फलों का राजा आम इस बार होगा खास, जानिए वजह
ऑफ ईयर होने के कारण आम के फल में होने वाले उत्पादन में करीब चालीस फीसदी गिरावट दर्ज होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
जसूर, अश्वनी शर्मा। फलों का राजा यानी आम इस बार आम न होकर खास होगा। ऑफ ईयर के कारण जिला कांगड़ा में आम की पैदावार में चालीस फीसद गिरावट का अनुमान लगाया गया है। यदि मौसम का रुख बिगड़ा तो यह गिरावट और भी ज्यादा हो सकती है। इस माह तूफान, अंधड़ व ओले आम की फसल को प्रभावित करते हैं। राजस्व जिला नूरपुर के तहत नूरपुर, इंदौरा, जवाली व फतेहपुर के बगीचों में इस बार फल की जगह पत्ते ही दिखाई दे रहे हैं और इससे बागवानों के चेहरे लटक गए हैं। इस दफा आम लोगों को दशहरी आम का स्वाद चखने के लिए दाम अधिक चुकाने पड़ेंगे। पिछले साल ऑन ईयर के कारण भरपूर फसल थी।
ये हैं आम की प्रजातियां
नूरपुर उपमंडल में दशहरी, लंगड़ा, चौसा, ग्रीन, फजली, तोतापुरी, आम्रपाली व रामकेला आदि प्रजातियों का आम होता है। उपमंडल के अधिकांश क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा नहीं है। क्षेत्र में बारिश होने से ही फल का पूरा साइज बनता है। यदि इस सप्ताह बारिश हो जाए तो आम का आकार बढ़ सकता है।
कब होता है तुड़ान
आम की दशहरी अगेती प्रजाति का तुड़ान जून अंत में शुरू हो जाता है और जुलाई के पहले सप्ताह में जोरों पर होता है। पछेती प्रजातियों का तुड़ान जुलाई के अंतिम सप्ताह शुरू होता है और अगस्त तक चलता रहता है। उपमंडल नूरपुर के अधिकतर बागवानों ने दशहरी किस्म ही ज्यादा लगाई है।
क्या है ऑन व ऑफ ईयर
जिस साल आम की पैदावार ज्यादा होती है उसे ऑन ईयर कहते हैं। जिस वर्ष पैदावार कम होती है उसे ऑफ ईयर कहा जाता है। इस दफा ऑफ ईयर है।
आंकड़ों में उत्पादन
जिला कांगड़ा में वर्ष 2013-14 में फलों का कुल क्षेत्र 38,625 हेक्टेयर था और इसमें आम के फलों का क्षेत्रफल 20,963 हेक्टेयर था और आम का उत्पादन 10,183 मीट्रिक टन हुआ था। 2014-15 में कुल क्षेत्रफल 38,642 हेक्टेयर था और इसमें आम की फसल 21,663 हेक्टेयर में थी। 2015-16 में आम का उत्पादन 24,900 मीट्रिक हुआ था।
इस बार आम की फसल का ऑफ ईयर है और पैदावार में 40 फीसद तक गिरावट का अनुमान है। पैदावार कम होने से दाम में वृद्धि होगी। -दौलत राम डोगरा, उपनिदेशक, उद्यान विभाग, जिला कांगड़ा।
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