मंडी, जागरण संवाददाता। मस्तिष्क के विकारों को दूर करने में गणित का माडल मददगार बनेगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के विज्ञानी डा. शुभजीत राय चौधरी ने ट्रांसक्रानियल इलेक्ट्रिकल स्टिमुलेशन (टीईएस) माडल बनाया है। इसे मरीज के सिर पर इलेक्ट्रोल लगाकर ब्रेन मैपिंग की जाएगी। शोध में डा. याशिका अरोड़ा और बफेलो विश्वविद्यालय के डा. अनिर्बान दत्ता ने सहयोग किया।

डा. शुभजीत राय चौधरी ने बताया कि ट्रांसक्रानियल इलेक्ट्रिकल स्टिमुलेशन गैर-इनवेसिव ब्रेन स्टिमुलेशन माडल है, जो मस्तिष्क का अध्ययन और उसमें होने वाले परिवर्तन के लिए उसके कुछ हिस्सों में विद्युत प्रवाहित की जाती है। इससे मस्तिष्क के विकारों के इलाज में मदद मिलेगी। इसमें रोगी की खोपड़ी पर इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं और करंट प्रवाहित किया जाता है। करंट का एक हिस्सा मस्तिष्क में प्रवेश करता है और तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। इससे मस्तिष्क की हलचल की मैपिंग होती है।

डा. शुभजीत राय चौधरी ने बताया कि चार डिब्बों के साथ न्यूरोवास्कुलर यूनिट के शारीरिक रूप से गणितीय माडल का अनुकरण किया। इसे सिनेप्टिक स्पेस, एस्ट्रोसाइट स्पेस, पेरिवास्कुलर स्पेस और आर्टेरियोल स्मूथ मसल सेल स्पेस कहा जाता है। इसमें करंट प्रवाह कर रक्त वाहिका में परिवर्तन का विश्लेषण किया। अध्ययन मस्तिष्क विशेषज्ञ स्ट्रोक के लिए रोगी को ठीक करने और न्यूरोरिेहेबिलिटेशन गतिविधियों की योजना बनाने में कारगर है। मस्तिष्क की चोट, हल्के संज्ञानात्मक हानि, मन्यूरोसाइकिएट्रिक विकारों के लिए भी यह मददगार है। टीम ने प्रायोगिक अध्ययन की योजना बनाई है। इसमें माडङ्क्षलग परिणामों को मान्य करने के लिए विभिन्न मार्गों को अवरुद्ध करना शामिल है।पहले भी ब्रेन की मैङ्क्षपग होती है, लेकिन गणित के माडल के जरिए यह और आसान होगी और न्यूरोलाजिस्ट व सर्जन को मरीज का इलाज करने में मदद मिलेगी।

इसे बनाया शोध का आधार

डा. शुभजीत राय चौधरी ने बताया कि पहली शताब्दी ईस्वी में रोमन चिकित्सक स्क्रिबोनियस लार्गस ने सिरदर्द को कम करने के लिए सम्राट के सिर पर ब्लैक टारपीडो, एक बिजली का झटका पैदा करने वाली मछली लगाई। 18वीं शताब्दी में बिजली की खोज के तुरंत बाद पोर्टेबल इलेक्ट्रोस्टिम्यूलेशन उपकरणों को सिरदर्द सहित विभिन्न न्यूरोलाजिकल सिंड्रोम के इलाज के लिए डिजाइन किया गया था।

Edited By: Neeraj Kumar Azad