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तीन साल बाद भी स्मार्ट नहीं हुई धर्मशाला सिटी

smart city dharmshala स्मार्ट सिटी के रूप में चयनित होने के करीब पौने तीन साल बाद भी धर्मशाला स्मार्ट नहीं बन पाया है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 02:24 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 02:28 PM (IST)
तीन साल बाद भी स्मार्ट नहीं हुई धर्मशाला सिटी
तीन साल बाद भी स्मार्ट नहीं हुई धर्मशाला सिटी

धर्मशाला, राजेंद्र डोगरा। स्मार्ट सिटी के रूप में चयनित होने के करीब पौने तीन साल बाद भी धर्मशाला स्मार्ट नहीं बन पाया है। आलम यह है कि स्मार्ट परियोजनाएं अब भी फाइलों में ही धूल फांक रही हंै। 2106 करोड़ रुपये से शहर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाना है, लेकिन अब तक महज 20 करोड़ ही खर्च हो पाए हैं। हैरानी की बात यह है कि इस राशि से भी केवल छोटे-छोटे ही कार्य हो पाए हैं। स्मार्ट सिटी को केंद्र से 186 करोड़ रुपये पहली किस्त के रूप में मिले, जबकि 10 फीसद राशि प्रदेश सरकार से मिली। कुल 220 करोड़ रुपये में से अब तक 20 करोड़ ही खर्च हो पाए हैं।

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मई 2016 को धर्मशाला स्मार्ट सिटी की अधिसूचना जारी हुई थी, लेकिन पौने तीन साल बीतने के बाद भी स्मार्ट परियोजनाओं के शुरू न होने से शहरवासी भी हैरान हैं। स्मार्ट सिटी के तहत 32 स्मार्ट परियोजनाओं के तहत विकास कार्य होने हैं, लेकिन वर्तमान में एक भी बड़ी परियोजना शुरू नहीं हो पाई है। शीतकालीन प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्मार्ट सिटी की विभिन्न परियोजनाओं स्मार्ट रोड समेत अन्यों के शिलान्यास तो किए, लेकिन ये अब तक अधर में हैं। इसके बाद प्रदेश सरकार ने हिमुडा के एमडी के नेतृत्व में टेक्निकल सेक्शन कमेटी का गठन किया, जिसने स्मार्ट रोड व पब्लिक बाइक शेयङ्क्षरग परियोजनाओं को मंजूरी तो दी, लेकिन सबसे बड़ी परियोजना को अभी तक तकनीकी मंजूरी नहीं मिल है। इसमें कमान एंड कंट्रोल सेंटर परियोजना भी शामिल है और इसके तहत धर्मशाला स्मार्ट सिटी लिमिटेड के कार्यालय के अलावा नगर निगम के महापौर का कार्यालय,  सीसीटीवी, ट्रैफिक कंट्रोल, भूमिगत कूड़ेदानों की मौजूदा स्थिति व सोलर टॉप रूफ से पैदा होने वाली बिजली की स्थिति सहित अन्य सुविधाओं का नियंत्रण एक ही स्थान पर होना है। यह दुर्भाग्य ही है कि  इस परियोजना को तकनीकी मंजूरी ही नहीं मिल पाई है। केवल स्मार्ट परियोजना के तहत स्मार्ट क्लास रूम का ही कार्य शुरू हो पाया है। इसके तहत शहर के 12 स्कूलों को स्मार्ट बनाया जाना है। शेष परियोजनाएं अब भी औपचारिकताओं के ही फेर में फंसी हुई हैं।

यह रही मुख्य वजह

स्मार्ट परियोजनाओं के धरातल पर न आने का सबसे बड़ा कारण नगर निगम आयुक्त के पास स्मार्ट सिटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक का कार्यभार होना रहा है। साथ ही निरंतर अंतराल में आयुक्तों के तबादले होना भी कारण रहा है। कुल मिलाकर स्मार्ट सिटी के लिए उधार के एमडी का ही सहारा है।

ये परियोजनाएं होनी थी शुरू

स्मार्ट सिटी के तहत कमान एंड कंट्रोल सेंटर, पब्लिक बाइक शेयङ्क्षरग, ई-बसें, डिजिटल पेमेंट सिस्टम, स्मार्ट रोड, स्मार्ट क्लास रूम, सोलर टॉप रूफ, स्मार्ट पार्किंग, कचहरी, कोतवाली व मैक्लोडगंज में रि-डेवल्पमेंट प्रोजेक्ट व बस शेल्टर परियोजनाएं शामिल हैं। इनमें से स्मार्ट क्लास रूम, स्मार्ट स्ट्रीट व सोलर टॉप रूफ का ही कार्य शुरू हो पाया है।

स्मार्ट सिटी के तहत सुविधाएं लोगों को जल्द मिल सकें, इसके लिए प्रयास किए गए हैं। स्मार्ट सिटी में स्थायी एमडी न होना भी परियोजनाओं के लटकने का कारण रहा है। कमान एंड कंट्रोल सेंटर को अभी तक तकनीकी मंजूरी नहीं मिल पाई है और अन्य परियोजनाओं की औपचारिकताएं पूरी नहीं हो पाई थीं और इस कारण यह धरातल पर नहीं उतर पाई हैं। स्मार्ट क्लास रूम, स्मार्ट स्ट्रीट व सोलर टॉप रूफ का कार्य चला हुआ है।  -देवेंद्र जग्गी, महापौर नगर निगम धर्मशाला

स्मार्ट सिटी के तहत मौजूदा समय में स्मार्ट क्लास रूम, सोलर टॉप रूफ व स्मार्ट स्ट्रीट के कार्य चले हुए हैं। अन्य परियोजनाओं का अध्ययन किया जा रहा है। -राखिल काहलों, प्रबंध निदेशक धर्मशाला स्मार्ट सिटी लिमिटेड।


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