Move to Jagran APP

मोबाइल फोन, लैपटॉप व टैबलेट की बढ़ेगी उम्र, गुणवत्ता भी रहेगी कायम, आइआइटी विशेषज्ञों ने किया शोध

IIT Mandi Research रोजमर्रा के कार्याें में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण अब बिजली के उतार चढ़ाव में भी बेहतर तरीके से काम करेंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने मोबाइल फोन टैबलेट जैसे आधुनिक मोबाइल उपकरणाें के सूक्ष्म सर्किट के कार्य के विश्लेषण का विकास किया है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 03:10 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2021 03:10 PM (IST)
मोबाइल फोन, लैपटॉप व टैबलेट की बढ़ेगी उम्र, गुणवत्ता भी रहेगी कायम, आइआइटी विशेषज्ञों ने किया शोध
आइआइटी शोधकर्ताओं ने मोबाइल, टैबलेट जैसे आधुनिक मोबाइल उपकरणाें के सूक्ष्म सर्किट के कार्य के विश्लेषण का विकास किया है।

मंडी, जागरण संवाददाता। रोजमर्रा के कार्याें में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण अब बिजली के उतार चढ़ाव में भी बेहतर तरीके से काम करेंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने मोबाइल फोन, टैबलेट जैसे आधुनिक मोबाइल उपकरणाें के सूक्ष्म सर्किट के कार्य के विश्लेषण का विकास किया है। अनियमित डीसी बिजली आपूर्ति के बावजूद इन उपकरणाें को प्रदर्शन के लिए बेहतर तरीके से डिजाइन करना संभव होगा। इससे उपकरणों की उम्र बढ़ेगी, गुणवत्ता भी कायम रहेगी। सूक्ष्म सर्किट के कार्य के विश्लेषण का विकास करने में आइआइटी मंडी के कंप्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग स्कूल के एसोसियट प्रोफेसर डॉ. हितेश श्रीमाली,उनके शोध विद्वान विजेंद्र कुमार शर्मा के साथ आइआइटी जोधपुर के डॉ. जयनारायण त्रिपाठी की मुख्य भूमिका रही रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमइआइटीवाइ ) ने प्रोजेक्ट के लिए वित्त पोषण किया था।

loksabha election banner

इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण बेहतर कार्य करें और बिजली के फ्लक्चुएशन में इनके कम्पोनेंट अधिक सुरक्षित रहें। इसके लिए मिश्रित इलेक्ट्रॉनिक सर्किटरी के सू़क्ष्म पार्ट्स के डिजाइन समीकरणाें को समझना जरुरी था। बकौल डॉ. श्रीमाली, उनकी शोध टीम बिजली के फ्लक्चुएशन से होने वाले नुकसानाें के विश्लेषण में लगी है ताकि स्पीड, पावर, गेन, डिस्टॉर्शन के स्तर आदि तमाम पहलुओं को देखते हुए मोबाइल उपकरणाें के डिजाइन की विशिष्टताओं का अनुकूलन किया जा सके।

आधुनिक उपकरणाें जैसे कि मोबाइल फोन, लैपटॉप,टैबलेट की इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्री में एक ही सेमीकंडक्टर आइसी पर एनालॉग एवं डिजिटल दोनाें कम्पोनेंट होते हैं। ऐसी मिश्रित सिग्नल सर्किटाें को डायरेक्ट करंट से पावर दिया जाता है। इसके लिए अकसर इन बिल्ट बैटरी होती है। हालांकि यह बैटरियां कम वोल्टेज (3.7 वी) की होती हैं। मोबाइल उपकरणाें की सूक्ष्म सर्किट के अलग-अलग कंपोनेंट और भी कम वोल्टेज पर काम करते हैं।

मिसाल के तौर पर कई आधुनिक सर्किटाें के ट्रांजिस्टर बहुत छोटे 7 नैनोमीटर तक के होते हैं जो इंसान एक बाल से भी 100000 गुना बारीक होते हैं और इनके काम करने के लिए 1 वी से कम वोल्टेज चाहिए। अचानक पावर बढ़ने व इसके स्रोत में उतार-चढ़ाव होने से मिश्रित सर्किट के प्रदर्शन में इसलिए खराबी आती है। बैटरी का पावर अचानक कम-अधिक होने से कार्य प्रदर्शन में बड़ी गिरावट आती है।

सर्किटरी के डिजाइन में 20 साल पहले विकसित अवधारणाओं का उपयोग हो रहा है इसलिए आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स के नैनोमीट्रिक आकार पर भौतिकी बदलाव पर विचार नहीं किया जाता है। आज दुनिया में हर जगह बेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन (वीएलएसआइ) इलेक्ट्रॉनिक्स का चलन है। मोबाइल फोन, डिजिटल म्यूजिक प्लेयर्स, लैपटॉप व टैबलेट के केंद्र माने जाने वाले उपकरण जैसे ट्रांसीवर, एंटीना, एम्पलीफायर, एनालॉग-टू-डिजिटल कन्वर्टर्स (एडीसी) व डिजिटल से एनालॉग कन्वर्टर्स (डीएसी) के डिज़ाइन में ऐसे अनुकूलन की आवश्यकता होती है, जिससे उनकी लाइफ बढ़ती है। लंबे समय तक प्रदर्शन की गुणवत्ता बनी रहती है।

सूक्ष्म कंपोनेंट के वीएलएसआई इस्तेमाल करने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स के डिज़ाइन की मुख्य विशेषताओं के विश्लेषण के लिए ट्रांजिस्टर की मेट्रिक्स थ्योरी व क्लोज्ड फॉर्म का इस्तेमाल किया है शोध टीम ने इस विधि के विकास के बाद कांसेप्ट के सत्यापन के लिए एनालॉग व डिजिटल ब्लॉक के आउटपुट स्टेज के दो उदाहरणाें का उपयोग किया है।

यह 1.8 वोल्ड सप्लाई व समान ज्याेमितीय क्षेत्र के साथ स्टैंडर्ड 180 नैनोमीटर प्रौद्योगिकी में किया गया है। उनके मॉडलाें ने निरीक्षण विधि व उद्योग मानक के स्पाइस टूल्स का उपयोग कर सभी उदाहरणाें के लिए अधिकतम औसतन 3 प्रतिशत प्रतिशत त्रुटि (एमपीई) का प्रदर्शन किया जो इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट के डिजाइन करने के इस दृष्टिकोण के मजबूत होने की पुष्टि करता है। इससे कम्पोनेंट बिजली आपूर्ति अचानक कम-ज्यादा होने से प्रभावित नहीं होते हैं। शोध की मदद से चिप सिस्टम की कार्य क्षमता तेजी से बढ़ेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.