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Curfew में 40 फीसद तक घटी दवाओं की मांग, दो माह से खांसी, जुकाम व बुखार की दवाओं की मांग बेहद कम

कोरोना वायरस से बचाव के लिए प्रदेश में लागू कफ्र्यू के दौरान खांसी जुकाम बुखार व अन्य वायरल बीमारियों से भी बचे हैं।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 05:31 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 05:31 PM (IST)
Curfew में 40 फीसद तक घटी दवाओं की मांग, दो माह से खांसी, जुकाम व बुखार की दवाओं की मांग बेहद कम
Curfew में 40 फीसद तक घटी दवाओं की मांग, दो माह से खांसी, जुकाम व बुखार की दवाओं की मांग बेहद कम

सोलन, सुनील शर्मा। कोरोना वायरस से बचाव के लिए प्रदेश में लागू कफ्र्यू के दौरान खांसी, जुकाम, बुखार व अन्य वायरल बीमारियों से भी बचे हैं। इसके कारण इन बीमारियों की दवाओं के कारोबार में 40 फीसद तक की गिरावट प्रदेश में आई है। इसका कारण लोग घरों में रहे, पर्यावरण स्व'छ हुआ और जंक फूड से दूरी बनी रही। हालांकि इसका सीधा असर दवा विक्रेताओं पर पड़ा। यह असर एक छोटे मेडिकल स्टोर से लेकर फार्मा उद्योग तक देखने को मिला है। लॉकडाउन था तो अस्पतालों की ओपीडी बंद थी। ओपीडी बंद होने से मामूली बीमारियों में लोगों ने घरेलू नुस्खे अपनाए और दवाओं से परहेज किया।

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दो माह से मांग पर असर

इन दिनों कोल्ड व कफ के लिए लिक्विड बैनाड्रिल, विनकोल्ड, एलेक्स सिरप, सॉल्विन कोल्ड दवाओं की काफी मांग होती थी। ब'चों के लिए सिनारेस्ट को भी काफी मांगा जाता था, लेकिन अब इनकी मांग में भारी कमी आई है। बॉडी पेन और फीवर के लिए पैरासिटामोल, जैराडोल पी, डोलोसिक्स 650 दवाओं की भी खरीद कम हुई है। एंटीबॉयोटिक दवाओं में सिप्लॉक्स, एजी 500 का इस्तेमाल अधिक होता था, लेकिन दो माह से मांग पर बहुत असर पड़ा है। 24 मार्च से लेकर 15 मई तक दवाओं की बिक्री में 40 फीसद तक गिरावट आ गई थी। -इंदर साहनी, साहनी मेडिकल स्टोर मालरोड सोलन।

कम मिल रहा काम

दवाओं की बिक्री पर मई में गहरा असर पड़ा है। मार्च में कफ्र्यू लगने के बाद दवाओं का अधिक स्टॉक मंगवा लिया था। अनुमान था कि आने वाले वक्त में शायद दवाओं का उत्पादन नहीं होगा। अब स्टॉकिस्टों का कहना है कि मई में पिछले वर्ष की तुलना में 30 से 35 फीसद काम कम मिला है।  -नीरज मित्तल, पैसिफिक मेडिसिन डिस्ट्रीब्यूटर सोलन।

उत्पादन बंद करने की स्थिति

अप्रैल से 10 मई तक फार्मा उद्योगों में केवल हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन और अजीथ्रोमाइसिन का ही उत्पादन हो रहा था। इसके अलावा कुछ दवाओं का उत्पादन हुआ। अस्पतालों में ओपीडी बंद होने से मांग कम हुई। फार्मा उद्योगों में दो बड़े संकट सामने आए थे, पहला लेबर का था और दूसरा डिमांड का। बाजार से डिमांड का स्तर काफी कम चला गया था। इससे लाखों रुपये के कारोबार में कमी आई है। इसका सामना पूरे फार्मा जगत को करना पड़ा है। एंटीबॉयोटिक, एसिडिटी, खांसी, जुकाम की दवाएं इन दिनों ऑर्डर में नहीं हैं। कंपनियों के पास जून माह तक के लिए ऑर्डर नहीं है। उद्योगों में उत्पादन बंद होने की स्थिति आने लगी है। -राजेश गुप्ता, अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश ड्रग मैन्यूफेक्चरिंग एसोसिएशन।


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