Lockdown: हिमाचल के उद्याेगों में ठप पड़ सकता है उत्पादन, 50 फीसद श्रमिक घर लौटे, देखिए आंकड़ा
बिहार व उत्तर प्रदेश के हजारों श्रमिक हिमाचल प्रदेश से लौट गए हैं। श्रमिकों के वापस लौटने से प्रदेश के औद्योगिक घराने परेशान हैं।
सोलन, सुनील शर्मा। बिहार व उत्तर प्रदेश के हजारों श्रमिक हिमाचल प्रदेश से लौट गए हैं। श्रमिकों के वापस लौटने से प्रदेश के औद्योगिक घराने परेशान हैं। हालांकि अभी तक कुछ श्रमिक हिमाचल में हैं, लेकिन इन्हें वापस लाने के लिए बिहार व उत्तर प्रदेश सरकार रेल व ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था करने जा रही है। इस व्यवस्था से जहां श्रमिकों में खुशी है, वहीं उद्योग प्रबंधकों के माथे पर शिकन देखी जा रही है।
जबसे कोरोना का खतरा बढ़ा है और देश में लॉकडाउन और कफ्र्यू है, उस समय से श्रमिकों का पलायन शुरू हो गया है। अब तक 50 फीसद से अधिक श्रमिक अपने घरों को लौट चुके हैं। इसके बाद जब सख्ती हुई तो कुछ श्रमिक घर नहीं जा पाए और अब यहां हिमाचल के ही अलग-अलग जिलों में हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार के श्रमिक प्रदेश के उद्योगों में 60 फीसद से अधिक काम संभालते हैं।
काम पर नहीं आना चाहता हिमाचली : सपाटिया
मैहतपुर इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल सपाटिया का कहना है कि ऊना जिला में अब केवल एक हजार ही श्रमिक रह गए हैं। काफी श्रमिक घर चले गए हैं। अब जो कुछ लोग यहां रह भी गए हैं वह काम पर नहीं आ रहे हैं। कामगारों का कहना है कि जब उन्हें घर बैठे ही वेतन मिल जाएगा तो फिर वह काम पर क्यों लौटें। अब यह समस्या भी उद्योग प्रबंधकों को देखनी पड़ रही है। उद्यमियों का कहना है कि अब वह दोनों तरफ से फंस चुके हैं और उद्योग चलाना मुश्किल हो रहा है।
सरकार बैचवाइज वापस बुलाए श्रमिक : खुराना
बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़ इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय खुराना ने कहा कि सरकारों को चाहिए कि वह श्रमिकों को बैचवाइज बुलाए, ताकि इंडस्ट्री की चेन भी न टूटे और लोग भी वेतन लेकर घर पहुंचे। इसके साथ ही सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि जो श्रमिक जिस कंपनी से जुड़ा है उस कंपनी से वह एक अथॉरिटी लेटर जरूर लेकर आए, ताकि कंपनी को पता होना चाहिए कि उनके श्रमिक उन्हें सेवाएं दे रहे हैं या नहींं। संजय खुराना ने कहा कि उत्तर प्रदेश व बिहार से आने वाले श्रमिक ऐसे हैं, जो स्टील और टैक्सटाइल उद्योगों में जटिल कार्यों सहित ढुलाई और लोङ्क्षडग और अनलोडिंग का कार्य भी कर लेते हैं, लेकिन जब यह सभी लोग यहां नहीं होंगे तो इंडस्ट्री की चेन टूट जाएगी और इससे गैर आवश्यक सहित आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी प्रभावित होगी। अगर यही स्थिति रही तो ईंट-भट्ठों का काम भी पूरी तरह बंद हो सकता है।