वीरान हो गया मिल्खा सिंह का कसौली में घर, उड़न सिख का हिमाचल से गहरा नाता, इस बात का रहा मलाल
Milkha Singh Himachal Connection काेरोना से जंग लड़ते हुए दुनिया से रुख्सत हो गए लेकिन उनका नाम कई पीढ़ीयों तक जिंदा रहेगा। मिल्खा सिंह का हिमाचल से भी गहरा नाता था इसलिए मिल्खा सिंह के निधन से हिमाचलवासी भी गमगीन हैं।
कसौली (सोलन), मनमोहन वशिष्ठ। Milkha Singh Passed Away, हाथ की लकीरों से जिंदगी बना नहीं करती अज्म कुछ हिस्सा हमारा भी है जिंदगी बनाने में। यह लाइन महान धावक उड़न सिख मिल्खा सिंह अक्सर कहा करते थे। क्योंकि बचपन में ही माता पिता व अन्य स्वजनों को विभाजन की त्रासदी के दौरान पाकिस्तान में कत्ल होने के कारण अनाथ सी जिंदगी जीने वाले मिल्खा सिंह ने अपनी मेहनत के बलबूते ही विश्व में मिल्खा सिंह का नाम गुंजायमान किया था। शुक्रवार देर रात वह काेरोना से जंग लड़ते हुए दुनिया से रुख्सत हो गए, लेकिन उनका नाम कई पीढ़ीयों तक जिंदा रहेगा। मिल्खा सिंह का हिमाचल से भी गहरा नाता था, इसलिए मिल्खा सिंह के निधन से हिमाचलवासी भी गमगीन हैं।
मिल्खा सिंह का कसौली स्थित बंगला। जहां अक्सर उड़न सिख अपनी पत्नी के साथ रहते थे। कोविड के कारण दोनों के निधन के बाद यह बंगला भी वीरान हो गया है।
उनका कसौली में अपना बंगला है, जहां वह अकसर आया करते थे। यहां के ऐतिहासिक कसौली क्लब के वह सदस्य भी थे। गर्मियों में खासकर इन दिनों कसौली क्लब में होने वाली कसौली वीक में भाग लेने आते थे। कोरोना के बाद वह यहां नहीं आ पाए। मिल्खा सिंह व उनकी पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह दोनों ही कसौली में आम मिलनसार स्वभाव के लिए जाने जाते थे। आज दोनों के ही दुनिया से रुख्सत होने से उनका कसौली स्थित उनका घर भी वीरान हो गया है, जहां उनको अक्सर देखा जाता था।
मिल्खा सिंह कसौली में एक निजी विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में युवाओं को संबोधित करते हए। फाइल फोटो
गोल्ड मेडल का सपना नहीं हो सका पूरा
खेलों के महाकुंभ ओलंपिक का वो दौर जब भारतीय खिलाड़ी उसमें प्रवेश के लिए भी जूझते थे, तो उस समय देश के एक मतवाले ने तिरंगे की ऐसी शान बढ़ाई कि पूरा विश्व देखता रह गया। उस समय बेशक मिल्खा के हाथ से गोल्ड मेडल छूट गया हो, लेकिन उनकी शिद्दत ने देशवासियों को जो उम्मीद बंधाई थी, उसे आज के खिलाड़ी पूरा कर रहे हैं। साधारण से एक सिख ने कैसे नंगे पांव कंकर पत्थर भरे रास्तों पर दौड़ते हुए एथलेटिक्स ट्रैक तक की सफल उड़ान भरी कि वह उड़न सिख के नाम से मशहूर हो गया। वह विश्वभर के देशों में 80 रेस दौड़ें और 77 जीते। एशिया का तूफान कहे जाने वाले पाकिस्तान के रेसर अब्दुल खालिक को उसके ही देश में आसानी से हरा दिया था। इस पर पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने मिल्खा सिंह को फ्लाइंग सिख का खिताब दिया था। कसौली में जब भी वह आए होते थे, सुबह या शाम को मंकी प्वाइंट की ओर जाने वाली सड़क पर उन्हें सैर करते देखा जाता था। उनका हर समय यही कहना होता था कि जो गोल्ड मेडल रोम ओलंपिक में उनसे छूट गया था, उसे वह अपने जिंदा रहते देश में देखना चाहते हैं लेकिन उनका यह सपना भी अधूरा ही रह गया।
मिल्खा सिंह कसौली में अपने एक प्रशंसक के साथ। फाइल फोटो
खुशवंत सिंह लिटफेस्ट में भी बतौर वक्ता आए थे मिल्खा
मिल्खा सिंह के जीवन पर बनी फिल्म भाग मिल्खा भाग के प्रदर्शित होने के बाद अक्टूबर 2013 में कसौली में आयोजित खुशवंत सिंह लिटफेस्ट में मिल्खा सिंह व फिल्म के निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने फिल्म व मिल्खा के जीवन पर चर्चा की थी। उस सयम दर्शक उनकी जीवन की कहानी सुनकर भाव विभोर हो गए थे। मिल्खा सिंह 10 सितंबर 2018 को शूलिनी विवि में आयोजित एक कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि शिरकत करने आए थे। मिल्खा सिंह ने एक इनडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया, जिसे उनके नाम मिल्खा सिंह स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स पर रखा गया है। उन्होंने विवि परिसर में एक पौधा भी रोपा था। उस समय भी उनका कहना था कि 60 सालों बाद भी दूसरा मिल्खा पैदा नही कर पाया देश।
मिल्खा सिंह हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन स्थित पर्यटन स्थल कसौली में अपने कुछ दोस्तों के साथ। फाइल फोटो