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सियाचिन शहीद मनीष ने दादा की अंत्येष्टी छोड़ चुनी थी वतन की सेवा, आज गांव पहुंचेगी पार्थिव देह

Martyr Manish मनीष ठाकुर के अंदर सेना में भर्ती होने का जज्बा इतना था कि उन्होंने अपने दादा की अंत्येष्टी तक का गम सीने पर रख कर अपने कदम आगे बढ़ाए।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 08:28 AM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 11:33 AM (IST)
सियाचिन शहीद मनीष ने दादा की अंत्येष्टी छोड़ चुनी थी वतन की सेवा, आज गांव पहुंचेगी पार्थिव देह
सियाचिन शहीद मनीष ने दादा की अंत्येष्टी छोड़ चुनी थी वतन की सेवा, आज गांव पहुंचेगी पार्थिव देह

कुनिहार, देवेंद्र तनवर। देश की सुरक्षा में सियाचिन सेक्टर में तैनात कुनिहार के मनीष ठाकुर के अंदर सेना में भर्ती होने का जज्बा इतना था कि उन्होंने अपने दादा की अंत्येष्टी तक का गम सीने पर रख कर अपने कदम आगे बढ़ाए। जब उनकी सेना में ज्वाइनिंग की तारीख आई थी, उसी रात उनके दादा स्वर्गवासी हो गए। अब उस वक्त मनीष ठाकुर के ऊपर ऐसा संकट छाया कि एक तरफ अपने दादा का दुख और दूसरी तरफ देश सेवा करने का अवसर। ऐसे में उन्होंने अपने दादा के पूरे होने का गम अपने सीने पर रखकर सेना में ज्वाइनिंग देने की ओर कदम बढ़ा दिए। शहीद की आज पार्थिव देह गांव पहुंचेगी।

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दिवाली पर हुई थी माता-पिता से बात, बोला था जल्‍द आउंगा घर

मनीष अपने माता-पिता के सबसे छोटे बेटे थे और सबके दुलारे भी थे। बीती दिवाली पर उनकी मां और पिता से बात हुई थी कि वह जल्द ही चार-पांच दिन के लिए घर आएंगे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि वह चार दिन शायद उनके जीवन को नसीब नहीं। मनीष कुमार भारतीय सेना की डोगरा रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। वह अभी केवल 22 वर्ष के थे। अपने छोटे बेटे की इतनी कम उम्र में मौत के बाद परिवार के सभी सदस्यों का हौसला टूट गया है और बेटे के शहीद होने के गम से वह बेसुध होकर उसके पार्थिव देह का इंतजार कर रहे हैं।

रात नौ बजे आई शहादत की सूचना

शहीद के मौसा भरतराम व चाचा बाबूराम ने बताया कि सोमवार रात्रि करीब नौ बजे के करीब सेना के अधिकारियों का फोन उनके पास आया। सेना ने उन्हें बताया कि सियाचिन में उत्तरी ग्लेशियर के आस पास आए हिमस्खलन में कुछ सेना के जवानों की मौत हो गई है। इसमें सैनिक मनीष ठाकुर भी शामिल है।

सारा दिन लाडले के लिए बिलखता रहा परिवार

बताया गया कि शहीद सैनिकों की पार्थिव देह सियाचिन से लेह लाई जाएंगी और इसके बाद उन्हें चंडीमंदिर सेना की कमांड में लाया जाएगा। उसके बाद बुधवार को सुबह कुनिहार के लिए शव भेजा जाएगा। शव चंडीमंदिर से कुनिहार सड़क मार्ग से पहुंचेगा। सुबह से ही लोगों की भीड़ शहीद के निवास पर जुटने लगी। पूरा दिन परिवार अपने लाडले बेटे के लिए बिलखता रहा।

भर्ती के लिए आठ किलोमीटर रोज दौड़ता था मनीष

मनीष ठाकुर सेना में भर्ती होने के लिए प्रतिदिन करीब आठ किलोमीटर दौड़ लगाता था। उसकी प्रारंभिक शिक्षा बंगयार व उच्चतर शिक्षा कुफटू में हुई। ग्रेजुएशन की शिक्षा ग्रहण करते हुए वह सेना में भर्ती हो गया था। उसने शिमला के जुंगा में भर्ती परीक्षा दी थी। शहीद मनीष की ज्वाइनिंग 11 दिसंबर 2017 को थी, लेकिन उसके दादा स्व. नारायण ङ्क्षसह की उससे पूर्व 10 दिसंबर की रात्रि को मृत्यु हो गई थी। इस घटना के बाद भी वीर मनीष ठाकुर ने राष्ट्र धर्म को सर्वोपरि माना तथा वह ज्वाइनिंग देने चले गए।


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