स्टील का कचरा फिर आएगा काम, पिघलाकर इस्पात व मिश्र धातु के कॉस्ट बनाने की तकनीक ईजाद; पढ़ें खबर
Trash Melted Steel स्टील कचरा पिघलाने में अब मशीनरी बिजली या कोयले की जरूरत नहीं पड़ेगी।
मंडी, हंसराज सैनी। स्टील कचरा पिघलाने में अब मशीनरी, बिजली या कोयले की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिस स्टील कचरे को पिघलाने में पहले कई घंटे लगते थे, वह पांच से 10 मिनट में पिघल जाएगा। इससे पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के शोधकर्ताओं की देखरेख में स्टार्टअप के तहत जम्मू कश्मीर की ग्रीनटेक इनोवेशन कंपनी ने केमिकल से स्टील कचरे को पिघलाकर इस्पात व मिश्र धातु के कॉस्ट बनाने की तकनीक ईजाद की है।
कॉस्ट में निक्कल व मैग्नेशियम आदि मिलाकर एलॉय व अन्य सामग्री बनाने में मदद मिलेगी। यही सामग्री दोबारा रोलिंग मिलों व सीमेंट संयंत्रों में काम आएगी। इससे सीमेंट संयंत्रों के लाइनर आदि भी तैयार होंगे। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के निधि सीड स्पोर्ट कार्यक्रम के तहत ग्रीनटेक इनोवेशन कंपनी को इसके लिए 20 लाख रुपये का फंड दिया गया था।
कंपनी स्टील कचरा निपटान प्रबंधन क्षेत्र में काफी समय से काम कर रही है। स्टील रोलिंग मिलों से 200 मीट्रिक टन के आसपास कचरा निकलता है। इसे रीसाइकल कर मोल्टेन मेटल (पिघला धातु) बनाया जाएगा। इनोवेटिव तकनीक से कचरे से प्राप्त शुद्ध पिघली हुई धातु में 99 प्रतिशत से अधिक लौह तत्व (एफई कंटेंट) मौजूद रहेगा। कंपनी इसे इस्पात और मिश्र धातु के काङ्क्षस्टग में बदलेगी। स्टील कचरे को पिघलाने के लिए ऊर्जा नहीं लगेगी और न ही प्रदूषण होगा। इससे औद्योगिक कचरे को ग्रीन स्पेस में बदलने में मदद मिलेगी।
कैसे पिघलाया जाता था स्टील कचरा
स्टील कचरे को पिघलाने के लिए देश में कुछ उद्यमियों ने उद्योग लगाए थे। फर्नेस (भट्ठी) में कचरा गर्म कर पिघलाया जाता था। फर्नेस गर्म करने के लिए कोयले या बिजली की जरूरत रहती थी। इससे प्रदूषण पैदा होता था। 500 किलो कचरा पिघलाने में तीन से चार घंटे लगते थे। 30 से 40 प्रतिशत लोहे के अलावा कुछ हाथ नहीं आता था।
अब ऐसे पिघलेगा
स्टील कचरे में केमिकल डालकर एक्सोथर्मिक प्रक्रिया के तहत इसे पिघलाया जाएगा। इसके लिए बिजली व मशीनरी की जरूरत नहीं पड़ेगी। 500 किलो कचरा पांच मिनट में पिघल जाएगा।
स्टील कचरा रोलिंग मिलों के लिए बड़ी समस्या है। कचरे को पिघलाकर इससे दोबारा उत्पाद बनेंगे। इसमें लोहे की मात्रा 99 प्रतिशत से अधिक रहेगी। ग्रीन इनोवेशन जल्द हिमाचल में अपना यूनिट लगाएगी। -संदीप गुप्ता, सीईओ ग्रीन इनोवेशन कंपनी।