हिमाचल में ठेकेदारों के पंजीकरण के नए नियम लागू
लोक निर्माण विभाग में ठेकेदारों के लिए अब पंजीकरण के नए नियम लागू हो गए हैं। इस संबंध में ईएनसी ने सभी चीफ इंजीनियरों फील्ड अफसरों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। इसमें प्रधान सचिव लोक निर्माण के अगस्त महीने के निर्देशों का भी हवाला दिया गया है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश में लोक निर्माण विभाग में ठेकेदारों के लिए अब पंजीकरण के नए नियम लागू हो गए हैं। इस संबंध में ईएनसी ने सभी चीफ इंजीनियरों, फील्ड अफसरों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। इसमें प्रधान सचिव लोक निर्माण के अगस्त महीने के निर्देशों का भी हवाला दिया गया है। इंजीनियरों ने कार्यों के ठेकों के आवंटन में लापरवाही बरती या नए नियमों की उल्लंघना की तो नियमानुसार कठोर कार्रवाई होगी।
नए एन्लिस्टमेंट रूल्स का खाका अप्रैल महीने में तैयार हुआ था, इसे सरकार ने स्वीकृति दे दी थी, लेकिन राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित करने की औपचारिकताओं में समय लग गया। सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद अब इसकी हर हाल में अनुपालना करनी होगी।
क्या है नया प्रविधान
नए रूल के अनुसार सी क्लास के ठेेकेदार अब प्रदेश भर में कार्य कर सकेंगे। पहले जोन में ही काम कर सकते थे। जोन की सीमा समाप्त कर दी है। डी क्लास के ठेकेदार पहले केवल सर्कल में ही ठेके ले सकते थे, अब पूरे जोन में ले सकेंगे। उनके पास पैतृक जोन भी कार्य करने का विकल्प रहेगा। इसके अलावा वे किसी भी एक जोन में काम कर पाएंगे। प्रदेश में लोक निर्माण विभाग के पास करीब दस लाख ठेकेदार पंजीकृत हैं। इनमें सबसे ज्यादा डी और फिर सी क्लास के हैं।
52 मंडलों में हुआ था घपला
पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में एन्लिस्टमेंट रूल्स में 52 मंडलों की अवहेलना की गई थी। ठेके आवंटन में अनियमितताएं बरती गईं। छोटे ठेकेदारों के हित बड़े डकार गए। हाईकोर्ट के निर्देश पर विभागीय जांच करवाई गई। इसके आधार पर विभाग के दस सेवारत, सेवानिवृत्त अधिकारियों को दंडित किया जा रहा है। आरोपित इंजीनियर करीब ढाई साल पहले चार्जशीट किए गए थे।
दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया था मामला
दैनिक जागरण ने एन्लिस्टमेंट घपले को प्रमुखता से उजागर किया था। इस मामले में आरटीआइ का भी सहारा लिया गया था।
क्या है मामला
प्रारंभिक जांच में 52 मंडलों में अनियमितताएं सामने आईं। छोटे ठेकेदारों के हिस्से के ठेके ए और बी क्लास के ठेकेदारों को दे दिए, जबकि ये इन ठेकों के आवंटन के लिए पात्र ही नहीं थे। मामला 2016-17 का है। तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। एन्लिस्टमेंट रूल के मुताबिक ए और बी क्लास के ठेकेदार डी क्लास के ठेके नहीं ले सकते हैं।