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शादी समारोह में मेहमानों की सीमित संख्‍या से मायूस केटरिंग कारोबारी, नई सुबह का इंतजार

MakeSmallStrong सुई से लेकर जहाज तक के कारोबार पर कोरोना काल में असर पड़ा है। शादियों की रौनक बढ़ाने वाला कैटरिंग व सजावट के काम को नई सुबह का इंतजार है। वे महज शादियों और कार्यक्रमों के दोबारा से पूरे चरम से शुरू होने का इंतजार करने लगे हैं।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 02:07 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 07:08 AM (IST)
शादी समारोह में मेहमानों की सीमित संख्‍या से मायूस केटरिंग कारोबारी, नई सुबह का इंतजार
शिमला के न्यू लाइट एंड साउंड कारोबारी वीरेंद्र मित्तल।

शिमला, जागरण संवाददाता। सुई से लेकर जहाज तक के कारोबार पर कोरोना काल में असर पड़ा है। ऐसे में शादियों की रौनक बढ़ाने वाला कैटरिंग व सजावट के काम को नई सुबह का इंतजार है। वे महज शादियों और कार्यक्रमों के दोबारा से पूरे चरम से शुरू होने का इंतजार करने लगे हैं। टेंट हाउस, कैटरिंग, बैंड, डीजे, लाइट एंड साउंड, डेकोरेशन समेत अन्य छोटे-बड़े कारोबारी शादियों की रौनक बढ़ाते हैं, उनका कारोबार बिल्कुल फीका पड़ गया है। कारोबारियों का कहना है कोरोना से पहले जहां कारोबार सौ फीसद रहता था, वहीं घटकर 15 से 20 फीसद रह गया है। कोरोना के शुरुआती दौर में तो काम बिल्कुल ठप था। लेकिन अनलाक के विभिन्न चरणों में अधिकतम 200 मेहमानों के साथ आयोजन की अनुमति मिली। ऐसे में कारोबार संकट में है।

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शिमला के न्यू लाइट एंड साउंड कारोबारी वीरेंद्र मित्तल का कहना है इस कारोबार से कमाई बेहद कम हो गई है। कोरोना के कारण चमक-धमक का यह कारोबार अभी फीका हो गया है। आयोजनों में बड़ी संख्या में आने वाले मेहमानों का प्रबंध करने पर कमाई करने वाले कारोबारियों को इस नियम से सीधा नुकसान हुआ। इस कारण इन धंधों से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई। कारोबारी का कहना है कि लाकडाउन में लेबर का खर्च, किराया, गाडिय़ों की मेंटिनेंस के बीच बुकिंग न होने से काम करना मुश्किल हुआ।

ऐसे में लोगों ने आयोजनों के लिए होटल का रुख करना बेहतर समझ रहे हैं। वहां पर सब कुछ तैयार मिलता है। इसलिए उनके काम को अनलाक होने के बाद जो उम्मीद दिख रही थी, वे भी कम होती जा रही है। लाखों रुपये का निवेश कर रखा है। ऐसे में उम्मीद है कि समय के साथ यह अंधेरी रात कट जाएगी। नई सुबह आएगी और फिर से शादियां, कार्यक्रम पूरी सजावट के साथ होने लगेंगे।

मेहमानों की संख्या बढ़ाने पर विचार करे सरकार

हिंदू पंचाग के अनुसार, शादी समारोह का सीजन अप्रैल, मई, जून तक था, इसमें बिल्कुल भी काम नहीं हो सका। आगामी समय में 25 नवंबर के बाद शादियों का सीजन शुरू होगा। सीजन में शादियों की बुकिंग के लिए लोगों ने संपर्क करना शुरू कर दिया है। मेहमानों की संख्या कम होने को लेकर दिक्कत है और कारोबारी परेशान हैं। सरकार को मेहमानों की संख्या बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।

लेबर नहीं मिल रही

कोरोना के कारण कारोबार कम हुआ तो काम में हाथ बंटाने वाले लोग शिमला से चले गए। ऐसे लोग अधिकतर बाहरी राज्यों से थे। कारोबारियों का कहना है कि लेबर अपने गांव चली गई है। लेबर वापस आना भी चाहती है। लेकिन बुकिंग नहीं होने से उनको नहीं बुलाया जा रहा है। नवंबर-दिसंबर के लिए लोग पूछताछ जरूर कर रहे हैं, लेकिन मेहमानों की संख्या को लेकर बने असमंजस के चलते कोई फाइनल नहीं कर रहा है।

उचित शारीरिक दूरी के साथ परोसा जा रहा भोजन

कारोबारियों का कहना है कि कोरोना के कारण केटरिंग के तरीके में भी बदलाव आया है। खाना पकाने से लेकर परोसने तक के तरीकों में बदलाव लाए गए हैं। ग्लवज और मास्क के साथ खाना परोसा जाता है। खाना पकाने के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। वहीं खाना परोसते हुए उचित शारीरिक दूरी के नियमों का पालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा सरकार की ओर से जारी सभी दिशा निर्देशों के अनुसार विभिन्न समारोहों में केटरिंग, लाइट एंड साउंड सहित डेकोरेशन का काम किया जा रहा है।

कोरोना काल के बाद शुरू हुई आनलाइन बुकिंग

कोरोना काल से पहले लोग फोन पर बात करके सारी व्यवस्थाएं किस प्रकार होंगी, यह जानने के लिए दुकान पहुंचते थे। लेकिन अब संक्रमण से खुद के साथ कस्टमर को बचाने के लिए आनलाइन बुकिंग प्रक्रिया शुरू की गई है। वाट्सएप के माध्यम से कस्टमर को दी जाने वाली व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी जाती है। लोग खुद से परहेज करते हुए आनलाइन बुकिंग के प्रति जागरूक हो रहे हैं।

मेहमानों की संख्या पर निर्भर है कारोबार

शादियों में चमक दमक और रौनक जमाने के लिए किए गए प्रावधान महमानों की संख्या पर निर्भर करते हैं। जितने कम लोग होंगे, उतनी ही डेकोरेशन कम होगी। वहीं खाने के लिए कम आर्डर आएगा। अब जब मेहमानों की संख्या सीमित की गई है तो इन सब का कारोबार भी सीमित हो गया है। इसके साथ ही लाकडाउन होने के कारण लोगों ने भी मंदी की मार झेली। इसलिए स्वाभाविक है कि शादी विवाह जैसे आयोजनों में लोग कम से कम व्यवस्थाएं कर रहे हैं, ताकि उन पर अधिक आर्थिक बोझ न पड़े।


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