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मंड क्षेत्र के लोगों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज अज्ञात वायरस से खराब हुई धान की फसल का मुआवजा देने की उठाई मांग

मंड क्षेत्र किसान संघर्ष समिति इकाई फतेहपुर व इंदौरा के प्रतिनिधिमंडल ने संयोजक विजय कुमार कुमार के नेतृत्व में उपायुक्त कांगड़ा के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज क्षेत्र में अज्ञात वायरस से खराब हुई धान की फसल का मुआवजा दिए जाने की मांग उठाई है।

By JagranEdited By: Richa RanaPublished: Tue, 27 Sep 2022 06:01 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 06:01 PM (IST)
मंड क्षेत्र के लोगों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज अज्ञात वायरस से खराब हुई धान की फसल का मुआवजा देने की उठाई मांग
मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज अज्ञात वायरस से खराब हुई धान की फसल का मुआवजा दिए जाने की मांग उठाई है।

धर्मशाला, संवाद सहयोगी। मंड क्षेत्र किसान संघर्ष समिति इकाई फतेहपुर व इंदौरा के प्रतिनिधिमंडल ने संयोजक विजय कुमार कुमार के नेतृत्व में उपायुक्त कांगड़ा के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज क्षेत्र में अज्ञात वायरस से खराब हुई धान की फसल का मुआवजा दिए जाने की मांग उठाई है। ज्ञापन सौंपने के बाद संयोजक विजय कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मंड क्षेत्र में 10 लाख क्विंटल धान की फसल होती है। लेकिन इस बार अज्ञात वायरस के कारण किसानों की फसल खेतों में ही खराब हो गई है। जिसका कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी निरीक्षण किया था और पाया कि अज्ञात वायरस फैल गया है।

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ये वायरस उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा व हिमाचल के मंड क्षेत्र में फैला है। जिससे किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। पहले ही कर्ज लेकर खेतीबाड़ी कर रहे किसानों को सरकार जल्द राहत दें और एसडीएम के माध्यम से निरीक्षण कर मुआवजा दिया जाए। जिससे किसान राहत ले सकें। उन्होंने बताया कि सीएम को भेजे गए ज्ञापन के माध्यम से दो बड़ी मंडियों के अलावा तीन खरीद केंद्र भी खोलने की गुहार लगाई है। हालांकि मीलवां व रियाली में मंडी खोली गई है, लेकिन 35 किलोमीटर क्षेत्र में फैले मंड के किसानों के लिए ये सुविधाजनक नहीं है और करीब सात से आठ किलोमीटर के दायरे में खरीद केंद्र होना चाहिए।

इसके लिए पांच अक्टूबर से धान खरीद शुरू करवाई जाए। उन्होंने एफसीआइ के अलावा अन्य एजेंसियों से भी खरीद कराने की मांग उठाई है। साथ खराब हुए धान को भी कम मूल्य में खरीद के प्रावधान की गुहार सरकार से लगाई है। जिससे कि किसान राहत की सांस ले सकें। अकसर आंशिक रूप से खराब की धान की खरीद न होने से किसानों को इन्हें वापस ले जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल के अन्य पदाधिकारी व सदस्य भी मौजूद रहे।


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