तिब्बती समुदाय का लोसर उत्सव आज से, ला ग्यारी मठ में होगी पूजा
तिब्बती समुदाय का नववर्ष (लोसर) तीन दिवसीय उत्सव का शुभारंभ मैक्लोडगंज की ला-ग्यारी मोनिस्ट्री में विशेष पूजा अर्चना के साथ आगाज होगा।
जेएनएन, धर्मशाला। तिब्बती समुदाय का लोसर (नववर्ष) उत्सव मंगलवार से शुरू होगा। तीन दिवसीय उत्सव का शुभारंभ मैक्लोडगंज स्थित ला ग्यारी बौद्ध मठ में विशेष पूजा-अर्चना के साथ होगा। उत्सव को लेकर धर्मशाला व मैक्लोडगंज के बाजार में खासी रौनक है और तिब्बती समुदाय के लोग घरों को संवारने में जुटे हैं। इस उपलक्ष्य में तिब्बती समुदाय के लोग पारंपरिक पोशाक पहनकर एक-दूसरे से मिलते हैं और बधाइयां देते हैं। उत्सव के दौरान मांस का सेवन वर्जित रहता है।
तिब्बती कैलेंडर के अनुसार, यह 2146 वां वर्ष है। पांच फरवरी को लोग घर के मंदिरों में पूजा-अर्चना करेंगे तथा परंपरा के मुताबिक बौद्ध मठ में भी पूजा करेंगे। सात फरवरी को रिश्तेदारों और सगे-संबंधियों को बधाई दी जाएगी और इसके बाद बौद्ध मठ में सामूहिक पूजा-अर्चना होगी। इस दौरान मैक्लोडगंज स्थित चुगलाखंग बौद्ध मठ व ला ग्यारी के अलावा अन्य जगह भी प्रार्थना होगी। यह है परंपरा लोसर उत्सव के पहले दिन तिब्बती समुदाय के सभी लोग घरों में ही रहते हैं।
परंपरा के अनुसार, पांच फरवरी को तिब्बती परिवारों के बच्चे और पुरुष नहाते हैं और सात फरवरी को महिलाओं के नहाने की परंपरा है। पांच फरवरी को तिब्बती परिवार घरों को साफ-सफाई कर आकर्षक ढंग से सजाते हैं। युवाओं तेंजिन छवांग, तेंजिन देदेन व छे¨रग फुंग्चुक ने बताया कि लोसर का उन्हें सालभर से इंतजार रहता है। दो माह पहले तैयार होती है छांग लोसर उत्सव के लिए दो माह पहले छांग (देसी मदिरा) तैयार करना शुरू कर देते हैं। तिब्बती समुदाय के लोग छांग का पहले अपने ईष्ट को भोग लगाते हैं और उसके बाद स्वयं या रिश्तेदारों में इसका आदान-प्रदान करते हैं। लोग पर्व के दौरान भगवान को चढ़ाने के लिए मैदे से खपस (मटर की तरह दिखने वाला व्यंजन) बनाते हैं।