अब पर्यटन की दिशा में विकसित होगा मनियाड़ा का ऐतिहासिक तालाब
जल संरक्षण के तमाम दावों के बावजूद आज तालाबों की उपेक्षा के चलते हालत वद से बदतर हो गई है। गांव के बचपन को भी इन ऐतिहासिक तालाबों की विशेषता की कोई जानकारी नहीं है। इसपर तीन लाख मनरेगा के तहत इस तालाब पर खर्च होगा।
भवारना, शिवालिक नरयाल। जल संरक्षण के तमाम दावों के बावजूद आज तालाबों की उपेक्षा के चलते हालत बद से बदतर हो गई है। गांव के बचपन को भी इन ऐतिहासिक तालाबों की विशेषता की कोई जानकारी नहीं है। इसी कड़ी में पालमपुर से 16 किमी दूर पालमपुर- खैरा मार्ग पर बसे मनियाड़ा गांव में स्थित वर्षों पुराने तालाब को अब संवारने की कवायद शुरू हो गई है।
खंड विकास अधिकारी भवारना के ध्यान में जब यह मामला पंचायत के माध्यम से लाया गया तो उन्होंने खुद इस मामले में दिलचस्पी दिखाकर यहां मौके पर पहुंच कर विजिट किया और पाया कि यदि इस उपेक्षित तालाब को संवारा जाए तो बहुत कुछ संभव हो सकता है, जिसके लिए सबसे बड़ी चुनौती इस तालाब को संवारने के लिए बजट का प्रावधान करना। केंद्र की ओर से चलाई जा रही एक योजना वाटर शेड मैनेजमेंट प्रोग्रामिंग के तहत इस तालाब के जीर्णोद्धार के लिए लगभग साढ़े चार लाख के बजट का प्रावधान कराया गया जबकि तीन लाख मनरेगा के तहत इस तालाब पर खर्च होगा।
दत्तल पटवार सर्कल के पटवारी कुलदीप राणा की रपट के मुताबिक, बकौल,बंदोबस्त रिकार्ड 1972 ,यह तालाब गैरमुमकिन जगह के नाम से चिह्नित है। खसरा नंबर-294 और तालाब लगभग साढ़े दस कनाल भूमि पर राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है। शुरुआती कड़ी में तालाब से मिट्टी और गाद निकालने का काम शुरू हो गया है। जिसके बाद यहां चारों ओर डंगे लगाकर तालाब की साइड को पक्का किया जाएगा। तालाब को पानी से भरा जाएगा।
तालाब के चारों ओर एक लोगों के पैदल चलने के लिए फुटपाथ बनाने की भी योजना है ताकि सुबह शाम लोग इस तालाब के चारों ओर घूमने का भी आनंद ले सकें।
तालाब के साथ ही एक पंचवटी पार्क ओर हट भी बनाये जाएंगे।ताकि लोग यहां बच्चों से साथ आकर यहां आनंद लें सकें।यदि भविष्य में बजट का अतिरिक्त प्रावधान हुआ तो यहां नोका चलाने की भी योजना है।बहरहाल कस्बा जुगेहड़ पंचायत के मनीयाड़ा गांव में बन रहे इस तालाब से हर कोई खुश है।
क्या है इस तालाब का इतिहास व महत्ता
इस तालाब के बारे में क्षेत्र के लोग बताते हैं कि किसी समय तालाब के साफ सुथरे पानी में धौलाधार पर्वत श्रृंखला का पूरा प्रितिबिंब दिखाई देता था जब हिमाचल और पंजाब इकट्ठे थे तो वहां के गवर्नर आरएस रंधावा ने उस समय इस क्षेत्र का दौरा कर इस प्रतिबिम्ब को देखा था तो इसे दुनिया का आठवां अजूवा नाम दिया था। बताते हैं कि यह तालाब लगभग ढेड़ सौ वर्ष पुराना है। जिसे राजाओं के समय में किसी रानी के लिए बनवाया गया था ।इस तालाब में खजरुलकूहल का पानी महीने में आठ दिन छोड़ा जाता था।
इस धरोहर को संवारने के लिए कई बार पंचायत स्तर से भी काफी मेहनत की गई और इस तालाब की मुरम्मत कर इसमें मछलियां भी डाली गईं। लेकिन बिना सरकारी मदद से उनकी इस कोशिश को पंख नहीं लगे।पर्यटन मानचित्र से विलुप्त होते इस आश्चर्यजनक दृश्य प्रस्तुत करने वाले ऐतिहासिक तालाब तालाब की साफ़ सफाई करवाकर इसे सहेजा जाएगा तो यह स्थान पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकता है।
तालाब के किनारे लगता था कभी मेला
बुजुर्ग बताते हैं कि किसी समय कस्वाजुगेहड़ पंचायत के इस गांव मनियाड़ा में बने इस तालाब के किनारे मेला भी लगता था लेकिन अतिक्रमणों से सिकुड़ने के कारण जहां तालाब का अस्तित्व भी खतरे में है वहीं यहां लगने वाला मेले का बजूद भी मिट गया है।
सीएम जयराम ठाकुर से भी मिल चुके हैं लोग
ऐतिहासिक तालाब को लेकर लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल मनियाड़ा गांव में ही सीएम जय राम ठाकुर से मिला था जिसके बाद मुख्यमंत्री ने उनकी यह फ़ाइल टूरिज्म विभाग को आगे प्रेषित भी की थी।पंचायत स्तर से भी काफी बार इस मामले को उठाया जाता रहा है।लेकिन इस बार बीडीओ भवारना व पंचायत प्रधान कस्वाजुगेहड़ के प्रयासों से इस मुहिम को रंग लगने जा रहा है।
यह बोले पंचायत कस्वाजुगेहड़ के प्रधान पवन सूत
पंचायत अपने स्तर पर तो शुरू से ही प्रयास करती आई है लेकिन बिना सरकारी मदद से इस तालाब की दशा को सुधारना काफी मुश्किल था,बीडीओ भवारना ने इस काम में दिलचस्पी दिखाकर इसमें भरपूर सहयोग दिया जिसके बाद अब तालाब के जीर्णोद्वार का काम शुरू हो गया है जल्द ही इसको संवारकर नए रूप दिया जाएगा
यह बोले खंड विकास अधिकारी
सहायक आयुक्त विकास एवं खंड विकास अधिकारी भवारना संकल्प गौतम ने कहा कि
पंचायत का इस तालाब को लेकर आवेदन आया था जिसके बाद खुद साइट का विजिट कर पाया गया कि यहां कुछ किया जा सकता है जिसके बाद पहली समय बजट की थी जिसके बाद आई डब्ल्यू एमपी का पैसा दूसरी पंचायतों का जो उनमें खर्च नहीं हो सकता था उस पैसे को इस पंचायत में डाइवर्ट किया गया जिसके बाद लगभग साढ़े चार लाख का प्रावधान हुआ है।
इसमें तीन लाख मनरेगा के तहत भी खर्च किये जायंगे। जल्द ही दो तीन महीनों के अंदर ही एक सुंदर स्ट्रक्चर बन कर तैयार हो जाएगा जिसके बाद अतिरिक्त बजट की व्यवस्था करवा कर यहां नोका विहार चलाने की भी योजना है।