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Make Small Strong: कोरोना संकट में घर-घर पहुंचाई दवाएं, ऑनलाइन लोगों से जुड़कर की मदद

Make Small Strong कोरोना के दौर में जब सब कुछ बंद था तो हृदय रोग कैंसर किडनी और अन्य गंभीर बीमारियों के मरीजों को चंडीगढ़ से दवा मंगवाकर उन तक पहुंचाई। इसमें अखबार लाने वाली गाडिय़ां और प्रशासन मददगार बना।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 08:18 AM (IST)
Make Small Strong: कोरोना संकट में घर-घर पहुंचाई दवाएं, ऑनलाइन लोगों से जुड़कर की मदद
मानव मेडिकल स्टोर के मालिक और दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष योगेश वर्मा।

मंडी, मुकेश मेहरा। कोरोना के दौर में जब सब कुछ बंद था, तो हृदय रोग, कैंसर, किडनी और अन्य गंभीर बीमारियों के मरीजों को चंडीगढ़ से दवा मंगवाकर उन तक पहुंचाई। इसमें अखबार लाने वाली गाडिय़ां और प्रशासन मददगार बना। 40 प्रतिशत तक कारोबार प्रभावित हो चुका था, लेकिन कोई मरीज दवा के बिना न रहे इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया। मानव मेडिकल स्टोर के मालिक और दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष योगेश वर्मा बताते हैं जब लॉकडाउन की घोषणा हुई तो सबसे अधिक दिक्कत उन मरीजों को आई जो पीजीआइ, आइजीएमसी या दिल्ली से अपना इलाज करवा रहे थे। सैनिटाइजर, मास्क, विटामिन सी ओर मल्टी विटामिन विद जिंक जैसी दवाइयों की डिमांड एकदम बढ़ गई।

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हमें मेडिकल स्टोर खोलने की इजाजत थी, लेकिन लोग घरों से नहीं निकल रहे थे। ऐसे में जिला प्रशासन और व्यापारमंडल के सहयोग से ऑनलाइन सुविधा आरंभ की। अपने संघ के अन्य सदस्यों को भी इसमें जोड़ा। फोन पर ही आर्डर आते और हम घर पर उनकी दवा पहुंचाते हैं। गंभीर बीमारियों से ग्रस्त रोगियों जिनकी दवा बाहरी राज्यों से आनी थी, तो उसके लिए अखबार की गाडिय़ां मददगार बनी। उन्हीं के माध्यम से दवा मंडी जिला में पहुंची जो मरीजों तक पहुंचाई गई। जरूरत पडऩे पर प्रशासन ने भी अपने वाहन भेजे।

योगेश बताते हैं कि करीब तीन महीनों तक का दौर तो ऐसा था, उस दौरान नफा नुकसान कुछ नहीं दिख रहा था। कारोबार बेशक मंदा था, लेकिन लोगों की जिंदगी दवा की कमी के कारण दांव पर न लगे इसके लिए प्रयास करना हमारी प्राथमिकता बन गई थी। प्रशासन ने भी बैठक कर जरूरी दिशा निर्देश दिए। संघ का अध्यक्ष होने के नाते सभी दवा विक्रेताओं को समय की महत्व को समझते हुए हमने ऑनलाइन व्यवस्था को मजबूत किया।

लोग फोन करते और हमारे कर्मचारी घर तक दवा पहुंचा कर आते। दवा के पैसे भी ऑनलाइन ही जमा हो रहे थे। हमारे पास चार कर्मचारी काम करते हैं, उनको भी किसी तरह की परेशानी नहीं आने दी तथा उन्होंने भी पूरा योगदान हमें दिया। अनलॉक शुरू होने पर कुछ राहत मिलती नजर आई। जो नुकसान तीन महीनों में हुआ था, उससे अब उभर रहे हैं। अब मामले जरूर आ रहे हैं लेकिन लोग भी जागरूक हो गए हैं। अब कारोबार पुन: पटरी पर लौट रहा है। हालांकि अभी भी कोरोना का खतरा टला नहीं है तथा ऐसे में भी हम पूरी सतर्कता के साथ काम कर रहे हैं। लोगों की मांग के अनुसार ही दवाइयां उपलब्ध करवाई जा रही हैं।

खुद को और कर्मचारियों को बचाना व चुनौती

मंडी शहर में एकाएक जब मामले बड़े तो खुद को और अपने कर्मचारियों को भी सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती थी। अक्सर लोग अस्पतालों आदि से सीधे मेडिकल स्टोर आते हैं। ऐसे में हमने स्टोर के बारह एक शटर लगाया जहां से ही दवाइयों का लेन-देन होता था। जब भी कोई होम डिलीवरी होती तो कर्मचारी बाकायदा हाथों में गलब्ज और सैनिटाइजर साथ रखता। साथ ही वापसी भी गलब्ज मेडिकल वेस्ट में डाले जाते।

ऑनलाइन व्यवस्था व्यापार के लिए बेहतर

लॉकडाउन के दौरान आरंभ की गई ऑनलाइन व्यवस्था का ज्यादा लाभ अब लोग उठा रहे हैं। गूगल पेमेंट सहित अन्य माध्यमों से लोग ऑनलाइन खाते मे पैसा जमा करवाकर अपनी दवा का आर्डर देते हैं। मंडी शहर के अलावा आस पास के लोग भी ऐसे दवाइयां मंगवा रहे हैं। इसका सार्थक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।

सैनिटाइजर व मास्क की डिमांड बद्दी से करवाई पूरी

कोरोना संक्रमण फैलने के बाद एकाएक ही सैनिटाइजर और मास्क की डिमांड बढ़ गई। मास्क तो घर पर भी बन रहे थे, लेकिन सैनिटाइजर की उपलब्धता चुनौती थी। एकाएक इनके दाम न बढ़े या स्टोकिंग के कारण लोगों को परेशानी न हो, इसके लिए तुरंत बद्दी में सैनिटाइजर बनाने वाले फर्मों से संपर्क कर स्टॉक मंगवाय। इसका लाभ यह हुआ की मंडी में लोगों को सस्ते दामों पर ही सैनिटाइजर उपलब्ध हुआ।


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