित फ्लू कॉर्नर में पास बनाने के बाद रैपिड एंटीजेन टेस्ट करवाने को कहा गया। मैं सिक्योरिटी गार्ड से मिन्नतें करती रही कि पति की हालत बहुत खराब है। मुझे अंदर जाने की अनुमति दी जाए, लेकिन उन्होंने इन्कार कर दिया। करीब आधे घटे के बाद टेस्ट रिपोर्ट मिली, उसके बाद अस्पताल में प्रवेश करने दिया गया। इसके बाद पर्ची बनवाई तब जाकर इलाज शुरू हो पाया। -रीना कुमारी, हंसराज की पत्नी निवासी ज्वालामुखी।

केस स्टडी-2

मेरे पिता हृदय रोगी हैं। टाडा से उनका इलाज चल रहा है। 11 मई को टाडा मेडिकल कॉलेज गया। मैंने डाक्टर से पिता की दवा सिर्फ कन्टीन्यू ही करवानी थी। नई पर्ची भी नहीं बनवानी थी। पहले पर्ची काउंटर वाले गेट पर गया, वहा से सिक्योरिटी गार्ड ने अंदर जाने से मना कर दिया। फिर इमरजेंसी वाले गेट पर जाकर पास बनवाया। फिर भी सिक्योरिटी गार्ड ने अंदर जाने से मना कर दिया। बोले कोविड टेस्ट करवाओ। मैंने सिर्फ दवा आगे लिखवाने का हवाला भी दिया। यह भी कहा कि मैंने नहीं दिखाना, यहा पिता जी की पर्ची है। पर वे अड़े रहे कि उन्हें आदेश है कि किसी को भी बिना कोविड टेस्ट अंदर नहीं जाने देना है। मैं बिना दवा लिखवाए वापस आ गया। -वीरेंद्र, तीमारदार निवासी हमीरपुर।

आदेश का हाे रहा पालन : एमएस

चिकित्सा अधीक्षक टांडा मेडिकल कॉलेज डा. सुशील का कहना है ऊपर से आदेश हैं कि कोविड टेस्ट के बाद ही मरीज को अस्पताल के अंदर जाने देना है। हम उसी आदेश का पालन कर रहे हैं। रैपिड एंटीजेन टेस्ट सैंपल लेने के लिए इमरजेंसी वार्ड के बाहर व्यवस्था की गई है। जाच के लिए भी वहीं व्यवस्था बनाई है। कोविड टेस्ट रिपोर्ट जल्द मिले इसका प्रयास किया जा रहा है। ।

आइजीएमसी में यह है व्यवस्था

आइजीएमसी शिमला के चिकित्सा अधीक्षक डा. जनक राज ने बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार के आदेशानुसार महामारी की शुरुआत के समय से ही पर्ची काउंटर से पहले फ्लू कॉर्नर स्थापित किया गया है। यहा सभी मरीजों का पास बनता है। काउंटर पर तैनात स्टाफ मरीज से खासी, जुकाम व तेज बुखार के बारे में पूछताछ करता है। जिन मरीजों में कोरोना के उपरोक्त लक्षण होते हैं उनका पहले रैपिड टेस्ट करवाया जाता है। अन्य मरीजों को मुख्य पर्ची काउंटर पर भेज दिया जाता है। वे पर्ची बनवाकर ओपीडी में चले जाते हैं। हालाकि टाडा मेडिकल कॉलेज में भी पहले यही व्यवस्था थी, लेकिन सप्ताह भर से अस्पताल प्रशासन के नए प्रबंधन से मरीज व तीमारदार परेशान हो रहे हैं।


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