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अगर मन में ही रह जाती है आपके मन की बात तो कुछ ऐसा करें

अपनी मानसिक परेशानी के बारे में अब आप डॉक्‍टर को लिखकर भी बता सकते हैं।

By BabitaEdited By: Published: Fri, 05 Oct 2018 08:48 AM (IST)Updated: Fri, 05 Oct 2018 08:48 AM (IST)
अगर मन में ही रह जाती है आपके मन की बात तो कुछ ऐसा करें
अगर मन में ही रह जाती है आपके मन की बात तो कुछ ऐसा करें

टांडा, जेएनएन। अगर आप मानसिक रूप से परेशान हैं। मन में कई तरह के ख्याल आते हैं। लेकिन आप इस बारे में किसी से कह नहीं पाते हैं। डॉक्टर को भी इस बारे में बताने से झिझकते हैं तो अब आप लिखकर भी अपनी बात डॉक्टर तक पहुंचा सकते हैं। इसके बाद डॉक्टर साहब खुद आपसे संपर्क करेंगे और आपकी मानसिक परेशानी के हल के लिए काउंसलिंग करेंगे और दवा भी देंगे। 

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डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा के मनोचिकित्सा विभाग द्वारा मानसिक रोगियों की समस्या के समाधान के लिए नई पहल की है। मेडिकल कॉलेज परिसर में कुछ मुख्य जगहों पर बॉक्स स्थापित किए गए हैं। इन्हें नाम दिया गया है ‘आएं हमसे बात करें’। इनका उद्देश्य है उन लोगों तक पहुंचना जो अपनी मानसिक परेशानी या बीमारी बताते  नहीं हैं। आत्महत्या जैसा कदम उठाने की सोचते हैं। ऐसे लोग लिखकर अपनी परेशानी, अपने नाम, पते व मोबाइल फोन नंबर के साथ इन बॉक्स में डाल दें।

मनोचिकित्सा विभाग के अध्यक्ष डॉ. मेजर सुखजीत सिंह बताते हैं कि हर रोज तीन बजे के बाद इन बॉक्स को चेक किया जाएगा। दिए गए पते व मोबाइल फोन नंबर पर संपर्क कर संबंधित व्यक्ति की समस्या के

समाधान की कोशिश की जाएगी। 

विश्व आत्महत्या निरोधक दिवस के उपलक्ष्य पर टांडा मेडिकल कॉलेज की कार्यकारी प्रधानाचार्या एवं एनॉटमी विभाग की अध्यक्ष डॉ. सुमन यादव ने इस सुविधा का शुभारंभ किया। डिस्पेंसरी के पास,  मनोचिकित्सा विभाग की ओपीडी, पैरा क्लीनिक ब्लॉक, प्रशासनिक ब्लॉक व अस्पताल के मुख्य गेट के पास ये बक्से स्थापित किए गए हैं। इन बॉक्स से प्राप्त होने वाले पत्रों में लिखे नाम, पते व मोबाइल

फोन नंबर पूर्णतया गोपनीय रखे जाएंगे। इनका उद्देश्य सिर्फ मानसिक रूप से पीड़ित लोगों की मदद करना है।

 

यह सराहनीय पहल है। अगर इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए तो प्रदेश के अन्य अस्पतालों में भी इस तरह के प्रयास किए जाएंगे।

-विपिन परमार, स्वास्थ्य मंत्री

इन पर नजर रखने की जरूरत

’ जो मानसिक तनाव में हो।

’ नशे का आदी हो।

’ जो भावनात्मक दबाव में हो, जैसे किसी चाहने वाले को खो देना।

’ जो किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हों।

’ वह जिसका सामाजिक बहिष्कार किया गया हो।

’ जो पहले भी खुद को खत्म करने की कोशिश कर चुका हो।


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